मथुरा। ब्रज कला एवं शिल्प संग्रहालय के हॉल में उमा शर्मा की चित्रकला प्रदर्शनी को देखने पहुँचे देशी विदेशी लोग। मथुरा की प्रसिद्ध चित्रकार उमा शर्मा कागज की कतरनों को चिपका कर आकर्षक पेंटिंग बनाती हैं।
प्रदर्शनी का शुभारम्भ वृन्दावन के साहित्यकार व व्यवसाई कपिल उपाध्याय तथा वृन्दावन के तीर्थ पुरोहित अजय शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय के हॉल में प्रदर्शनी लगाई गई प्रदर्शनी तीन दिनों तक चली जिसमें जर्मनी से पधारे विदेशी पर्यटकों के अलावा स्थानीय कला प्रेमियों ने भी रुचि दिखाई।
उमा शर्मा किसी परिचय मोहताज नहीं हैं। वह मथुरा की एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं, उन्होंने कागजों की कतरनों को चिपकाकर कोलाज तैयार करने में महारत हासिल की है। उन्होंने इस प्रकार की पेंटिंग बना कर प्रसिद्धि पाई है, जो कम ही देखने को मिलती है, मथुरा की चित्रकार उमा शर्मा शांत स्वभाव और निर्मल हृदय की चित्रकार हैं उनके मन के भाव उनकी बनाई चित्रकला में भी दिखाई देती है।
वेसे तो मथुरा में कलाकारों की कोई कमी नहीं है। जनपद की ख्याति प्राप्त कलाकार की अदभुत व दुर्लभ कलाकृतियों के संग्रह को देखने में युवाओं ने भी विशेष रुचि दिखाई। बिना कूची और रंग के, कागज की कतरनों से ही तस्वीरों को आकार देने वाली मथुरा की उमा शर्मा की कलाकृति मात्र पेंटिंग ही नहीं हैं, उनमें ब्रज का पूरा चित्रण देखने को मिलता है। उनके द्वारा बनाये गये तैल चित्रों में ब्रज की सभ्यता, संस्कृति और जनसामान्य के जीवन की एक झलक देखने को मिलती है।
सन् १९५० में जन्मी चित्रकार उमा शर्मा की प्रदर्शनी देखने आये युवा कलाकारों को वह अपने बनाये चित्रों के सामने खड़े होकर समझा रहीं थीं कि इन चित्रों को रद्दी कागज के टुकड़ों को जोड़-जोड़ कर फेबिकोल की मदद से चिपका कर कैसे बनाया गया है। किस प्रकार से मन के भाव को प्रस्तुत किया गया है।
मथुरा में ब्रज की ग्रामीण संस्कृति, कला एवं शिल्प को एक स्थान पर समेटने का काम ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ० उमेश चन्द्र शर्मा ने बीड़ा उठाया है कि ब्रज क्षेत्र में विभिन्न लोक कलाओं और शिल्पकला को प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है। इसी श्रंखला में विलक्षण चित्रकार उमा शर्मा से युवा वर्ग परिचित हो सकें ऐसा प्रयास किया गया। उमा जी की चित्रों की प्रदर्शनी का संकलन यहाँ लगाया गया, जिसे युवा ही नहीं विदेषी पयर्टकों ने भी सराहा।
इस अवसर पर पं. कपिल उपाध्याय ने उमाषर्मा की कला को कुछ इस प्रकार से समझा उन्होंने कहा कि जैसे एक चिड़िया कड़ी मेहनत से तिनका-तिनका जोड़ उससे अपना घौंसला बनाती है और उसे एक आकार देती है, ठीस उसी प्रकार से मथुरा की इस विलक्षण चित्रकार की अपनी कला व मेहनत में दीखती है।
तीन दिन तक चलने वाली इस मथुरा की प्रसिद्ध चित्रकार उमा शर्मा जो कि कागज की कतरनों को चिपकाकर आकर्षक पेंटिंग बनाती हैं। उनके साथ-साथ अनेक नवोदित कलाकारों ने भी इस स्थान पर अपनी-अपनी चित्रकला को प्रदर्षित किया, जिसमें एमिटी यूनीवर्सिटी नोयडा से बेचलर ऑफ फाइन ऑर्ट में बेचलर डिग्री प्राप्त अनुकृति षर्मा द्वारा बनाई नौ देवियों व श्रीकृष्ण की पेंटिंग भी लगाई गई जिनकों भी देख दर्षकों ने खूब सराहा।
इस अवसर पर सपत्नी पूना से पधारे इस्कॉन मंदिर संस्था के उपाध्यक्ष संजय भौंसले सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट राजेन्द्र सिंह, महेष शर्मा, प्रांषु शर्मा, तनू शर्मा, कमलेश्वर, प्रीति, मनीषा, अनिकेत, अनुभूति, शशि चौधरी, हरीश, सविता, पत्रकार सुनील शर्मा, गीता शोध संस्थान के कोडिनेटर चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार, वृन्दावन गाइड़ के आषु शर्मा आदि उपस्थित थे, तीन दिन तक चलने वाली इस प्रदर्शनी को देखने के लिए पाँच सदस्यीय जर्मनी के विदेषी मेहमानों के अलावा सैकड़ों स्कूली छात्र-छात्राओं व स्थानीय कला प्रेमियों ने भाग लिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें