सोमवार, 2 सितंबर 2019

मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 से किसको होगा फायदा।

आम जन को, पुलिस को, या विभाग को
इसमें कोई दो राय नही है कि इस प्रकार के कडे़ कानून बना कर  अपनी जिन्दगी के प्रति लापरबाह लोगों पर कुछ हद तक लगाम लगेगी और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी। मगर फिर भी लोग किसी न किसी तरह से जुगाड लगा कर अपने बच निकलने के रास्ते भी तलाश लेंगे। क्या इसका दुप्रयोग नही होगा। क्या इससे भ्रष्टाचार के रास्ते और बड़े नहीं हो जायेंगे।
क्या इससे आम जन को कोई लाभ होगा या पुलिस को इसका सीधा सीधा लाभ मिलेगा, या विभाग के खाते में रकम पहुंचने से सरकार का लाभ होगा। इस प्रश्न का ज्यादातर लोग यही उत्तर दे रहे हैं कि पुलिस का लाभ यानी पुलिस कर्मियों का लाभ जरूर होगा साथही कुछ लोग मानते हैं कि इसमें तीनों को लाभ मिलेगा। जबकि कुछ लोग इसका सटीक उत्तर नही दे सके।
विशाल अग्रवाल ने बताया कि चालान सिर्फ ट्रफिक पुलिस काटे सभी पुलिस कर्मियों को इसकी जिम्मेदारी न दी जाये तो 50 प्रतिशत तक सही तरीके से काम हो पायेगा। जबकि आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक श्रीकृष्ण शरद, राकेश रावत एडवोकेट, पी0 के0 वार्ष्णेय, अरविन्द चौधरी, जगन्नाथ पौद्दार, पवन शर्मा, महेन्द्र राजपूत, जितेन्द्र गर्ग, सपन साहा, प्रताप विश्वास इन सभी ने माना कि इसमें पुलिस का फायदा अधिक होगा।
01 सितम्बर से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 में सड़क सुरक्षा हेतु कठोर प्रावधान किये गये हैं। चालकों पर कडे़ नियमों के जरिये सड़क पर गाड़ियां चलाने के नियमों में बदलाव करते हुए सरकार ने सीट बैल्ट नहीं पहनने पर पहले 300 रुपये का जुर्माना था यह 1000 रुपये कर दिया गया है। दोपहिया बाहन पर दो से ज्यादा सवारी होने पर पहले 100 जुर्माना था अब यह 1000 रुपये कर दिया गया है। हेलमेट नहीं पहनने पर यह जुर्माना 200 रुपये था अब यह 1000 रुपये करने के साथ ही तीन माह तक के लिए लाईसेन्स निलम्बित करने का प्रावधान रखा गया है। इमरजेन्सी बाहन (एम्बूलेन्स) को रास्ता न देने पर पहले कोई जुर्माना नहीं था अब इस कृत्य को करते पकडे़ जाने पर 10000 रुपये का जुर्माना होगा। बिना ड्राईविंग लाईसेन्स के ड्राईविंग करते पकड़े जाने पर पहले 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता था अब इसे 5000 रुपये कर दिया गया है। लाईसेन्स रद्द होने के बावजूद भी ड्राईविंग करने पर 500 रुपये से 10000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा। ओवर स्पीड में वाहन चलाने पर पहले 400 रुपये बसूले जाते थे अब 2000 रुपये कर दिया गया है। खतरनाक ड्राईविंग करने पर 1000 रुपये से बढ़ा कर 5000 रुपये कर दिया गया है। शराब पीकर वाहन चलाने पर पहने 2000 रुपये जुर्माना लगता अब इसे 10000 रुपये कर दिया गया है। ड्राईविंग के दौरान मोबाईल से वात करने पर 1000 रुपये से 5000 रुपये का जुर्माना कर दिया गया है। बिना परमिट पाये जाने पर 5000 रुपये से बढ़ा कर इसे 10000 रुपये कर दिया गया है। गाड़ियों की ओवर लोडिंग पर 2000 रुपये और उसके वाद प्रति टन 1000 था अब इसे 2000 रुपये कर दिया गया है। बिना इंश्योरेन्स के गाड़ी चलाने पर 1000 रुपये था अब इसे बढ़ा कर 2000 रुपये किया गया है। नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर पहले इस कर कोई जुर्माना नहीं था मगर अब इसे सबसे गम्भीर मानते हुए सरकार ने 25000 रुपये का जुर्माना और 3 साल की सजा का प्रावधान रखा है इसमें वाहन का रजिस्ट्रेशन को रद्द किया जा सकता है और गाड़ी मालिक व उसके अभिभावक दोषी माने जायेंगे साथ ही नाबालिग को 25 साल की उम्र तक लाईसेन्स नही दिया जायेगा।
सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के प्रयास के तौर पर इसे देखा जाये तो यह आम जन के सुरक्षा के लिये जरूरी माना जा सकता है। लेकिन क्या इससे जो कुछ सड़कों पर चैकिंग के नाम पर होता था उसमें वृद्धि नही होगी। अब तक 100 रुपये देकर लोग छूट जाया करते थे मगर यह रकम अब कई गुना अधिक की हो जायेगी। क्या भ्रष्टाचार को करने का सपना पाले बैठी सरकार इसे रोक पायेगी।
नम्बर प्लेट पर पुलिस का निशान व गाड़ी में कहीं न कहीं पुलिस का चिन्ह लगा कर घूमने वाले लोगों पर लगाम लग सकेगी। एडवोकेट, पुलिस, न्याय विभाग, आर्मी, प्रेस आदि लिखे वाहनों से जो लोग बच निकलते थे वो क्या अब नहीं निकल पायेंगे।
सबसे पहले तो यह काम सरकारी विभागों पर और पुलिस विभाग के तमाम सभी जो कभी हेलमेट नहीं लगाते हैं और न ही सीट बेल्ट तो इनसे जुर्माना बसूला जायेगा।
मोवाईल पर बात करते पकडे़ जाने पर जुर्माना केवल प्राइवेट वाहनों पर या दोपहिया वाहनों को चलाने वालों पर ही होगा। क्या सरकारी वाहनों पर भी इसका अंकुश लग सकेगा। सबसे ज्यादा खतरनाक खेल तो रोड़वेज बस, प्राईवेट बस, स्कूल बस के ड्राईवर करते हैं 60-70 लोगों की जिन्दगी इनके हाथों में होती है शराब पीकर गाड़ी चलाना तथा गाड़ी चलाते समय मौवाईल पर वाते करना क्या इन पर अंकुश लग पायेगा।
आम जनों के जीवन की सुरक्षा के लिहाज से तो यह कड़े कानूनों का प्रवधान ठीक है, मगर इन कानूनों का कितना अनुपालन ठीक से हो पायेगा, यह तो समय ही बतायेगा।

सुनील शर्मा, मथुरा।

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