बुधवार, 28 अगस्त 2013

मंदिरों में अलग अलग तरह से मनाई जाती है जन्माष्टमी

श्रीधाम वृंदावन आने का सौभाग्य प्राप्त होने पर भी यदि वृंदावन में बाँकेबिहारी के दर्शन न किये जाये तो तीर्थ करना अधूरा ही रह जाता है। 
बाँकेबिहारी के मंदिर का निर्माण लगभग संवत् 1921 में हुआ इस मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी के वंशजों के सामुहिक प्रयासों से हुआ। आरंभ में किसी धनी मानी व्यक्ति का धन इस मंदिर में नहीं लगाया गया। 
श्रीस्वामी हरिदास जी बाल्यकाल से ही संसार से विरक्त थे। वह एक मात्र श्यामाश्याम का ही गुणगान किया करते थे। यमुना के निकट निर्जन स्थान पर युगल छवि में ध्यान मग्न रहा करते थे। उन्होंने 25 वर्षों की अवस्था में विरक्तवेश ले लिया था।
आप ने जहां जिस स्थान पर निधिवन में युगल छवि का ध्यान किया था। वहीं पर श्रीविग्रह भूमि से बाहर निकाले जाने का स्वप्नादेशानुसार श्रीस्वामी जी की आज्ञा पाकर श्री विठल विपुल आदि शिष्यों ने बाँके बिहारी को भूमि से प्राप्त किया था। आज बाँके बिहारी अपनी रूप माधुरी से विश्व के तमाम लोगों को रिझाते हैं। यहां वर्ष में एक ही दिन हरियाली तीज को ठाकुर स्वर्ण हिंडोले में विराजते हैं जिसके दर्शनों को लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। चैत्र मास की एकादशी से श्रावण मास की हरियाली अमावस्या प्रतिदिन ठाकुर जी का फूल बंगला सजाया जाता है। 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाँके बिहारी के मंदिर में कोई विशेष आयोजन तो नहीं होते है लेकिन यहां जन्माष्टमी का अभिषेक रात्री 2ः30 के करीब होता है। प्रातः 5 बजे से मंगला आरती के दर्शन होते हैं। यहां की एक विशेषता और है कि बाँके बिहारी जी की निकुंज सेवा होने के कारण आरती में कोई शंख घण्टा घडि़याल नहीं बजते शान्तभाव में आरती होती है।

गोविन्द देव जी का मंदिर
श्रीगोविंद देव जी का मंदिर वृंदावन में प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली का लाल पत्थर का बना प्राचीनतम मंदिर है वर्तमान स्वरूप में जो मंदिर दिखाई देता है यह भवन औरंगजेब के अत्याचारों एवं क्रूरता का साक्षी है। इसके ऊपर के हिस्से को तोड़ दिया गया था। आकाशचुम्बी इस मंदिर का निर्माण गौड़ीय गोस्वामी श्री रूप सनातन गोस्वामी के शिष्य जयपुर नरेश श्री मानसिंह ने सवंत् 1647 में कराया था। आताताइयों के आक्रमण करने से पूर्व ही राजा मानसिंह के जयपुर स्थित महल में यहां के श्री विग्रह को स्थानांतरित कर दिया गया था। आज भी जयपुर में गोविंददेव जी राजा के महल में विराजमान है तत्पश्चात संवत 1877 में पुनः बंगाल के भक्त श्री नंदकुमार वसु ने श्री गोविंददेव के नये मंदिर का निर्माण कराया यहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन विधिविधान से पूजा अर्चना अभिषेक का कार्यक्रम होता है। 

श्रीरंगजी मंदिर
श्री वृंदावन का यह भव्य विशाल मंदिर के सामने वाली मुख्य सड़क पर बना हुआ है। दक्षिण भारतीय शैली का अद्भुत मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सेठ श्री राधाकृष्ण, उनके बड़े भाई सेठ लक्ष्मीचंद तथा छोटे भाई सेठ गोविंद दास जी ने कराया। श्रीरामानुज सम्प्रदाय का अति विशाल मंदिर स्थापत्थ कला की दृष्टि से भारत में एक अलग स्थान रखता है। यह मंदिर आकार में बहुत बड़े भूभाग को संजोये हुए है। इसमें पांच परिक्रमाएं हैं। जो ऊँचे-ऊँचे पत्थरों के परकोटों से विभक्त है। भीतरी परिक्रमा में श्री हनुमान जी, श्री गोपाल जी, श्रीनृसिंह जी के श्री विग्रह हैं। यहां एक पुष्करणी भी है जहां वर्ष में एक बार भाद्र पद मास में गजग्राह लीला का प्रदर्शन होता है। चैथे व प्रधानद्वार बैकुण्ठद्वार और नैवेद्य द्वार से तीन विशाल द्वार बने हुए है। इसी में 60 फुट ऊँचा स्वर्णमय विशाल गरूड़ स्तम्भ (सोने का खम्भा जिसे सोने के खम्भे का मंदिर भी कहा जाता है।) चैत्र मास में विशाल रथ यात्रा भी निकाली जाती है।

श्रीकृष्ण बलराम मंदिर (इस्कॉन मंदिर)
इसका निर्माण श्री एसी भक्तिवेदान्त स्वामी द्वारा स्थापित श्रीकृष्ण भावनात्मक संघ के तत्वावधान में सन् 1975 में हुआ था। प्रभुपाद के अनेक विदेशी कृष्ण भक्तों की देख-रेख में सेवा पूजा आदि समस्त व्यवस्थाएं सम्पन्न होती हैं यह मन्दिर अंग्रेज मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। तीन सुंदर कक्षों में बायी ओर निताई गौरांग महाप्रभु मध्य में श्रीकृष्ण बलराम के अति मनोहारी छवि विराजमान है तो दायीं ओर श्रीराधाश्यामसुंदर युगल किशोर सुशोभित हैं। सभी श्री विग्रह अद्भुद वस्त्र आभूषण पुष्प मालाओं तथा मणिमय अलंकारों से श्रृंगारित होकर दर्शकों के मन को आकर्षित करते है। यहांँ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भजन कीर्तन तथा प्रसाद वितरण होता है। रात्रि में अभिषेक का कार्यक्रम होता है, लाखों तीर्थ यात्री मंदिर में आते हैं।

मथुरा में द्वारकाधीश मन्दिर
मथुरा में असकुण्डा बाजार में स्थित यह मन्दिर सांस्कृतिक वैभवकला और सौंदर्य के लिये अनुपम है। इस मन्दिर का निर्माण सन् 1814-15 में ग्वालियर राज्य के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुल दास पारीख ने कराया था। इनकी मृत्यु के उपरांत इनकी सम्पत्ति के उत्तराधिकारी सेठ लक्ष्मीचंद ने मंदिर के निर्माण को पूर्ण कराया था। 1930 में इस मंदिर की सेवा पूजा पुष्टिमार्गीय वैष्णव आचार्य गोस्वामी गिरधर लाल जी कांकरौली को भेंट स्वरूप दे दिया था। यहाँ सेवा पूजा अर्चना पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय के अनुसार ही होती है। श्रावण मास में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां सोने व चाँदी से निर्मित हिंडोले को देखने आते है। यहां जन्माष्टमी के दिन 108 सालिगराम का पंचामृत अभिषेक होता है तथा यहां अष्टभुजा द्वारकानाथ के श्रीविग्रह का भी पंचामृत अभिषेक किया जाता है। 

श्रीकृष्ण जन्मस्थान
यह मथुरा का एक मात्र पवित्र धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी स्थान पर स्थित कंस के कारागार में हुआ था। वर्तमान समय में इस स्थान पर भव्य मंदिर स्थापित है जिसे देखने वर्ष भर लाखों तीर्थ यात्री श्रद्धालु पर्यटक आते हैं।
देश-विदेश से लाखों यात्री प्रतिवर्ष तो आते ही है लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां जन्माष्टमी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ के विशाल मंच पर रासलीला नाटक, कथा प्रवचन आदि उत्सव नित्य प्रति होते रहते हैं।
जन्माष्टमी के दिन रात्रि के 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय श्रीविग्रह का पंचामृत अभिषेक होता है। इसके बाद श्रद्धालु नाचते, गाते, कीर्तन करते हुए भाव विभोर हो जाते हैं। 
इस मंदिर का निर्माण महामना मदन मोहन मालवीय जी की सद्प्रेरणा से जुगल किशोर विड़ला व जय दयाल डालमियो ने कराया था विशाल भागवत भवन का निर्माण भी उन्हीं के द्वारा कराया गया था।

केशवदेव में जन्माष्टमी एक दिन पूर्व मनाई गई
मथुरा। प्राचीन केशव मंदिर में एक दिन पूर्व मनाई गई जन्माष्टमी पंचामृत अभिषेक के पश्चात आकर्षक झांकियों में हुए दर्शन हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने देर रात को भगवान केशव देव के अभिषेक के दर्शन किए। 
जन्म के दर्शन से पूर्व भजन-कीर्तन चलते रहे। महिला-पुरुष नाचते-गाते रहे। पुराने केशवदेव की प्रतिमा को जगमोहन से बाहर लाया गया। रात्रि ठीक 12 बजे गोस्वामियों ने अभिषेक कराया। दही, मधु, शक्कर, दूध, जल से अभिषेक कराने के बाद भव्य दर्शन हुए। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलते ही सभी दोनों हाथ उठाकर जय कन्हैया लाल की, कह उठे। शंख, घंटा, घडि़याल बज उठे चारों ओर रोशनी की गई थी मंदिर में विद्युत सजावट से जगमगा रहा था। 
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श्रीकृष्णा जन्माष्टमी पर समूचा ब्रज जय कन्हैया लाल की के उद्घोषों से गूंजा
चैतरफा रही भण्डारों की धूम
तीर्थ विकास परिषद द्वारा यमुना पैलेस व कृष्णानगर में बेरीवाल कॉम्पलैक्स पर रही तीर्थयात्रियों की भीड़
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर सुबह से ही लोग बंदरवार, फूलमाला, केला के पत्ते आदि सामान खरीदते नजर आये। वहीं बाहर से आए श्रद्धालु श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारकाधीश मंदिर की ओर बढ़ते नजर आए टोल के टोल राधे-राधे का कीर्तन करते बोल कृष्ण कन्हैया लाल की जयकारा लगा कर मंदिरों की ओर जा रहे थे। 
नगर के चारों तरफ के रास्तों को जिला प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से वाहनों को बेरीकेटिंग करके बंद करा दिया था। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मीलों पैदल चलकर मंदिरों तक पहुंचना पड़ा। जगह-जगह भण्डारा पूड़ी, हलवा, खीचड़ी तथा व्रत का प्रसाद वितरण किया जा रहा था। 
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मनोहारी विद्युत लाइटों से सजावट किया गया। नगर में हर तरफ सजावट मंदिरों में जन्माष्टमी की धूम दिखाई दे रही थी। विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्माष्टमी देखने पहुंचे। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर आज समूचे बृजमण्डल में आपार श्रद्धा और भक्ति का वातावरण बना हुआ है। शहर के बाजार और घर-घर पर लगे वंदनवार और सजाबट देखते ही बनती है। समूचे बृज में कान्हा के जन्मोत्सव की धूम मची हुई है। मंदिर द्वारिकाधीश, श्रीकृष्णजन्मस्थान को जाने वाले सभी मार्ग सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से भरे पड़े थे। सुदूर प्रांतों से कान्हा के जन्मोत्सव में शामिल होने आये भक्तों के स्वागत सत्कार में बृजवासियों ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। मुख्य बाजारों में स्थान-स्थान पर पूड़ी सब्जी और व्रत से जुड़े आहार के वितरण में समाजसेवी और व्यवसायिक संस्थान अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। तीर्थ यात्रियों की सुख सुविधा के लिए स्थान-स्थान पर लगाये गये भण्डारे और ठण्डे पानी के प्याऊ के अलावा चाय का वितरण भी जगह जगह किया जा रहा था। जन्माष्टमी एवं नन्दोत्सव के मौके पर फलाहारी प्रसाद तीर्थयात्रियों एवं भक्तों में वितरित किया गया। शहर के कैन्ट रेलवे स्टेशन के निकट टैम्पू स्टैण्ड, क्वालिटी तिराहे, पुराने बस स्टैण्ड, जवाहर हाट, पुराने डाक खाने के निकट आगरा रोड व्यवसायी समिति द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के छप्पनभोगों के दर्शनों के साथ भण्डारे का आयोजन किया गया। कृष्णा नगर स्थित गोवर्धन चैराहे के निकट समाजसेवी अशोक बेरीवाल द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। इसके अलावा अप्सरा सिनेमा के सामने जीएमसी सर्राफा मार्केट गुरूद्वारे के निकट मुकुंद कॉम्पलेक्स, होलीगेट चैराहे, कोतवाली रोड, भरतपुर गेट, दरेसीरोड, डीगगेट, आर्य समाज रोड, छत्ताबाजार, विश्राम बाजार, स्वामी घाट, डोरीबाजार, चैकबाजार, वृंदावन दरबाजा, घीयामण्डी क्षेत्रों में भण्डारों के आयोजन किये गये। भण्डारों के आयोजनों के कारण आज बृजभूमि में अधिकांश खान-पान की दुकाने या तो बंद रही अथवा उन पर सन्नाटा छाया रहा। इस बार  अन्ना हजारे के समर्थकों ने भी अन्ना हजारे के पोस्टर वेनर लगा कर भण्डारे का आयोजन किया और श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया तथा जगह जगह प्याऊ भी लगाई। 

मथुरा के स्कूलों में भी मनाई गई जन्माष्टमी
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व वेला में स्थानीय लोग ब्रजवासियों ने लाला कन्हैया का जन्म-गीत, नृत्य, कृष्ण-झांकी और आरती के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया। घर घर  में वंदनवार बांधी गई थीं, हल्दी के मंगलसूचक थापे लगाए गये थे और कृष्णजन्म के लोकगीत गूंजते रहे। यहां स्कूल काॅलेजों में भी बाल-कलाकारों ने सामूहिक रूप से गायन किया-मथुरा में जमंन भयौ कन्हैया जू कौ हरे-हरे, कन्हैया जू कौ जनंम भयौ। ‘‘दुस्ट कंस के कारागृह में कटे देवकी फंद, कारे कजरारे मेघों में उदित भयौ एक चंद’’, अमृत रस बरस उठा। जगह जगह श्रीकृष्ण जन्म की कथाओं का वर्णन किया जा रहा था जगह जगह लोग नाच गा रहे थे। विभिन्न लीलाओं को रास के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया जा रहा था। 

घर घर जन्मे कृष्ण कन्हाई!

गीता के नायक, लीला पुरूषोत्तम, योगीराज श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णा अष्टमी को हुआ था। देश के प्रायः सभी प्रान्तों में श्रीकृष्णजन्माष्टमी का पर्व असीम श्रद्धा,भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी का यह पर्व विदेशों में भी धूम धाम से मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर ब्रज के कण कण में अपूर्व हर्षोल्लास छा जाता है। आज भी घर आगंन को गोवर से लीपा जाता है चैक पूरे जाते हैं द्वार पर बंदरवार बांधी जाती है, मंगल सूचक थापे लगाये जाते हैं और फूलों से पालने को सजाकर ब्रजकी बालाएं गाती हैं।
‘‘डोरी फूलन को पालनों, आजु नन्द लाला भए’’।
ब्रज के घर घर में भगवान को नये वस्त्र पहना कर उनका श्रंगार करके झांकियां सजाई जाती है। महिलाएं अपने यहां रखे सालिगराम की वटिया को एक खीरे में रख कर डोरे से बांध कर श्री कृष्ण के जन्म समय मध्य रात्रि को 12 बजे उसे खीरे में से निकाल कर पंचामृत स्नान कराती हैं। इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक रूप में जन्म की भावनाएं संजोई जाती हैं। स्त्री पुरूष बच्चे भी श्री कृष्ण के जन्म के दर्शन के उपरान्त ही अपना व्रत खोलते हैं।
मथुरा स्थित कंस का कारागार स्थल भगवान केशवदेव और नगर के मध्य विराजमान ठाकुर द्वारकानाथ द्वारकाधीश मंदिर में इस दिन विशेष दर्शन होते हैं। इस अवसर पर अपार जनसमूह उमड़ पड़ता है।
ब्रज के प्रत्येक घर आंगन में शंख घन्टा घडि़याल की ध्वनि ऐसे गंज उठती है मानों वहां किसी बालक का जन्म हुआ हो इस प्रकार ब्रज के हर घर घर में कृष्ण जन्म लेते हैं लोग आपस में बधाईयां देते हैं भक्ति भावनाओं में विभोर होकर ब्रजवासी नांचने गाने लगते हैं ‘‘नन्द के आनन्द भए जय कन्हैया लाल की’’ गाते हुए हर तरफ टौलियां नजर आने लगती है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि के समय कंस के कारागार में होने के वाद उनके पिता वसुदेव जी कंस के भय से बालक को रात्रि में ही यमुना नदी को पार कर नन्द बाबा के यहां गोकुल छोड़ आये थे। इसी लिए कृष्ण जन्म के दूसरे दिन गोकुल में नन्दोत्सव मनाया जाता है। भाद्र पद नवमी के दिन समस्त ब्रजमंड़ल में नन्दोत्सव की धूम रहती है। यह उत्सव दधिकांदों के रूप मनाया जाता है दधिकांदो का अर्थ है दही की कीच। हल्दी मिश्रत दही फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। मंदिर के पुजारी नन्दबाबा और जशोदा के वेष में भगवान कृष्ण के पालने को झुलाते हैं। मिठाई, फल व मेवा मिश्री लुटायी जाती है। श्रद्धालु इस प्रसाद को पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। 
वृंदावन में उत्तर भारत के विशाल श्री रंगनाथ मंदिर में ब्रज नायक भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। नन्दोत्सव के दौरान सुप्रसिद्ध लठ्ठे के मेले का आयोजन किया जाता है। धर्मनगरी वृंदावन में श्री कृष्ण जन्माष्टमी जगह-जगह मनाई जाती है किन्तु उत्तर भारत के सबसे विशाल मंदिर में नन्दोत्सव की निराली छटा देखने को मिलती है। दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर में नन्दोत्सव के दिन श्रद्धालु लठ्ठा के मेला की एक झलक पाने को टकटकी लगाकर खड़े होकर देखते रहते हैं। जब भगवान रंगनाथ रथ पर विराजमान होकर मंदिर के पश्चिमी द्वार पर आते हैं तो लठ्ठे पर चढ़ने वाले पहलवान भगवान रंगनाथ को दण्डवत कर विजयश्री का आर्शीवाद लेकर लठ्ठे पर चढ़ना प्रारम्भ करते हैं। 35 फुट ऊंचे लठ्ठे पर जब पहलवान चढ़ना शुरू करते हैं उसी समय मचान के ऊपर से कई मन तेल और पानी की धार अन्य ग्वाल-वालों द्वारा लठ्ठे के सहारे गिराई जाती है। जिससे पहलवान फिसलकर नीचे जमीन पर आ गिरते हैं। जिसे देखकर श्रद्धालुओं में रोमांच की अनुभूति होती है। पुनः भगवान का आर्शीवाद लेकर ग्वाल-वाल पहलवान एक दूसरे को सहारा देकर लठ्ठे पर चढ़ने का प्रयास करते है। तो तेज पानी की धार और तेल की धार के बीच पूरे जतन के साथ ऊपर की ओर चढ़ने लगते हैं। कई घंटे की मशक्कत के बाद आखिर ग्वाल-वालों को भगवान के आर्शीवाद से लठ्ठे पर चढ़कर जीत हासिल करने का मौका मिलता है। इस रोमांचक मेले को देखकर देश-विदेश के श्रद्धालु अभिभूत हो जाते हैं। ग्वाल-वाल खम्भे पर चढ़कर नारियल, लोटा, अमरूद, केला, फल मेवा व पैसे लूटने लगते हैं। 
इसी प्रकार वृंदावन में ही क्या जगह-जगह भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नन्दोत्सव मनाया जाता है। ब्रहमकुण्ड स्थित हनुमान गढ़ी में नन्दोत्सव के दौरान मटकी फोड़ लीला का आयोजन किया जाता है। 15 फुट ऊंची मटकी को ग्वाल-वाल पिरामिड बनाकर मशक्कत के साथ मटकी को फोड़ते हैं। एवं दधिकांधा उत्सव का आयोजन भी होता है।

झारखण्ड़ के रांची से 16 जून से लापता यूको बैंक के सीनियर मैनेजर भटटाचार्य का आज तक पता नही चला।

झारखण्ड़ के रांची से 16 जून से लापता यूको बैंक के सीनियर मैनेजर भटटाचार्य का आज तक पता नही चला। 
झारखण्ड़ में यूको बैंक की रांची की ध्रूवा शाखा के सीनियर मैनेजर मथुरा निवासी श्री सुधीरंजन भटटाचार्य 16 जून 2013 से लापता हैं। बैंक के सीनियर मैनेजर को एक षड़यत्र के तहत अगुवा किया गया हैं। परिजनों ने उसकी तलाश में डीजीपी से लेकर पुलिस के तमाम अधिकारियों के यहां दस्तक दी तथा बैंक अधिकारियों तक से सम्पर्क साधा लेकिन कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिल पाया और कहीं से अब तक कुछ पता नही चल सका है कि आखिर बैंक मैनेजर कहां गये। उनकी पत्नी के अनुसार बैंक के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि वह रांची के दो बिल्डरों द्वारा यूको बैंक ध्रूवा व्रांच के साथ करीव तीन करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी कर ओवर ड्राफ्ट के माध्यम से बैंक के करेन्ट एकाडन्ट से रकम निकालने के वाद उस रकम को बैंक में जमा नहीं करा रहे थे। जिसे लेकर बैंक के सीनियर मैनेजर सुधीरंजन भटटाचार्य 16 जून को सिद्धार्थ गुप्ता व मनीष मुन्डा के साथ व्यक्तिगत मुलाकात कर बैंक के बकाया के भुगतान को सेटेलमेन्ट कराने की गरज से घर से निकले थे। 
मथुरा स्थित कृष्णा नगर पुलिस चैकी क्षेत्र की मधुबन एंकलेव काॅलोनी निवासी सुधीरंजन भटटाचार्य आठ माह पूर्व ही झारखण्ड के रांची की ध्रूवा शाखा में स्थानांतरित हुए थे। श्री भटटाचार्य पूर्व में मथुरा की गोविन्द गंज शाखा के अलावा आस पास के तमाम जनपदों में कार्यरत थे। मृदुभाषी किन्तु अपने में ही सीमित रहने बाले श्री भटटाचार्य किसी भी व्रांच से किसी शिकायत के दोषी नहीं थे। 
श्री भटटाचार्य ने 16 जून को रात्रि 8 बजकर 43 मिनट पर अपने छोटे भाई सुरंजन भटटाचार्य से मथुरा बात की थी। जो कि श्री भटटाचार्य की अपने परिवार से यही अन्तिम वार फोन पर वार्ता हुई थी। तब तक श्री भटटाचार्य ने पूरी तरह से ठीक हालत में बात की तथा वह किसी तरह के तनाव या अवसाद की स्थिति में बातचीत नहीं कर रहे थे। 16 जून के वाद से श्री भटटचार्य ने न तो परिवार के किसी सदस्य से बात की और न ही कोई फोन उनका मिल पाया। इसके वाद परिवार में चिन्ता होने लगी तब परिवार के सदस्यों ने जब उनके मौबाइल फोन पर सम्पर्क किया तो उनके दोनों फोन बन्द मिल रहे थे। बेटे के गम में 85 वर्षीय माँ ने बिस्तर पकड़ लिया है बहन बहनोई और परिजन परेशान हैं। आखिर झारखण्ड के रांची में कहां जाकर खोजें।उनको चिनता सता रही है कि कहीं उनकी हत्या न कर दी गयी हो। 
इसके वाद उनकी पत्नी श्रीमती सुमिता भटटाचार्य किसी तरह अपने देवर और ननद के साथ रांची पहुँची जहां उन्होंने सम्बंधित यूको बैंक की ध्रुवा रांची ब्रांच में 24 जून को बैंक के अन्य कर्मचारी श्री विश्वनाथ और श्री सी.पी सिंह से मुलाकात की तो जानकारी मिली कि उनके पति श्री सुधीरंजन भटटाचार्य करीब 8 जून से 13 जून तक छुटटी पर थे। फिर 14 जून को भी वह बैंक में डयूटी पर नहीं पहुँचे साथही 15 जून को श्री भटटाचार्य ने श्री विश्वनाथ को मैसेज किया कि वह सोमवार को बैंक जोईन करेंगे तथा उन्होंने लिखा कि वह मनीष व सिद्धार्थ से ओवर ड्राफ्ट को एडजेस्ट कराने के लिए मुलाकात भी करेंगे। श्री भटटाचार्य ने श्री विश्वनाथ को 16 जून रात्रि 8 बजकर 45 मिनट पर फिर मैसेज दिया कि मैं मनीष से मुलाकात करने के लिए बिटसा चैक पर इन्तजार कर रहा हूँ।
इसके वाद से श्री सुधीरंजन भटटाचार्य का कोई पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर 16 जून से लापता एक बैंक के सीनियर मैनेजर कहां गये। उनकी पत्नी ने बराबर फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनका कोई सम्पर्क उनसे नही हो पाया है। बताया जाता है कि सिद्धार्थ गुप्ता व मनीष मुन्ड़ा काफी प्रभावशाली व बाहुबलि बिल्डर्स हैं जिनके खिलाफ झारखण्ड़ में तथा रांची मे कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। 
श्री सुधीरंजन भटटचार्य ने अपने फ्लेट 404 जगन्नाथ एपार्टमेन्टस सिंह मोड़ लातमा रोड़, हेशंग हातिया, रांची में अपने कमरे में दो पत्र लिख कर छोडे़ हैं जोकि एक सिद्धार्थ गुप्ता व मनीष मुन्डा के नाम लिखे हैं जिसमें बैंक की ओर से ओवर ड्राफ्ट की रकम शीघ्र जमा कराने के लिए लिखा है तथा न जमा कराने की स्थिति में बैंक काननी कार्यवाही करने के लिए व बसूली करने की कार्यवाही कर सकती है। मनीष मुन्डा के पत्र में श्री भटटाचार्य ने धमकी दिये जाने व जान से मारने की धमकी का जिक्र भी किया है। साथ ही जल्द मुलाकात कर ओवर ड्राफ्ट की रकम के सम्बन्ध में वार्ता करने का जिक्र भी किया है। 
श्री भटटाचार्य की पत्नी श्रीमती सुमिता भटटाचार्य के अनुसार उन्होंने प्रदेश के डीजीपी से लेकर आईजी, एसएसपी समेत सम्बधित थाने में जाकर सम्पर्क किया था लेकिन किसी ने उनकी कोई मदद नही की। उन्होंने बताया कि यूको बैंक के जोनल मैनेजर श्री जी.पी भौमिक से भी मुलाकात की वह भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। भटटाचार्य के एक टैªवेल एजेन्ट श्री अशोक से भी सम्पर्क किया था। वह भी चुप्पी साधे हुए थे लगता है कि उनको कुछ न कुछ तो मालुम है। 
श्रीमती भटटाचार्य ने थानाध्यक्ष जगरनाथपुर थाना रांची में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें शीघ्र पति को ढूंढ कर उनके बारे सूचना देने की गुहार लगाई है।  
बैंक का स्टाफ और पुलिस पूरी तरह से बाहुबलियों के इशारे पर काम कर रही है। श्रीमती भटटाचार्य का कहना है कि बैंक से लापता बैंक अधिकारी के विषय में बैंक ने पुलिस में रिर्पोट क्यों नहीं दर्ज कराई और बैंक द्वारा समाचार पत्रों में कोई सूचना प्रकाशित क्यों नही कराई गई तथा उनके परिवार से सम्पर्क क्यों नहीं किया गया आखिर क्या बजह थी कि श्री सुधीरंजन भटटाचार्य को बैंक ने आनन फानन में निलंबित कर दिया तथा इस आशय का नोटिस भी बैक में चसपा करा दिया। बताया जाता है  िकइस घटना के वाद जोनल मैनेजर से लेकर बैंक में कार्यरत अधिकारियों को भी ट्रांसफर कर दिया गया है। 
बैंक के अधिकारियों को मनीष और सिद्धार्थ के विषय में पूरी जानकारी है। मेरे पति को किसी न किसी षड़यत्र के तहत फंसाया जा रहा है और उनके साथ कुछ भी हो सकता है। दोनो पत्रों के मजमून से और सारा घटनाक्रम तो सिद्धार्थ और मनीष की ओर इशारा करते हैं और कहीं न कहीं पुलिस और बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से इन दोनों ने ही बैंक के सीनियर मैनेजर को ठिकाने न लगा दिया हो एसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है, घटना जो भी हो सामने आनी चाहिए।