शनिवार, 31 जनवरी 2015

हिक्की ने सिखाई लडाकू और जुझारू पत्रकारिता

देश में पहला समाचार पत्र 1780 मेें निकला था
हिक्की दिवस के रूप में मनाया पत्रकार दिवस

(सुनील शर्मा)
मथुरा। पत्रकारिता की शुरूआत के विषय में आम धारणा है कि 30 मई को भारत में पत्रकारिता का जन्म हुआ लेकिन शायद कम ही लोगों को मालुम होगा कि हमारे देश में पत्रकारिता की बास्तविक शुरूआत 29 जनवरी 1780 में एक अंग्रेज ने की थी जो व्रिटिश सामराज्य के खिलाफ ही पत्र निकाल कर उनकी गलत नीतियों का विरोध करता था
साल 1780 में 29 जनवरी के दिन भारत में पहली बार ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कर्मचारी जेम्स अगस्टस हिक्की ने ‘‘बंगाल गजट’’ या ‘‘दी कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’’ नाम से अखबार कलकत्ता से प्रकाशित किया था। इस समाचार पत्र को ‘‘हिक्की गजट’’ के भी नाम से भी जाना जाता था। यह अंग्रेजी भाषा में साप्ताहिक पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ था। इस पत्र के प्रकाशन के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए हिक्की ने लिखा था कि ‘‘इसके प्रकाशन का उद्देश्य’’ न मात्र मेरी समाचार पत्र प्रकाशन की इच्छा अथवा रुझान है वरन् इसका उद्देश्य शारीरिक दासता के बदले मन और आत्मा की स्वतंत्रा को प्राप्त करना है।
इससे पहले समाचार पत्र ब्रिटेन से आते थे जो कि कई सप्ताह विलम्ब से भारत पहुंचते थे। हिक्की के इस पत्र की लोकप्रियता और उस समय के पाठक वर्ग ने सराहा और लोग इसको पढ़ने के लिये एक स्थान पर एकत्र होते थे। उस वक्त अंगे्रज सरकार के लिये हिक्की का यह समाचार पत्र सिर दर्द बन गया था। और इसकी दिनों दिन मांग बढती गई और पाठक भी अधिक मात्रा में मिलते गये। उसने इस समाचार पत्र की नीति को ‘साप्ताहिक राजनीतिक एवं व्यवसायिक समाचार पत्र’ के रूप में घोषित की। यह पत्र बिना दबाव के सबके लिए ‘खुला’ भी घोषित किया। यह भारत का प्रथम आधुनिक ‘‘साप्ताहिक’’ समाचार पत्र था। यह समाचार पत्र दो पृष्ठों का 12 गुणा 8 इंच के आकार में प्रकाशित होता था। हिक्की ने अपने इस समाचार पत्र में ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स एवं उस समय के भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति इलीजा इम्पे तथा अन्य कम्पनी के कर्मचारियों के ऊपर विशेष रूप से प्रहार करना प्रारम्भ किया। इस प्रकार हिक्की गजट मुख्य रूप से ईस्ट इंडिया कम्पनी प्रशासन के खिलाफ था। अतः वारेन हेस्टिग्स ने हिक्की को चेतावनी भी दी परन्तु हिक्की प्रेस एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिए निरन्तर आगे बढ़ते रहे। 14 नवम्बर, 1780 के एक आदेश के द्वारा हिक्की के समाचार पत्र को प्रदान की गयी डाक सुविधा भी समाप्त करने का आदेश वारेन हेस्टिंग्स ने दिया।
हिक्की को एक समाचार प्रकाशित करने के मामले में न्यायालय ने उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश भी दिया परन्तु हिक्की निजी मुचलके पर रिहा हो गए। न्यायालय के नियमों के तहत हिक्की को दोषी पाया गया और उन पर चार माह की सजा तथा 500 रुपये का जुर्माना किया गया। हिक्की समाचार पत्र को जेल से भी लिखते रहे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के संचालकों की धारणा थी कि हिक्की के जेल में जाने के बाद समाचार पत्र का प्रकाशन बन्द हो जाएगा। परन्तु, उनकी यह धारणा निराधार निकली और समाचार पत्र नियमित प्रकाशित होता रहा। हिक्की के समाचार पत्र से परेशान होकर वारेन हेस्टिंग्स और इम्पे ने इसे बन्द कराने की ठान ली। हिक्की पर जुर्मानों और जेल की सजा का दौर चला। हिक्की की आर्थिक दशा इस प्रकार की नहीं थी कि वह अधिक दिनों तक शासन से लड़ सकें। परिणाम स्वरूप मार्च 1782 को ‘‘बंगाल गजेट’’ प्रेस को प्रतिबंधित कर दिया गया। इस प्रकार भारत का प्रथम नियमित समाचार पत्र समाप्त हो गया। ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स एवं सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति इलीजा इम्पे ने हिक्की को देश निकाला करते हुए उसका वोरिया बिस्तर बांध कर पानी के जहाज से लन्दन के लिये रवाना कर दिया था रास्ते में ही हिक्की की मौत हो गयी थी और वह हमेशा हमेशा के लिये गुमनामी में चला गया। लेकिन आज भी इतिहास में हिक्की का नाम जिन्दा है।
भारत के प्रथम समाचार पत्र के संस्थापक जेम्स अगस्टस हिक्की को स्मरण करते हुए 29 जनवरी को कुछ पत्रकारों ने एक गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें आगरा से टाइम्स आॅफ इन्डिया के ब्रज खन्डेलवाल जी ने काॅन्फरेंस के जरिये उपस्थित पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि पत्रकारिता दिवस कौन सा है हम हमेशा से 30 मई को ‘‘उतन्ड मातण्ड’’ की शुरूआत को ही पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे है जबकि वास्तविकता में इस दिन हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआत हुई थी जबकि भारत में पहला समाचार पत्र 29 जनवरी 1780 में शुरू हुआ था अगर भाषा की वात न की जाय तो शुद्ध पत्रकारिता के विषय में यदि वात करें तो इसकी शुरूआत एक अंगेज ने अंग्रेज हकूमत के खिलाफ समाचार पत्र निकाल कर लडता रहा। उसकी पिटाई भी हुई मारा गया पीटा गया फिर भी वह सत्ता के खिलाफ लडता रहा विना किसी भेदभाव के गरीबों और मजबूरों के लिये लडता रहा सेवा भावना से सामाजिक सरोकार के लिये उंच नीच गरीब अमीर की परवाह किये विना ही उसने इनके हितों को ध्यान में रखकर कार्य किया। यहां तक कि हिक्की ने वारेन होस्टिंग की पत्नी के विषय में भी लिखा था कि उसको कपडे़ पहनने का सलीका नही आता है।
श्री खन्डेलवाल ने कहा कि हमें सेवा भावना से समाजिक सरोकारो से विमुख नही होना चाहिए स्टेबलिस्टसमेन्ट से लडते रहो। यहां भाषा का कोई मतलब नही है पत्रकारिता कब शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि आज की चाटुकारिता की पत्रकारिता नही करनी चाहिए जझारू पत्रकारिता को आगे बढाना चाहिये। हिक्की एक लडाकू व जुझारू पत्रकार था उसने हमें सिखाया कि हम लोगों की आवाज बनें।
इस अबसर पर सुनील शर्मा, पवन गोतम, रहीश कुरेशी, सत्यपाल सिंह आदि उपस्थित थे।