शुक्रवार, 23 मार्च 2018

आजकल फेसबुक डाटा लीक मामला खूब सुर्खियों में है।


आजकल फेसबुक डाटा लीक मामला खूब सुर्खियों में है।
सुनील शर्मा
ऐसा हो भी क्यों न आपकी हमारी सभी की निजी जानकारियों से जुडा मामला जो ठहरा, फेसबुक पर हम अपनी फोटो, अपने परिवार के हर सदस्य की फोटो बडे़ ही शौक से फेसबुक पर शेयर करते हैं। अपने आप को गर्व महसूस करते हैं कि पत्नी के साथ या परिवार के साथ कहां कहां घूमने गये। फोटो ली और डाल दी फेसबुक पर यह सबको पता चल जाता है कि आपकी पत्नी कौन है, आपके पति कौन है, आपकी बेटी कौन है तथा बेटा कौन है, कहां कहां पढ़ते हैं। आप कहां पढे़ हैं, कहां तक पढे़ हैं। आपके कौन-कौन मित्र हैं। आप कहां रहते हैं तथा आपकी रूचि क्या है। आप किस-किस को पसन्द करते हैं। यहां तक कि आप किस पार्टी या नेता को चाहते हैं दिन भर अपने चहेते नेताओं को कौसने का काम या उनकी प्रशन्सा करते हैं। यह सब जानकारियां फेसबुक के पास है और हमेशा रहेंगी। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने तो अपनी गलती मान ली है और आगे ऐसा नहीं होगा यह भी कह दिया है। शायद ऐसा होगा भी। शायद आपको पता नहीं है कि आपकी जानकारी आपके आस पास ही मोबाइल की दुकान का मालिक भी आपकी जानकारी व आपके मोबाइल नम्बर की जानकारी किसी और को बेच रहा है।
यह काम हर गली मौहल्ले में हर कस्बे में खुली दुकानों से होता है और यही नही मोबाइल का सारा का सारा डाटा किसी न किसी को बेचा जाता है। जब आप अपने मोबाइल को रिचार्ज कराने के लिए जाते हैं तो वह एक बडे़ से रजिस्टर में आपके नम्बर को लिखता है या आपको नम्बर लिखने को कह देता है। और हम सब सहज भाव में दुकानदार के रजिस्टर या कापी में अपने नम्बर को दर्ज कर देते हैं। एक कापी या रजिस्टर के भरने से दूसरा रख दिया जाता है लेकिन किसी को नही पता होता है कि यह रजिस्टर भी कम्पनियां खरीद कर ले जाती है। यह भी बड़ी-बड़ी कम्पनियों के विज्ञापन प्लानिंग का एक हिस्सा होते है।


आपने कभी सोचा है कि आपके पास इन्श्योरेन्स कम्पनी या अन्य तरह-तरह के उत्पाद बेचे जाने के लिये अक्सर अन चाहे कॉल आते है। ‘‘आपको ऑफर दिया जा रहा है’’, ‘‘आपकी लाटरी निकली है’’, बैक की तरफ से फोन किया गया है कि ‘‘आप अपने एमाउन्ट या अन्य जानकारियां दें’’, टटलुओं के फोन भी आते हैं कि ‘‘सौने की ईंट मिली है हमें बेचनी है’’ आदि-आदि हम आसानी से इनके झांसे में आकर और इनके हाथों ठगी का शिकार हो जाते है। महिलाओं को इस प्रकार कॉल अधिक आते हैं। क्यों कि महिलाओं को आसानी से जाल में फंसाया जा सकता है।
इसके साथ ही यदि आपके घर पर पत्नी या बच्ची है और उसे अपना मोबाइल रीचार्ज कराना हो तो वह पडौस की दुकान से रीचार्ज कराने चली जाती है और उसी रजिस्टर में वह भी अपना नम्बर अंकित कर आती है। तो गली मौहल्ले के आस पडौस के असामाजिक तत्व लडकियों को वेबजह फोन करके परेशान करने की घटनाएं भी होती हैं। क्यों कि उनको लडकियों के नम्बर उस रजिस्टर से आसानी से मिल जाते है।
आपने कभी सोचा है कि चुनाव आते ही कुछ रिकार्ड की गई कॉल भी आती है जिसमें कहा जाता है कि ‘‘मैं अमुक विधायक या सांसद का प्रत्याशी बोल रहा हूँ’’, या ‘‘आपके शहर का जनप्रिय प्रत्याशी या आपका जाना पहचाना आपका अपना बोल रहा हूँ आप मुझे वोट करें या मुझे एक मौका अवश्य दें’’। या पार्टी का ही कॉल आ जाता है कि अबकी वार ....। सबको देखा बार बार अबकी बार.....। यह सब कॉल कैसे और कहां से आती हैं। असल में कुछ सर्वे का काम करने वाली कम्पनियां साम दाम दण्ड भेद या किसी भी जुगाड से इस प्रकार के डाटा को आपके पास की दुकान से हांसिल करती हैं और यह एक चैन के रूप इस प्रकार के डाटा की कीमत देकर खरीदा जाता है। फिर कम्पनी इस प्रकार के डाटा को चुनावों में प्रत्याशी को बता कर कि हमारे पास आपके शहर के इतने लाख लोगों के मोबाइल नम्बर हैं इसी के आधार पर प्रत्याशी या कम्पनियां समय-समय पर आपको मोबाइल पर तरह-तरह के उत्पाद या बीमा बेचने से लेकर तरह-तरह के ऑफर बता कर आपको परेशान करते हैं।
चुनावों में नेताओं के विज्ञापन भी आपको सुनने पडते हैं तथा समय-समय पर जैसे नववर्ष, होली, दीपावली, जन्माष्टमी की शुभकामनाएं, आपको न चाहते हुए भी सुननी पडती है। जैसे ‘‘मैं .....बोल रहा हूँ आपको नववर्ष मंगलमय हो’’ ऐसा एक वर्ष या पांच वर्ष इस लिये सुनाया जाता है कि आप नेता जी को कभी भूलें नहीं और चुनाव आने पर आपकी स्मृति में नेता जी की छवि और उनके मीठे बोल जो उन्होंने पूरे पांच वर्ष सुनाये हैं वह आपको याद आ जावें।
इसके लिये तमाम नेताओं ने अपने यहां कम्प्युटर भी लगा रखे है तथा स्टाफ भी लगा रखे हैं जो इस काम को करते हैं इसके लिए एक डौंगल भी खरीद कर अपने कम्प्युटर से अटैच कर रखे जाते हैं जिसमें शहर भर के लागों के मोबाइल फोन का डाटा खरीद कर उसमें डाल दिया है। दिन भर डाले गये डाटा के हिसाब से हर एक मोबाइल पर नेता जी का मैसेज पहुंचता रहता है। ‘‘मैं बोल रहा हूँ आपका अपना जनप्रिय आपको शुभकामनाएं’’। आपको न चाहते हुए भी उस मैसेज को सुनना ही पडेगा चाहें आप कितने भी व्यस्त हों या आप अपनी गाडी चला कर या बाइक पर जा रहे हों आपको नेता जी का मैसेज या किसी कम्पनी का मैसेज सुनना ही पडता है।
हर मोबाइल कम्पनी के पास अपने-अपने उपभेक्ताओं की पूरी जानकारी होती है वह उपभेक्ताओं की जानकारियों को भी बेचा या किसी को दिया जा सकता है। यह काम राजनैतिक पार्टियां और बड़ी-बड़ी कम्पनियां भी अपने-अपने लाभ के लिये करती हैं।
क्या इस प्रकार के डाटा की चोरी या खरीद फरोक्त को रोका जायेगा।
सुनील शर्मा मथुरा