गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

प्रभुपाद जी का इस्कान भी विवादों के घेरे में।


प्रभुपाद जी का इस्कान भी विवादों के घेरे में। 

एक भक्त ने यौनाचार का लगाया गम्भीर आरोप।
दूसरा भक्त वृन्दावन इस्कान के सामने होमो सैक्सुअल के खिलाफ धरने पर बैठा।
इस्कॉन संस्थान के अधिकारी परेशान, अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर जारी।
-सुनील शर्मा
मथुरा। इस्कान के संस्थापक श्रील एसी भक्ति वेदान्त स्वामी प्रभुपाद जी ने जिन उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए इस्कान की आधार शिला रखी थी उन उद्देश्‍यों का पतन हो रहा है। भारतीय संस्कृति पर गोरी चमडी वालों की संस्कृति हावी हो रही है। इस्कान के अनुयायी और व्यवस्थापकों पर उडीसा व पंश्चिम बंगाल के भोले-भाले युवक-युवतियों को इस्कान में प
इस्कॉन की प्रतिष्ठा और उसके स्वरूप की आड़ में प्रबंधतंत्र द्वारा कैसे-कैसे कुकृत्‍य कर रहा है। इसका प्रमाण कई दिनों से वृंदावन इस्‍कॉन के बाहर चल रहे अनशन और 07 मई 2012 को नई दिल्‍ली की अमर कॉलोनी थाने में दर्ज अप्राकृतिक यौनाचार की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
पिछले करीब 6 वर्षों से अमर कॉलोनी स्थित इस्कॉन मंदिर के ब्रह्मचारी आश्रम में रहकर महाराज गोपालकृष्‍ण गोस्‍वामी की सेवा करने वाले अच्‍युत दास उर्फ अजीत कुमार द्वारा आईपीसी की धारा 377 तथा 511 के तहत दर्ज कराई गई एफआई आर के मुताबिक 15 फरवरी 2012 की रात करीब 11 बजे महाराज गोपालकृष्‍ण व उनके सेवक दयानिधि महाराज ने अच्‍युत दास के साथ आश्रम में ही तब अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की, जब वह सो रहा था। 
अच्युत दास के अनुसार उसके द्वारा शोर मचा देने के कारण गोपालकृष्‍ण व दयानिधि ने क्षमा मांगते हुए माफ कर देने का अनुरोध किया और भरोसा दिलाया कि फिर कभी ऐसा अपराध नहीं करेंगे।
अच्‍युत दास का कहना है कि उसके द्वारा माफ कर देने के बाद 08 अप्रैल 2012 की रात एक बजे दयानिधि महाराज ने उसके साथ एक साउण्‍ड प्रूफ कमरे में दुराचार किया और कहा कि गोपालकृष्‍ण महाराज के रहते उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता।
अच्‍युत दास ने सुबह मौका मिलने पर अपने साथ किये गये कुकृत्‍य की शिकायत इस्‍कॉन यूथ फॉर्म के डायरेक्‍टर सुंदर गोपाल दास तथा मैनेजर हृदय दास से की लेकिन उन्‍होंने कोई संज्ञान नहीं लिया।
गोपालकृष्‍ण महाराज को भी पूरी घटना से अवगत कराया गया पर वह चुप्‍पी साधे रहे। इसके बाद अच्‍युत दास ने पूरी घटना की लिखित जानकारी संस्‍था की गवर्निंग बॉडी को दी जिसमें 20 लोगों की टीम है।
गवर्निंग बॉडी द्वारा अच्‍युत दास की कोई मदद तो नहीं की गई अलबत्‍ता बॉडी के एक सदस्‍य मोहन रूपा दास ने अच्‍युत दास को फोन करके धमकी देते हुए कहा कि तुम जैसे बहुत लोग आये और चले गये, तुमने गोपाल महाराज की शिकायत करके बहुत बड़ी भूल की है जिसका खामियाजा तुम्‍हें भुगतना होगा।
अच्‍युत दास द्वारा दी गई इस आशय की तहरीर पर अमर कॉलोनी थाना पुलिस ने गोपालकृष्‍ण महाराज, दयानिधि महाराज, मोहन रूपा दास तथा हृदय दास के खिलाफ अपराध पंजीकृत कर लिया जिसकी विवेचना एस आई के. पी. शाह द्वारा की जा रही है।
पीडि़त अच्‍युत दास द्वारा इसके बाद 14 मई 2012 को दिल्‍ली के पुलिस आयुक्‍त को एक प्रार्थना पत्र के जरिये अवगत कराया गया कि जांच अधिकारी के. पी. शाह तथा सिपाही सुशील कुमार उसे 06 मई 2012 के दिन गोवर्घन (मथुरा) से यह कहकर दिल्‍ली ले गये कि मेडीकल करवाना है। दिल्‍ली ले जाकर बताया कि देर हो जाने के कारण मेडीकल कल होगा।
अच्‍युत दास ने पुलिस आयुक्‍त को लिखा है कि पूरी रात वह अमर कॉलोनी थाने पर रहा जहां सुबह करीब 09 बजे ब्रजेन्‍द्र नंदन, अद्वैतकृष्‍ण तथा आदियोगी आये और बात करने की कहकर थाने से बाहर निकाल लिया। वहां पहले से खड़ी गाड़ी में धक्‍का देकर बैठा दिया और मंदिर लेकर आ गये।
मंदिर में गोपालकृष्‍ण महाराज ने मु-हजयसे कहा कि सारा मामला वापस ले लो तो मैं तुम्‍हें 50 लाख रुपये दे दूंगा।
मेरे द्वारा रुपया लेने पर सहमत न होने के बाद राघव पण्‍िडत दास तथा अद्वैतकृष्‍ण ने जान से मारने की धमकी दी।
अच्‍युत दास ने दिल्‍ली के पुलिस आयुक्‍त को लिखा है कि इन लोगों का पूरा गिरोह है जिसमें भीमा दास व दयाराम दास भी शामिल हैं। इनका कहना है कि दिल्‍ली पुलिस और बड़े-बड़े नेता हमारे साथ हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अच्‍युत दास का कहना है कि उसी दिन थाना पुलिस मंदिर आई और ब्रजेन्‍द्र नंदन व अद्वैतकृष्‍ण सहित मुजये भी अपने साथ ले गई। अगले दिन उन्‍हें छोड़ दिया।
सूचना पाकर पहुंचे मेरे वकील भी मु-हजये अपने साथ वृंदावन ले आये जहां मैं उनके पास रह रहा हूं। अच्‍युत दास का कहना है कि गोपालकृष्‍ण व उनका गिरोह वृंदावन में भी उसका पीछा कर रहा है और कभी भी उसकी जान जा सकती है।
दूसरी ओर इस्‍कॉन के ही एक अन्‍य भक्‍त नवनीत दास 24 नवंबर से इस्‍कॉन मंदिर वृंदावन के सामने अनशन पर बैठे हैं। नवनीत दास ने मथुरा के जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि मंदिर के प्रबंधतंत्र को पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्‍वों ने कब्‍जा रखा है और यह लोग हर तरह के अनैतिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
मंदिर में दुराचार करके उसकी पवित्रता को नष्‍ट किया जा रहा है और दान के पैसों का दुरुपयोग लोगों का मुंह बंद करने में किया जा रहा है। नवनीत दास ने डीएम मथुरा को लिखा है कि जब उसने प्रबंधतंत्र के कारनामों पर उंगली उठाई तो उसके साथ मारपीट करके बाहर निकाल दिया गया और जान से मारने की धमकी दी। नवनीत दास ने डीएम को अवगत कराया है कि उसकी शिकायत पर संज्ञान लिये बिना वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे, चाहे उनकी जान चली जाए।
नवनीत दास की मानें तो इस्‍कॉन का यह हाल उसके प्रबंधतंत्र ने केवल दिल्‍ली या वृंदावन में नहीं कर रखा अपितु विदेशों में भी कर रखा है।
इस्‍कॉन के गुरुकुलों में अध्‍ययनरत छात्रों के साथ पहले तो जबरन अप्राकृतिक यौन सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करना और फिर उनका मुंह बंद कराने के लिए मंदिर में आने वाले दान के पैसों का इस्‍तेमाल करना आम बात है।
अप्राकृतिक यौनाचार के शिकार गुरुकुल न्‍यूयॉर्क के कुछ छात्रों को वहां की अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश भी पूर्व में दिया जा चुका है जिसकी भरपायी दान के पैसों से मासिक किश्‍त के रूप में की जा रही है।
नवनीत दास के अनुसार दिल्‍ली और वृंदावन के अतिरिक्‍त मुम्‍बई व कोलकाता के इस्‍कॉन मंदिरों से भी ऐसी शिकायतें आती रही हैं लेकिन प्रबंधतंत्र अपने प्रभाव व पैसों के बल पर सबको दबाने में सफल रहा है। अच्‍युत दास व नवनीत दास के आरोपों में कितना दम है, यह भले ही फिलहाल साबित न हो पाये पर इसमें कोई दो राय नहीं  कि स्‍वामी प्रभुपाद के इस्‍कॉन में सब-ंउचयकुछ ठीक-ंउचयठाक नहीं चल रहा।
भारतीय व हिन्दी भाषी क्षेत्रों के लोग अपने बच्चों को इस्कान में मात्र आध्यात्मिक, सांस्कृतिक धार्मिक सेवाभाव के लिए भेजते हैं। कितना पैसा यहां के गुरूकुल में देकर अपने बच्चों के अन्दर भारतीय संस्कार डालने के यहां भेजते हैं जबकि इस्कान के अन्दर क्या चल रहा है इसका उन्हे आभास तक नहीं होता है। इसी के चलते वृन्दावन स्थित इस्कार मंदिर में  करीब २० वर्षों सें भगवान श्रीकृष्ण की साधना में लीन नवनीत दास ने यहां चल रहे यौन शोषण के खिलाफ बिगुल फुक दिया है। उन्होंने इस्कॉन संस्था के प्रबन्ध समिति के सदस्यों की संद्धिता का विरोध किया तो नवनीत दास को इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक ने जबरन मंदिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस मंदिर में क्या-ंउचयक्या नहीं होता इसका खुलासा नवनीत दास ने उत्तर प्रदेश सरकार व वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र के माध्यम से मय साक्ष्य के किये जाने की बात कही है।  इस्कॉन मंदिर में देह व्यापार, वैश्यावृति, गांजा, हीरोईन आदि नशीले पदार्थों की बिक्री व खरीदारी जोरों से हो रही है। तथा विदेशी भक्तों का बीजा अवधि भी समाप्त हो चुकने के बाद बंगलादेशी व अन्य विदेशीयों की शरण स्थली इस्कान संस्था हो गयी है अवैध रूप से विदेशी आराम से इस्कॉन मंदिर में शरण लिए हुए हैं, इन्टैलीजेन्स यूनिट बेखबर है।
नवनीत दास ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में दुष्कर्म व दान की राशि के दुरूप्रयोग का हवाला दिया है कि देश विदेश में स्थापित गुरूकुलों में वहा अध्ययनरत छात्रों के साथ विदेशी अध्यापकों द्वारा समलैंगिक दुराचार किया जा रहा है। इस्कॉन को न्यूयार्क न्यायालय ने दण्ड़ स्वरूप पीडि़त छात्रों को मुआवजा दिलाया। इन विदेशी षड़यन्त्रकारियों द्वारा किये गये अप्राकृतिक यौनाचार की दण्ड़ राशि सभी भारतीय मंदिरों से प्रति मास किश्त के रूप में अदा की जाती है जो कि करोड़ों में है। जरा सोचो दिनभर कड़ी मेहनत करके पैसा कमाने वाले भारतीय अपनी श्रृद्धा भक्ति स्वरूप जो दान इन मंदिरों में देते हैं वह पैसा अवैध यौनाचार की किश्त में चला जाता है।
यौनाचार व समलैगिकता का आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा है कि भारतीय शिक्षित युवा पी-सजय़ी को बड़े-ंउचयबड़े शिक्षा संस्थानों में अपने प्रचारक भेजकर युवाओं का मंदिरों में आजीवन ब्रह्मचारी बनाकर उनमें समलैंगिक गु्रप बनाये जा रहे है। कुछ भारतीयों की गोरी चमड़ी में विशेष आस्था उत्पन्न होती है। ऐसे ही लोगों का उपयोग करके इन्होंने समलैंगिक दुराचार का षड़यन्त्र उन शिक्षित युवा भारतीय ब्रह्मचारियों में भी फैलाया जिसके फलस्वरूप प्रायः बडे मंदिरों में समलैंगिकों के गुट प्रकाश में आये। जब भी जो भी मामला प्रकाश में आया उसे इन्होंने अपने प्रभाव व पैसे से बड़ी आसानी से दबा दिया। विगत दो वर्षों में चैपाटी मुम्बई, मायापुर कोलकाता, पंजाबी बाग, ईस्ट अॉफ कैलाश तथा वृंदावन स्थित मंदिरों में रह रहे ब्रह्मचारियों के मामले प्रकाश में आये हैं। इस सन्दर्भ में जब कोई इनका विरोध करता है तो संस्था का प्रबंध तन्त्र पीडि़त व प्रार्थी के विरूद्ध ही कार्यवाही करता है। अगर मामला ब-सजय़ता है तो उसे पैसे से दबा दिया जाता है। भगवान की सेवा तथा सामाजिक कार्यों के लिये आने वाले दान को ये अपने कुकृत्यों को दबाने के लिये दुरूपयोग करते हैं, श्रीला प्रभुपाद ने कहा था कि जहां हमारे मंदिर है वहां एक किलो मीटर तक कोई भूखा नहीं रहे परन्तु ये तो अपने आजीवन सदस्यों को भी भोजन बिना पैसे के नहीं कराते हैं मंदिरों में दातव्य संस्था से सम्बन्धित कोई भी सेवा समाज हित में व जन हित में संचालित नहीं है। उल्टा मंदिरों को अच्छे व्यापारिक प्रतिष्ठानों का रूप दे दिया है। वृंदावन में भी हरिविजय दास, वैष्णदास, माखनचोर दास, रामहरिदास, पंचतत्वदास, रमाकान्तदास आदि इसी दल के सदस्य हैं अन्य भी हो सकते हैं परन्तु इनमें से रामहरि, रमाकान्त हरिविजय आदि के मामले काफी प्रकाश में आ चुके हैं। नवनीत दास ने आरोप लगाया है कि वृन्दावन इस्कान प्रेसीड़ेट पंचगौडा दास, बाइस प्रेसीड़ेंट वैष्ण दास, जीएम जर्नादन दास व गैस्ट हाउस मैनेजर गणपति दास महाभष्ट्र व सैक्सुअल व्यक्ति है इनमें से किसी पर यौनाचार तो किसी भी भष्ट्राचार के आरोप पूर्व में लग चुके है और आज भी लगते रहे हैं। नवीनत दास को इस्कान प्रबंधन द्वारा धन प्रलोभन व न मामने पर धमकी मिल रही है। 

शनिवार, 22 सितंबर 2012

आधुनिक तकनीक से बनी अक्षयपात्र की रसोई का उदघाटन

मथुरा, मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने वृन्दावन में आधुनिक तकनीक से बनी अक्षयपात्र की रसोई का उदघाटन एवं लोकार्पण कर जनसभा को सम्बोधित करते हुए मथुरा-वृन्दावन-गोवर्धन में 50 करोड़ रूपये से अधिक के विभिन्न विकास एवं पर्यटन कार्यों को करने की घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में औद्योगिक स्थापना एवं आई0टी0 सेक्टर को बढ़ाने का माहौल बनाया जा रहा है। 
 श्री अखिलेश यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि मथुरा को पर्यटन की दृष्टि से मेगाडेस्टीनेशन में 30 करोड़ रूपये से यहाॅ के घाटों का सुन्दरीकरण , पर्यटन विकास, कुण्डों-सरोवरों का जीर्णोद्धार आदि कार्य कराये जायेगे जो यहॅा आने वाले पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र हांेगे। बरसात के बाद क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को मरम्मत कराया जायेगा जिस पर 8 करोड़ रू0 व्यय होगे। बरसाना-कोसीकलाॅ मार्ग को चैड़ीकरण व सुदृड़ीकरण पर 4 करोड़ रू0 व्यय किये जायेगे। गोवर्धन कच्ची परिक्रमा मार्ग का चैड़ीकरण व सौन्दर्यीकरण के कार्यों पर एक करोड़ रुपये व्यय ं किये जायेगे। 
 मा0 मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि मथुरा में यमुना नदी पर बना पुल जीर्णषीर्ण हो जाने से यमुना पर नया पुल बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि मथुरा,वृन्दावन, गोवर्धन में देश ही नहीं विदेशों से लोग आते है, यहॅा साफ सफाई अच्छी हो इसके लिये आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की जायेगी। 
 श्री अखिलेश जी ने कहा कि मथुरा में विकास के भरपूर कार्य किये जायेगे। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के सम्बन्ध में मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कन्या विद्या धन योजना एवं बेरोजगारी भत्ता का वितरण शुरू हो गया है। कन्या विद्या धन योजना से बालिका शिक्षा का विकास होगा। योजनाओं के लिये पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था बजट में प्राविधानित कर दी गई है। मुस्लिम समुदाय की लड़कियों की शिक्षा में बढ़ावा के लिये सहायता राशि की व्यवस्था की गई है। देश के पहले प्रदेश उत्तर प्रदेश में कक्षा 10 व 12वी पास छात्रों को कम्प्यूटर टेबलेट व लैपटाॅप दिये जाने का कार्य किया जा रहा है। यह  कम्प्यूटर व लैपटाॅप हिन्दी ,अंगे्रजी व उर्दू में कार्य करेगें इससे किसी भी ग्रामीण छात्र को कोई दिक्कत नहीं होगी। बड़े पैमाने पर कम्प्यूटर लैपटाॅप खरीदने का कार्य हो रहा है। ंमा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों पर लगे झुठे मुकद्दमें वापस लेने का कार्य शुरू कर दिया। प्रदेश में विद्युत उत्पादकता बढ़ाने का कार्य सरकार करेगी। विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के इन्तजाम किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण व श्रीकृष्ण की लीलायें विश्व विख्यात है। यहॅा के विकास को भरपूर सहयोग दिया जायेगा। इस अवसर पर स्थानीय पत्रकारों द्वारा पे्रस क्लव की माॅग पर मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसे दिखवाकर पे्रस क्लव की व्यवस्था करायी जायेगी। 
 मा0 मुख्यमंत्री जी ने अक्षयपात्र की माॅडर्न रसोई के वृन्दावन में स्थापना पर अक्षयपात्र संस्था को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इससे छात्रों को स्वच्छ, पौष्टिक व समय पर खाना उपलब्ध होता है। ऐसी संस्थाओं को प्रदेश में अन्य स्थानों पर कार्य करने के लिये सरकार सहयोग करेगी ताकि अधिक से अधिक स्कूली बच्चों को पौ’िटक

खाना मिले। लोकार्पित माॅडर्न रसोई से जनपद मथुरा के 1633 स्कूलों में एक लाख 65 हजार बच्चों को प्रतिदिन मिड-डे-मील वितरित किया जा रहा है। इस रसोई में 40 हजार रोटी प्रति घंटा बनाने की आॅटोमेटिक मशीन है। आॅटोमेटिक व्यवस्था से सब्जी की सफाई, कटाई व बनाने का कार्य होता हैं। खाना स्कूलों में ले जाने के लिये 70 वाहन द्वारा भेजा जाता हैं। इस अवसर पर मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने अक्षयपात्र द्वारा लागू नईं अक्षय थाली योजना में थाली वितरित कर योजना का शुभारम्भ किया। 
 मथुरा भ्रमण के दौरान मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने फोगला आश्रम में आयोजित स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य समारोह का दीप प्रज्वलित कर उदघाटन किया। अपने सम्बोधन में श्री यादव ने कहा कि यमुना की सफाई हम सभी के प्रयासों से सम्भव हो सकती है और इस कार्य में समाजिक संगठनों, संस्थाओं तथा जनसहभागिता की बहुत बड़ी आवश्यकता हैं, शासन स्तर से जो भी सहयोग अपेक्षित होगा प्रदान किया जायेगा।
 अपने उदगारों में उन्होंने कहा कि संगीत एवं नृत्य जन जीवन की प्राणदायिनी है जो सदियों से हमें भाई-चारे और मेलमिलाप से मिलजुल कर रहने की पे्ररणा देता है। मा0 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ब्रज भूमि को मैं बारंबार नमन करता हूॅ इस भूमि से जो संत-महात्मा एवं कलाकार हुए है उन्होंने हमेशा ही जन कल्याण के उपदेश दिये एवं कार्य किये है ऐसी ब्रज भूमि के लोगों के कल्याण एवं उत्थान तथा प्रोत्साहन के लिये जो भी जरूरी मदद होगी उन्हें उपलब्ध करायी जायेगी। 
 मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी ने वृन्दावन भ्रमण के दौरान ठा0 बाॅकेबिहारी जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। भ्रमण कार्यक्रमों में प्रदेश के मा0 परिवहन मंत्री श्री राजा अरिदमन सिंह सहित विभिन्न जन प्रतिनिधिगण, इनफोसिस, मनीपाल एकेडमी के उच्चाधिकारी व अक्षयपात्र फाउन्डेशन के प्रतिनिधि, स्वामी हरिदास जयन्ती समारोह के प्रतिनिधिगण, जिलाधिकारी श्री समीर वर्मा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीमती एन0 पदमजा सहित भारी संख्या में गणमान्य नागरिक व जनसामान्य उपस्थित थे।

शुक्रवार, 11 मई 2012

शस्त्र लाईसेन्स पाने वाले ठगे से रह गये। पत्रावलियां आखिर गयीं कहां।

जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय और शस्त्र अनुभाग के बीच से फाइलें रहस्यमय ढं़ग से गायब

शस्त्र लाईसेन्स पाने वाले ठगे से रह गये। पत्रावलियां आखिर गयीं कहां।

सुनील शर्मा
मथुरा। जिलाधिकारी कार्यालय और शस्त्र अनुभाग के बीच से पूर्व जिलाधिकारी के जाते जाते पचास से अधिक स्वीकृत शस्त्र पत्रावलियों में से प्रशासनिक रिपोर्ट रहस्यमय ढं़ग से गायब होने से शस्त्र लाईसेंस प्राप्त करने वालों में आक्रोश होने के चलते यह मामला अब और गहराता जा रहा है। 

पूर्व जिलाधिकारी एन जी रवि कुमार का स्थानान्तरण गोरखपुर हो जाने के वाद यह मामला प्रकाश में आ सका जब लोग अपनी अपनी फाइलों की स्वीकृति देखकर शस्त्र लाईसेन्स लेने पहुँचे। लाईसेन्स की चाह रखने वाले लोगों के पेरों तले जमीन खिसक गई जब उन्हें पता चला कि उनकी फाइलों में से प्रशासनिक रिर्पोट रहस्यमय ढं़ग से गायव हो गयीं हैं। पूर्व जिलाधिकारी के जाने के वाद यह मामला वर्तमान जिलाधिकारी के लिये सिर का दर्द बन सकता है। 

राज्य में हुए विधान सभा चुनावों की घोषणा से पूर्व शस्त्र अनुभाग में लगभग तीन सौ शस्त्र पत्रावलियां विचाराधीन थी। जो तत्कालीन जिलाधिकारी एन जी रवि कुमार के आवास स्थित कैम्प कार्यालय तक सारी औपचारिकताऐं पूरी करती हुई पहुंच गंई। बताया जाता है कि उस समय बसपा के कुछ प्रतिष्ठित नेताओं के नजदीकी और सिफारिसियों की उसमें पचास से अधिक ऐसी पत्रावलियां थी जो बसपा नेताओं के दवाव में जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय से पत्रावलियां स्वीकृत हो कर कलैक्ट्रेट स्थित शस्त्र अनुभाग कार्यालय में आ गयी थी। पत्रावलियां स्वीकृत होने की जानकारी होने पर शस््त्र लाईसेंस के इच्छुक लोगों ने पचास हजार से साठ हजार तक की एन0 एस0 सी0, दो-दो हजार के स्टम्प जैसी अन्य औपचारिक प्रक्रियाओं पर लगभग कुल 70-75 हजार रूपया प्रति आवेदन में लगा दिये। आवेदकों को उम्मीद थी कि आचार संहिता हटते ही वे हथियार रखने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों में सुमार हो जायेगें। उनकी हसरत पूरी न हो सकी जब उन्हें पता चला कि जब जिलाधिकारी एन जी रवि कुमार ने अपने कैम्प कार्यालय पर पुनः इन पत्रावलियों को वापस मांगवाया और इसी बीच जब यह पत्रावलियां पुनः शस्त्र अनुभाग कार्यालय पहुंची तो इनमें से प्रशासनिक स्वीकृति से जुड़े आदेश पत्र गायब पाये गये। जिसके कारण तमाम औपचारिकताओं के बावजूद आवेदकों कों शस्त्र लाईसेंस निर्गत नहीं किये जा सके। अब यह सवाल उठता है आखिर जिलाधिकारी के कैम्प कार्यालय और शस्त्र अनुभाग के बीच किसने इतनी हिम्मत दिखाई कि प्रशासनिक पत्रावलियां हीं गायव कर दीं। इसके पीछे की मंशा आखिर क्या थी और उसने ऐसा क्यों किया। अगर आवेदकों के विचाराधीन पत्रावलियों में कोई कमी थी तो प्रशासन ने इन आवेदकों की एनएससी, स्टाम्प आदि औपचारिकताऐं क्यों और किस आधार पर पूरी करवा ली। यह भी बताया जा रहा है कि शस्त्र अनुभाग सभी औपचारिक कार्यवाही पूरी कर लेने के बाद ही अन्तिम स्वीकृति के लिये पत्रावलियों को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करता है जबकि इसके बीच पत्रावलियों पर जिलाधिकारी के अधीनस्थों की भी स्वीकृति होती है उसके वाद ही जिलाधिकारी अपनी चिडि़या बैठाते हैं तब कहीं जाकर आवेदक को शस्त्र रखने का लाईसेन्स मिलता है। शस्त्र लाईसेन्स पाने के लिए आवेदक को कहा कहा क्या क्या नहीं करना पड़ता है यह किसी से छुपा नही है। फिर भी यदि लाइसेन्स नहीं मिले तो आवेदकों का आक्रोश जायज है। ऐसे शस्त्र आवेदक मौजूदा जिलाधिकारी के समक्ष एक समस्या बने हुए है। अब देखना है कि नये जिलाधिकारी इस समस्या का क्या हल निकालते हैं।

सुनील शर्मा मथुरा

09319225654



शनिवार, 5 मई 2012

Bengali Widows in Vrindaban


Aged Bengali Widows don’t get release from birth-death cycle.
Dead bodies cut to pieces and abandoned in bags into river Yamuna.
District administration wakes up to strict directions of Supreme Court, constitutes team for investigation.

Sunil Sharma

The aged Bengali widows, coming to Vrindaban with a wish of residing in Lord Krishna’s place and to get release from the cycle of birth & death, don’t even get the last rituals due for a human in any civilization and it is such a hair raising tale to have heard about the fate of the dead bodies. There is increasing number of deaths of aged people in bone shivering cold weather and the aged Bengali widows residing in Vrindaban are also affected of the same. The corpses remain lying besides the roads after death of these widows. After being decomposed they are cut to pieces and carried in garbage carriers by the cleaners to abandon near the banks of river Yamuna. Those widows don’t get to know the fate of their bodies after their death that come with belief of getting release from the cycle of birth & death. The district magistrate, having been informed of the matter, constituted a three member committee for investigation. The chief development officer has been nominated as head of this investigating team.

The aged Bengali widows in Vrindaban are in such a pity state that in past they used to reside in the corridors of old temples and damp cells. With ever increasing rates of land they are losing these shelters also and are compelled to spend their remaining part of life on edges of the roads and pedestrian lanes. These aged women neither get cloth nor the woods for cremation after death. The cleaner cuts the body lying on road side into pieces and packs in bags to abandon near river Yamuna where stray dogs feed on the decaying bodies. Though Vrindaban is known as a religious city but the in-human state of these widows does not invite attention of any religious preachers to initiate build any system for last rites of these aged widows who come here with wish of serving the Lord.

One group of faithful women on their visit to Vrindaban has witnessed the incidents and has collected records of the same. The group of faithful women has seen the pity state of aged Bengali widows in Vrindaban and Radha kund and got published the facts in reputed English daily. On taking note of the news of that paper the honourable judge Altmas Kabir of Supreme Court has called explanation from the government. The evidences recorded by the faithful women have exposed the in-human act on the hundreds of aged Bengali widows residing in Mathura, Vrindaban and Radha Kund. After the death of aged widows in old age homes and shelter houses, the cleaners dispose the dead bodies in un-habited places on the banks of Yamuna after cutting them into pieces and packing in bags.

The senior judge immediately ordered the National Judicial Services Authority for investigation which has been forwarded to the State Judicial Services Authority of U.P. The secretary of the State Judicial Services Authority of U.P. has ordered the then district judge Virendra Bahadur Yadav for in depth investigation of the matter. The district judge has promptly constituted a nine member team under the leadership of Ms. Sapna Tripathi, secretary, District Judicial Services Authority. The team members have interviewed hundreds of widows for three months, and finalized a 20 point document based on the interview including detailed information related to about 450 widows from Vrindaban and 30 widows from Radha Kund.

The investigating committee has recorded the video of conversation with the widows which revealed the facts about how the dead bodies have been dealt with after death of the aged widows. The investigating committee when enquired from the managers of the shelter houses, they expressed the lack of funds for performing the due last rites, due to which such in-human acts are being done.

The honorable Supreme Court, taking the matter seriously, on 29th December 2011 has directed Chief Secretary Mr. Sadakant of the Department of Social Welfare, Women Welfare and Child Development and Nutrition of the state, who in turn directed Joint Secretary Mr. S. K. Singh to visit the Mathura-Vrindaban region at the earliest and consult the Judicial Magistrate and District Magistrate and submit the report to the government by 30th January. In the meantime it was communicated to Mr. S. K. Singh about the seriousness of the government to initiate effective actions to address the issue urgently.

The District Magistrate N. G. Ravikumar, taking the note of this important issue, has constituted a team lead by Chief Development Officer S. Mathu Shalini, including Vice-Chairman of Development Authority Mr. V. K. Pawar and ADM (Finance) Mr. Manmohan Chaudhary. The investigating team is supposed to conduct the investigation urgently and submit their report to the District Magistrate.

Sunil Sharma,
Mathura.
09319225654

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की मुक्ति नहीं होती।

वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की मुक्ति नहीं होती।
मृत्यु के वाद शवों के टुकडे़ टुकडे़ करके बोरे में भर कर यमुना किनारे डाल दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के कडे़ निर्देश के वाद प्रशासन चेता जांच को टीम बनाई गई।

सुनील शर्मा
मथुरा-वृन्दावन - ब्रज में बास करने और मोक्ष की कामना से वृन्दावन आने और यहां आकर बसने बाली बंगाली विधवाओं की मृत्यु के उपरान्त उनका अंतिम संस्कार दुखद व रोंगटे खडे़ कर देने वाला होता है। हाड कपाने वाली सर्दी में वृद्ध लोगों की मृत्यु अधिक हो रही है जिसका असर वृन्दावन में वास करने बाली इन वृद्ध विधवाओं पर भी पड़ रहा है। इन विधवाओं की मृत्यु के उपरान्त इनका शव कई दिनों तक सड़क किनारे पड़ा रहता है। शवों के सड़ जाने की स्थिति में उसके टुकडे़ टुकडे़ करके किसी कूड़ा ढोने बाली ढकेल में ले जाकर यमुना किनारे जमादार फेंक आते हैं। मोक्ष की प्राप्ति की आस में आई इन विधवाओं को नही मालुम कि इनकी मृत्यु के उपरान्त इनकी क्या दशा होती है। इसकी जानकारी जब जिलाधिकारी मथुरा को हुई तो उन्होंने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। इस कमेटी की मुखिया मुख्य विकास अधिकारी को बनाया गया है।
वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की हालत इतनी दयनीय है कि पहले तो यह प्राचीन मंदिरों के बारामदे और सीलन भरी कोठरियों में पड़ी रहा करती थी। आज दिनों दिन जमीनों के बड़ते दामों के कारण इनका यह आशायाना भी धीरे धीरे छिनता जा रहा है जिसके कारण इनको सड़कों के किनारे और फृटपाथ पर ही अपनी बची कुची जिन्दगी काटनी पड़ रही है। मृत्यु के उपरान्त इन वृद्धाओं को न तो कफन ही नसीब होता है और न ही जलाने को लकड़ी। सड़क पर पड़ी लाश को जमादार पहले टुकड़े टुकडे़ करता है फिर बोरे में भर कर यमुना के किनारे डाल आता है जिसे वहां मौजूद कुत्ते आवारा पशु अपना आहार बनाते रहते हैं। कहने को वृन्दावन धार्मिक नगरी है और भगवान के भजन को आयीं ये बंगाली विधवाओं के साथ हो रहे इस प्रकार के अमानवीय कृत्य पर कोई भी कथा वाचक या धर्माचार ने मानवता के नाते अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था तक बनाने में पहल नहीं की है।
वृन्दावन में आये श्रद्धालु महिलाओं के एक दल ने यहां रोंगडे खडे़ कर देने वाला दृय देखा तथा इसके प्रमाण भी जुटाये थे। वृन्दावन में तथा राधाकुण्ड में रह रहीं बंगाली विधवाओं की दयनीय स्थिति को श्रद्धालु महिलाओं के दल ने देखा और इस तथ्य को प्रति’िठत अंगेजी देनिक में प्रकािशत करा दिया। उक्त अखवार की खवर को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज अल्तमास कबीर ने उक्त खवर पर सरकार से जवाब तलब कर लिया। महिला श्रद्धालुओं के दल द्वारा जुटाये गये प्रमाणों ने यह साफ कर दिया कि मथुरा वृन्दावन और राधाकुण्ड़ में रह रही सैकड़ों बंगाली वृद्ध महिलाओं के साथ कैसा अमानवीय कृत्य हो रहा है। वृद्ध आश्रमों और आश्रय सदनों में इन वृद्ध महिलाओं की मृत्यु के उपरान्त उनके शवों के टुकड़े टुकडे़ करके बोरों में भरकर जमादार यमुना के किनारे निर्जन स्थान पर ड़ाल आते हैं।
वरि’ठ जज ने तत्काल रा’ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को इसकी जांच करने का आदेश दिया जिसे प्राधिकरण के उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रे’िात कर दिया गया।
उ0प्र0 विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने मथुरा के तत्कालीन जिला जज वीरेन्द्र बहादुर यादव को मामले की गहन जांच के आदेश दिये। जिला जज ने तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सपना त्रिपाठी की अध्यक्ष्ता में नौ सदस्यीय टीम गठित कर दी। टीम के सदस्यों ने तीन माह तक सैकड़ों विधवाओं से बातचीत की और उसके आधार पर 20 बिंदुओं का एक प्रपत्र तैयार किया जिसमें वृन्दावन की 450 व राधाकुण्ड की 30 से विधवाओं से सम्बन्धित जानकारी जुटाई गई।
जांच समिति ने विधवाओं से बातचीत की वीडि़यों रिकाॅर्डिंग भी कराई जिसके आधार पर यह पता चला कि तीन चार दिन तक शवों को सड़ाने के बाद स्वीपर उसके टुकडे़ टुकडे़ करके बोरे में भरकर कहीं लेजाकर फेंक आता है।
जांच समिति ने जब इस बारे में आश्रम संचालकों से जानकारी की तो उन्होंने इसका कारण उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त पैसो का न होना बताया। जिसके कारण ऐसा अमानवीय कृत्य कराया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए 29 दिसम्बर 2011 को प्रदेश के समाज कल्याण, महिला कल्याण विभाग एवं बालविभाग विकास पु’टाहार विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत ने राज्य महिला कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक एसके सिंह को निर्देश दिया कि वे जल्द ही मथुरा वृनदावन क्षेत्र का भ्रमण करें और वहां के जज न्यायाधीश और जिलाधिकारी से विचार विर्मश कर 30 जनवरी तक समूची रिर्पोट शासन को सौंपे। साथही उन्होंने एसके सिंह को शासन इस मामले में गंम्भीरता से अवगत कराते हंए कहा कि जल्द ही कोई ठोस कार्यवाही करते हुए शख्त कदम उठाना चाहता है।
जिलाधिकारी एनजी रविकुमार ने इस महत्वपूर्ण मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी एस.मथु शालिनी की अध्यक्षता में एक टीम का गठन कर दिया है जिसमें विकास प्राधीकरण उपाध्यक्ष वीके पवार व एडीएम फायनेन्स मनमोहन चैधरी भी शामिल थे। जांच टीम शीध्र ही जांच कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।

सुनील शर्मा मथुरा। 09319225654