रविवार, 24 मार्च 2024

मथुरा लोकसभा सीट के साथ कई दिलचस्प किस्से भी जुड़े हुए हैं

मथुरा देश की एक दिव्यभूमि है, जो सदियों से मुस्लिम हमलावरों के निशाने पर रही। विदेशों से आए आक्रांताओं ने कई बार मथुरा में बने मंदिरों को तोड़ा और उनका खजाना लूट कर ले गये। इसके बावजूद हर बार यह मंदिर नए रूप में पुनः उठ खड़े हुए। पुराणों के अनुसार यह भूमि पहले सुरसेन की राजधानी हुआ करती थी। उस वक्त यहां पर घने जंगल थे। जिसे मधुवन के नाम से भी जाना जाता था। यही मधुवन बाद में मधुपुरा से होते हुए मथुरा तक हो गया। अगर हम चुनावों की वात करें तो आज यह मथुरा भी राजनैतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण सीट है जिसे हर हाल में भारतीय जनता पार्टी अपने कब्जे में करना चाहती है। मथुरा लोकसभा सीट के साथ कई दिलचस्प किस्से भी जुड़े हुए हैं। इस सीट पर वर्ष 1952 और 1957 में हुए दोनों आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की थी। मजे की बात ये है इस आंधी में जनसंघ के नेता और देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी बाजपेयी भी चुनाव हार गए थे। घटना कुछ इस प्रकार थी वर्ष 1957 के चुनाव में अटल बिहारी बाजपेयी ने भारतीय जनसंघ के टिकट पर मथुरा से चुनाव लड़ा था। उनके खिलाफ राजा महेंद्र प्रताप सिंह जो कि एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे। उस समय इस सीट पर 95 हजार वोट पाकर महेंद्र प्रताप सिंह विजयी रहे, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी दिगंबर सिंह थे। वहीं अटल बिहारी बाजपेयी की चुनाव में जमानत जब्त तक हो गई थी। मथुरा लोकसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 19 लाख है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या जाट मतदाताओं की मानी जाती है। उनकी वोटर संख्या करीब साढ़े तीन लाख के साथ प्रथम स्थान पर बताई जाती है। इनके अलावा 3 लाख ब्राह्माण, 3 लाख ठाकुर, डेढ़ लाख जाटव, डेढ़ लाख मुस्लिम हैं. जबकि वैश्यों की संख्या 1 लाख और यादवों की संख्या करीब 80 हजार बताई जाती है। अन्य में बाकी बची छोटी जातियां शामिल हैं। जाट बहुल सीट होने के बावजूद आरएलड़ी का वर्चस्व कभी नहीं रहा जाटों की संख्या सबसे ज्यादा होने के कारण ही आरएलडी मथुरा को महत्वपूर्ण सीट मानती रही है। इस सीट से चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती ने चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें भी हार देखनी पड़ी थी। हालांकि बीजेपी से गठबंधन होने पर जयंत चौधरी वर्ष 2009 में इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे उन्हें 243890 वोट मिले थे। इसके बाद 2014 और 2019 से हेमा मालिनी लगातार 2 बार से इस सीट से सांसद हैं। बीजेपी ने फिर तीसरी वार हेमा मालिनी पर दांव खेलने जा रही है। बीजेपी की ओर से घोषित उम्मीदवारों की पहली सूची में मथुरा से हेमा मालिनी के नाम का ऐलान किया गया है। बसपा ने इस सीट से उम्मीदवाद की घोषणा कर दी है, बसपा ने 1999 में बसपा से ही चुनाव लड़ चुके पं. कमल कान्त उपमन्यु को अपना प्रत्याषी बनाया है। 1999 में कमल कान्त उपमन्यु को 1,18,720 वोट मिले थे। और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। यहां यह बताना जरूरी है कि इस वार जयन्त चौधरी आरएलडी को लेकर बीजेपी की नैया पार लगाने में सहायक बने हुए हैं। मथुरा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास मथुरा लोकसभा सीट शुरु से ही जाट बाहुल्य मानी जाती रही है। इसकी पुष्टि इस सीट से जीत हांसिल करने वाले उम्मीदवारों से होती है। इस सीट पर अब तक चुने गए 17 सांसदों में से 14 जाट बिरादरी से आते रहे हैं। पिछले 10 सालों से मथुरा से बीजेपी नेत्री व प्रख्यात सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी यहां सांसद हैं। उन्होंने पंजाब के जट और प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र से शादी की है। इस नाते भी लोग उन्हें भी जाट ही मानते हैं। हालांकि मूल रूप से वह तमिलनाडु से आती हैं। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक महत्वपूर्ण सीट की लोकसभा सीट है। आजादी के बाद पहला चुनाव साल 1952 में हुआ। और इस सीट पर भी पहली बार चुनाव 1952 में ही हुआ। पहले और दूसरे दोनों चुनावों में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस सीट पर वर्ष 1962 से 1977 तक लगातार तीन बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को हार देखनी पड़ी और भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की। साल 1980 में यह सीट जनता दल के खाते में गई। जबकि 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की, लेकिन कांग्रेस को अगले चुनाव में फिर से हार का सामना करना पड़ा था। उत्तर प्रदेश का यह मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत की चुनावी राजनीति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 2019 के आम चुनावों में, यहाँ बहुत मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। भाजपा की प्रत्याशी हेमा मालिनी ने पिछले चुनाव में 2,93,471 मतों के अंतर से जीत दर्ज़ की थी। उन्हें 6,71,293 वोट मिले थे। हेमा मालिनी ने अपने निकटतम रालोद प्रत्याषी कु0 नरेन्द्र सिंह को हराया जिन्हें 3,77,822 वोट मिले थे। मथुरा सांस्कृतिक विविधताओं चलते और यहां के चुनावी नतीजे भी उत्तर प्रदेश की यह लोकसभा सीटं रोचक और अहम होती है। इस निर्वाचन क्षेत्र में विगत 2019 के लोक सभा चुनाव में 60.48 प्रतिषत मतदान हुआ था। इस बार यानी कि 2024 में मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है और वे लोकतंत्र में वोटों की ताकत दिखाने को और ज़्यादा जागरुक और तैय्यार हैं। इस वर्ष यानी कि 2024 में मथुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी से श्रीमती हेमा मालिनी प्रमुख उम्मीदवार हैं।

बुधवार, 6 मार्च 2024

श्रीकृष्ण जन्म स्थान के आसपास दर्लभ प्रजाति के जीवों को दिखा कर लोगों से पैसा लेने धन्धा शुरू

अब श्रीकृष्ण जन्म स्थान के आसपास दर्लभ प्रजाति के जीवों को दिखा कर लोगों से पैसा लेने और यात्री परदेशियों से अपने स्वार्थ के लिए ऐसे जीव जन्तुओं के जरिये रूपया कमाने का
हो गया है। कई लोगों को दुर्लभ सांपों के साथ तो कई को मोर पंखों के साथ देखा जा सकता है। जिन्हें दिखाकर पैसे मांगते हैं यदि यात्री परदेशी पैसा न दें तो इस प्रकार के लोगों द्वारा दर्शनाथियों के साथ र्दुव्यवहार करते, झगड़ा करते हैं, मारपीट तक करते हैं, इन्हें आयदिन लड़ते, झगडते देखा जा सकता है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के निकट पोतराकुण्ड के समीप आज एक व्यक्ति जो यहां आये यात्री परदेशियों को दुर्लभ प्रजाति का उल्लू दिखाकर पैसे मांग रहा था। यात्रियों द्वारा न दिये जाने पर लडाई झगडा करने लगा। जिससे अक्ष्छा खासा हंगामा खड़ा हो गया। यात्री उस नशे में धुत्त व्यक्ति की पिटाई कर रहे थे। मैं भी स्टेट बैंक जगन्नाथपुरी ब्रान्च से अपना काम निपटा कर उसी रास्ते से निकल रहा था। जब यह माजरा देखा तो मैं भी वहां रूक गया। देखा कि कुछ लोग मिलकर एक शराब पीये हुए व्यक्ति को मारपीट रहे हैं और वह सबको गालियां दिये जा रहा था। यह सभी बाहर से आये दर्शनार्थी थे। मेरे अनुरोध करने पर वह लोग उसे छोड़ कर दर्शन करने निकल गये जब मेंने उस शराब पीये हुए व्यक्ति को देखा तो बुरी तरह से नशे में धुत्त था और गन्दी-गन्दी गालियां दे रहा था और उसके हाथ में एक दुर्लभ प्रजाति का उल्लू भी था जिसे शायद उसने उड़ने लायक भी नहीं छोड़ा। काफी मना करने पर न तो वह गाली देना बंद कर रहा था और न ही वह उस उल्लू को छोड रहा था। तब मैंने पोतरा कुण्ड साइड में बने गेट पर तैनात एक दरोगा जी से सारी घटना बताई उन्होंने तत्काल दो-तीन पुलिस कर्मियों को उस दिशा में भेज दिया। तब मैं वहां से चला आया फिर मैंने जिला वन अधिकारी श्री रजनी कान्त मित्तल जी को फोन पर सारी घटना बता कर उक्त उल्लू को रेस्क्यू कराने का अनुरोध किया। उन्होंने तत्काल ही वन विभाग की टीम को घटना स्थल पर भेजा, जहां से यह दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को वन विभाग के कर्मचारियों ने अपने कब्जे में ले लिया। धन्यवाद पुलिस कर्मियों का और वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों का।

शुक्रवार, 1 मार्च 2024

ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय का लोकार्पण

ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय-शैलजा कान्त मिश्र संग्रहालय मानव जीवन से जुडी गतिबिधियों का दर्पण होना चाहिए-श्रीवत्स गोस्वामी मथुरा। वृन्दावन, ब्रज की हर एक वस्तु और हर एक वृक्ष को संग्रहित करने की आवश्यकता है, आप सभी ब्रजवासियों के कारण यह एक अच्छी शुरूआत है, भगवान श्री कृष्ण ने हमें चैतन्य रूप में इसे व्यवथित करने के लिए अवसर प्रदान किया है, हमें अपने आपको चैतन्य रूप में ही समाहित करके इस पुनीत कार्य को करना चाहिए। ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय का लोकार्पण समरोह में अध्यक्षता करते हुए उ0 प्र0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजा कान्त मिश्र ने कहा कि ब्रज के समग्र विकास के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद् की स्थापना का संकल्प ब्रह्मर्षि देव रहा बाबा के आदेष पर हुआ उनका आदेश था कि ब्रज की रक्षा के लिए कार्य करना होगा। तभी भारत सम्पूर्ण विश्व में सिरमोर बनेगा। मैं हमेशा उनके आदेश को अपने स्मरण में रख कर ब्रज की सेवा में लगा हुआ हूँ।
उन्होंने कहा कि लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय पूर्व में भी बना बज्रनाभ जी ने समूचे ब्रज क्षेत्र को ही संग्रहालय बना दिया था जो किन्हीं कारणों से लोप हो गया था। ब्रज की लोककला में ब्रज के लोक गीतों में चेतना समाई हुई है। श्री कृष्ण कालीन चेतना उनका रूप उनके शब्द समाये हुए हैं। मोदी जी के अनुग्रह से योगी जी के अनुग्रह से कुछ विकास धरातल पर हैं कुछ योजनाएं आने वाली हैं, उन्होंने कहा कि धन खर्च करके ब्रज को सिंगापुर तो बनाया जा सकता है किन्तु तीर्थ नहीं बनाया जा सकता है। ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय में जो संग्रह किया जा रहा है उससे भी आगे श्री कृष्ण के प्रति भाव को अपने हृदय में संग्रहित करने की आवश्यकता है तब ही तीर्थ की स्थापना सम्भव हो सकेगी। सभी ब्रजवासी व उनके माध्यम से यहां आने वाले लोगों के मन में भगवान श्रीकृष्ण की सत्य निष्ठा, उनका सद्भाव को अपने अन्दर समाहित करना होगा। आप सभी ब्रजवासियों के कारण यह एक अच्छी शुरूआत है। आप सभी को मानना होगा कि भगवान ने हमें इस कार्य के लिए चैतन्य रूप में व्यवस्थित करने के लिए लगाया है। यहां कि हर बस्तु को, हर वृक्ष को संग्रहित करने की आवश्यकता है, हमें सत्य निष्ठा के साथ ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन शुरू करना होगा। इस अवसर पर ब्रज के मर्धन्य विद्वान श्रीवत्स गोस्वामी जी ने उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ जी ने महाभारत के बाद समूचे ब्रज को ही श्रीकृष्ण का संग्रहालय बना दिया था। जीवन्त संग्रहालय चौरासी कोस में धाम रूपी संग्रहालय बज्रनाभ जी ने ही बनाया, उसके बाद में ब्रजसेवी फेडरिक सामन ग्राउस ने मथुरा में संग्रहालय बनाया। उन्होंने कहा कि ब्रज एक सतत श्रृष्टि है तभी संवत् 2081 और सन् 2024 में भी ब्रज जीवन्त है। लोक के आधार पर ही शास्त्र की रचना हुई है। श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी कला साधना, आराधना में जितने शिल्प आते हैं। वह सब भी लोक की ही देन हैं। तभी तो गाया जाता है कि ‘‘अनौखों री जायो ललना, मैं वेदन में सुन आई, मैं खेतन में सुन आई’’ श्रीकृष्ण आज भी लोक और शास्त्र में जीवित हैं। ब्र
लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय का संकल्प डॉ0 उमेश चन्द शर्मा ने लिया है जो की एक सराहनीय कार्य है। ब्रज संस्कृति यदि जीवन है तो संग्रहालय भी जीवन्त है। संग्रहालय मानव जीवन से जुड़ी गतिविधियों का दर्पण होना चाहिए। इस अवसर पर सभी का आभार व्यक्त करते हुए डॉ0 उमेश चन्द शर्मा ने कहा कि इस संग्रहालय की आधारषिला 07 अक्टूबर 2000 में रखी गयी थी जिसमें ब्रज के महान संत महन्त की उपस्थिति थी, अनेक लोगों का योगदान इसमें रहा है, यहां प्रदर्शित कला और शिल्प को अभी पूरी तरह से नहीं रखा जा सका है। अभी और भी कला रत्न प्रदर्शित किये जाने बाकी हैं हम जल्द ही आम जन मानस के लिए उन्हें भी प्रदर्शित करने का प्रयास करेंगे।
इस अवसर पर आचार्य पद्म नाभ गोस्वामी, विष्णु दास गोयल शोरा वाला, दीपक गोयल, आर. पी. यादव, सोहन लाल, दिनेष खन्ना, कपिल उपाध्याय, मुकेष शर्मा, उदयन शर्मा, राधावल्लभ मंदिर सेवायत आनंदलाल गोस्वामी, सुरेश चंद्र शर्मा, सुमनकांत पालीवाल, सुकृत गोस्वामी, सुनील शर्मा (पत्रकार), गोपाल शरण शर्मा, डॉ0 विनोद बनर्जी, मुकेश गोतम, डॉ0 शिवांगी गोतम, दीपक गोस्वामी, प्रियव्रत शर्मा, वीरेन्द्र सिंह, मुकेश गौतम, विनीत शर्मा, सतीश बघेल, सुप्रिया गोस्वामी, हेमू, रमाशंकर शर्मा, महेश प्रसाद, राजेन्ड एडवोकेट, सुरेन्द्र कौशिक, वीरपाल सिंह, हेमलता, सुमनलता, शान्तनु अमित, नन्द किशोर, सुनील सिंह, बाबा जयकृष्णदास, सुभाष, हुकुम चन्द तिवारी एडवोकेट, कवि अशोक अज्ञ, सत्य प्रकाश, डॉ0 नीतू गोस्वामी, विज्येता चतुर्वेदी, बबूलू, मोहित गुप्ता, ब्रजेन्द्र सिंह, चन्द्र प्रकाश सिंह सिकरवार, प्रकाश, दीपक पं. सुरेश चन्द्र शर्मा, ब्रषभान गोस्वामी, पालिवाल, डॉ. रिपुसूदन मिस्त्री, रवि भाटिया, ओम प्रकाश डागुर, सत्येन्द्र नकुल, रंजीत, रामेन्द्र, श्रेया शर्मा, उभा शर्मा,, सीमा मोरवाल, रजत शुरला, मधु तोमर, श्रुति शर्मा, आदित्य राज, श्रीयश, गौरी शंकर शर्मा, प्रांशु, कमल, सतीश सिंह, नारायन सिंह, प्रेम पाल, ब्रजेन्द्र सिंह, राधावललम शर्मा, अमित, मीना, उमाशंकर श्रीवास्तव, अशोक अग्रवाल, कृष्ण बंसल, रेनु दत्ता, साधना गुप्ता, डॉ. अनुजा चौधरी, तुसार जैन, अनन्त स्वरूप बाजपेयी, पवन शर्मा, मयूर कौशिक, विजय विद्यार्थी आदि लब्ध प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अंजू सूद ने किया।