शनिवार, 10 अप्रैल 2021

सोशल मीडिया के कारण वृन्दावन कुम्भ घर घर तक पहुंच पाया

  कुम्भ की सदियों से चली आ रही आस्था, भक्ति, श्रद्धा का केन्द्र वृन्दावन कुम्भ भी समय के हिसाब से आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर देश ही नही विदेशों तक में कुम्भ पूर्व वैष्णव बैठक को लोगों तक पहुंचाया गया। लोगों ने घर बैठे ही देखा कुम्भ, हर वर्ग ने इसे देखा व समझा भी, सोशल मीडिया के कारण कुम्भ में सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम, साधु सन्तों व कथा वाचकों से कथा भागवत को लोग घर पर ही देख व सुन सके। इस व्यवस्था को मथुरा की प्रसिद्ध वीडियो एडिटिंग संस्थान पी. के. स्टुडियो के माध्यम से जाना व समझा जा सका।

सोशल मीडिया के प्लेटफार्म यूट्यूब व फेसबुक और अन्य प्रचार माध्यमों के जरिये लोगों तक वृन्दावन कुम्भ की हर गतिबिधियों को पहुंचाने का प्रयास किया। जिसको वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा के कुशल नेतृत्व में 14 लोगों की टीम ने कार्य को बखूवी निभाया। सुबह से ही कुम्भ मेला क्षेत्र में पहुंच कर पल-पल की जानकारी जुटा कर रात्रि में मथुरा पहुंचना फिर अगले दिन सुबह से लेकर रात्रि तक निरन्तर चालीस दिनों तक इस कुम्भ की यादों को समेटना फिर पूरे दिन होने बाली हर गतिबिधि पर नजर रखना और रात्रि में सांस्कृतिक पंडाल में होने बाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को यूट्यूब व फेसबुक पर लाइब के माध्यम से प्रसारण कराना रहा।  


पी. के. स्टुडियो की टीम में पी. के. गुप्ता ने स्टुडियो के साथ-साथ कुम्भ मेला क्षेत्र में सभी प्रशासनिक अधिकारियों व मेला अधिकारियों के साथ समय-समय पर समन्वय स्थापित कर किस प्रकार से इस विशाल आयोजन को यादगार बनाया जाये इसका प्रयास किया। 


टीम लीडर के रूप में कार्य कर रहे सुनील शर्मा ने बताया कि सुबह 7 बजे तक कुम्भ मेला क्षेत्र में आना और रात्रि 11-12 बजे तक मथुरा बापिस लौटना। चालीस दिनों तक निरन्तर यह क्रम चला। हमारा लक्ष्य था कि हम कुम्भ की हर छोटी बड़ी गतिबिधि को संरक्षित कर सकें। इस कार्य में हमारे सहयोगी रहे मनीष शर्मा, लवकुश सागर, प्रदीप पुजारी, रूपेन्द्र यादव लालजी, संदीप कुलश्रेष्ठ, योगेश कुमार, अरविन्द अन्नू, कृष्णमुरारी पंडित।

तीन शाही स्नान के दिनों में अपार जनसमूह के बीच साधु सन्यासियों, चार सम्प्रदाय, चतु. सम्प्रदाय, वैष्णव गौडिय सम्प्रदाय तमाम अखाड़ों के साधु सन्त अपने अपने निशान व छत्र के साथ बैण्ड बाजों के साथ निकले पहले वृन्दावन की परिक्रमा की फिर कुम्भ मेला स्थल पहुंच कर यमुना में डुबकी लगाई। साथही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी पवित्र दिन पवित्र स्नान किया। सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम किये गये थे। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा के उपाध्यक्ष शेल्जाकान्त मिश्र भी कुम्भ मेला क्षेत्र में उपस्थित रहे। मेला क्षेत्र में जिलाधिकारी नवनीत चहल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरव ग्रौवर व कुम्भ मेलाधिकारी नगेन्द्र प्रताप सिंह व उपमेलाधिकारी पंकज वर्मा एसडीएम दीक्षा जेन के अलावा तमाम अधिकारी मौजूद थे। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में कई पुलिस चौकियों का निमार्ण किया गया था भारी संख्या में जनपद व गैर जनपदों से पुलिस फोर्स की सुरक्षा के मद्दे नजर तैनाती की गयी थी।


मेला क्षेत्र के बीचों बीच संस्कृति ग्राम का पंड़ाल भी बनाया गया था जिसमें समूचे ब्रज क्षेत्र की फोटो गेलेरी के अलावा सांझी कला तथा अन्य कलात्मक धार्मिक मंदिरों तीज त्यौहारों मेलों को दशा कर साथही विगत चार वर्षों में ब्रज क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के द्वारा कराये गये विकास कार्यों की समीक्षा को दर्शाया गया था। इस पंडाल में प्रो पूअर संस्था द्वारा ब्रज क्षेत्र में गरीब व असहाय लोगों के द्वारा तैयार किये गये माला पौशाक व मुकुट श्रंगार के सामान की प्रर्दशनी भी लगाई गई थी।

संस्कृति ग्राम पंडाल के साथ ही सांकृतिक पंड़ाल भी बनाया गया था जिसमें दोपहर में स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये, रात्रि में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश व पयर्टन विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश के लोकगीत, नृत्य, भजन गायन, विरहा गीत, भोजपुरी लोकगायन, अवधी लोक गायन, राई लोकनृत्य, चरकुला नृत्य,ब्रज के लोकगीत व नृत्य, मयूर नृत्य, फूलों की होली, कृष्ण भजन, जिकड़ी भजन, आल्हा गायन, रसिया गायन, ख्याल व नौटंकी व प्रत्येक दिन रामलीला व रासलीला का मंचन किया गया, दर्शक विशाल पंड़ाल में बैठ कर रंगारंग कार्यक्रमों का आनन्द लेते थे।  


मेला क्षेत्र में हमें तरह-तरह के साधु सन्तों का सानिध्य प्राप्त हुआ उनसे वार्ता करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। तन्त्र साधकों, अघोरियों, औघड़ों तथा हठ योगियों से लेकर विशाल जटाधारी साधु सन्यासियों के विचार जानने का अवसर मिला। वृन्दावन कुम्भ में पधारे श्रीमहन्तों, महामण्डलेश्वरों व प्रख्यात कथा वाचकों के श्रीमुख से उनकी वाणी को रिकार्ड करने का अवसर प्राप्त हुआ। 

वृन्दावन कुम्भ में पहली वार पधारीं पशुपतिनाथ नेपाल से किन्नर अखाड़ा की महामण्डलेश्वर हिमांगी सखी मुख्य आकर्षण का केन्द्र थीं, कुम्भ में आने वाले हरेक श्रद्धालु व दर्शनार्थी ने उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया और प्रसाद स्वरूप उन्होंने भी हरेक को कुछ न कुछ दिया।


कुम्भ क्षेत्र में हजारों की संख्या में पंडाल लगाये गये थे मगर सबसे अधिक लोगों की भींड दो पंड़ालों में रही, एक था ढ़ाई लाख रूद्राक्ष से बना शिव लिंग और दूसरा पंडाल जिसमें वृन्दावन कुम्भ के इतिहास को दर्शाता हुआ गरूण जी अमृत कलश के साथ विराजमान थे इन दोनों ही पंडालों में युवाओं, महिलाओं, पुरूषों व बच्चों ने खूब सेल्फी लेकर अपने आपको यादगार बनाया। 

चाट, पकोड़ी, से लेकर तरह-तरह की खाने पीने की चीजों से लेकर खेल खिलौनों ने तथा तरह-तरह के झूलों ने जहां कुम्भ क्षेत्र में लोगों को आने को मजबूर ही नहीं किया आनन्दित भी किया। देर रात्रि तक लोग कुम्भ क्षेत्र में अपना मनोरंजन करते देखे गये।

कुम्भ क्षेत्र में हर धार्मिक पंड़ाल में भण्डारे का आयोजन किया गया था जिसमें श्रद्धालुओं ने खूब खीर पूड़ी, गड्ड की सब्जी, दाल चाबल, व्रत के दिन फलाहार का आनन्द लिया, कहीं-कहीं तो चाऊमीन, पुआ पकौड़ी, चाय कॉफी, फल प्रसाद वितरित किया गया। चारों तरफ आनन्द ही आनन्द था। 


जगह-जगह बड़ी-बड़ी एलसीडी पर चार वर्षों में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा द्वारा कराये गये विकास कार्यों तथा मथुरा वृन्दावन की प्रसिद्ध सांसद हेमा मालिनी को ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाये जाने के उनके द्वारा ब्रज क्षेत्र को दिये गये उदबोधन के साथ-साथ हर दिन के कार्यक्रमों को तथा ब्रज के सबसे प्रसिद्ध ब्रज वन्दना को अधिकाधिक वार देख कर लोग आनन्दित होते देखे गये।

प्रशासनिक अधिकारियों की धार्मिक आस्था के चलते इस वर्ष के कुम्भ की व्यापक व्यवस्थाओं से साधु सन्तों श्रीमहन्तों और कथावाचकों से लेकर आम श्रद्धालु भी अत्यधिक प्रसन्न थे। चौड़ी-चौड़ी सड़कों के साथ-साथ साफ सफाई की व्यापक व्यवस्था के साथ लाइट की व्यवस्था भीं दुरूस्त थी, रात्रि में चारों ओर का नजारा देखने लायक होता था जिधर तक नजर जाये रंगीन रोशनी में नहाये कुम्भ क्षेत्र को देख कर आज की युवा पीढ़ी सेल्फी लेने व अपने-अपने फोटो खीचने से रोक नहीं पाती थी। जिसमें श्याम सुन्दर मंदिर द्वारा सप्तदेवालयों के विशाल पंड़ाल की स्वचालित रंगीन रोशनी सबको भा गयी हर कोई इन लाइटों का दीवाना हो गया और घन्टों तक खड़े होकर लोग इन लाइटों को निहारते देखे गये।


सोशल मीडिया पर देश विदेश में बैठे ब्रज व मथुरा वृन्दावन को जानने व चाहने वालों में भी खासा उत्साह देखने को मिला। हर दिन होने वाले कार्यक्रमों को फेसबुक व यूट्युब पर लाइब देख रहे लोगों के बीच वृन्दावन कुम्भ ने खूब सुर्खियां बटोरीं हजारों दर्शकों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजी हैं। 

यूट््यूब पर हमारे दर्शक देवेश यादव ने हमें अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि ‘‘वृन्दावन कुम्भ में ब्रज तीर्थ विकास परिषद व संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा की की गई व्यवस्था बहुत सराहनीय हैं ब्रज की समृद्ध व अतुलनीय संस्कृति को इसके माध्यम से जानने व देखने का सुनहरा अवसर सभी को प्राप्त हो रहा है’’। इसी प्रकार ज्योति ज्योति जी ने लिखा है कि ‘‘बहुत बढिया प्रस्तुति वृन्दावन घाम की लग रहा है कि हम लोग साक्षात श्रीकृष्ण जी के दर्शन कर रहे हों’’।

फेसबुक मित्र मुनेश गोतम ने ब्रज वन्दना को देख कर लिखा है कि ‘‘ब्रज चौरासी कोस के प्रथम पड़ाव स्थल ध्रुव तपोस्थली मधुवन, महौली, कृष्ण कुण्ड, महाप्रभु जी की बैठक को भी शामिल किया जाये तथा वहां का विकास भी कराया जाये’’। राजवीर सिंह चौहान लिखते हैं कि ‘‘ अभिनन्दनीय, वन्दनीय, प्रशंसनीय है’’। हेमेन्द्र गर्ग ने लिखा है कि ‘‘ आपके द्वारा वृन्दावन कुम्भ मेले की तैयारियों से लेकर समापन तक की कबरेज की गई वह काबिले तारीफ है, वहीं प्रशासन द्वारा की गयी सुन्दर व्यवस्था से आम लोगों को काई परेशानी न हो इसका विशेष ख्याल रखा गया मैं मेले में तैयारियों से लेकर अन्त तक जुड़े रहे सभी लोगों को बहुत-बहंत धन्यवाद देता हूँ।


आर पी गुप्ता गहोई जी लिखते हैं कि ‘‘इनमें से बहुत से स्थानों की यात्रा जानकारी के अभाव में श्रद्धालु नहीं कर पाते हैं। सभी प्रमुख स्थानों की यात्रा जानकारी हेतु प्रशिक्षित गाइड की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु प्रयास करें। जिससे श्रद्धालुओं को ब्रज क्षेत्र की पूरी यात्रा का आनंद मिल सके’’। 

वृन्दावन कुम्भ की शुरूआत से अब तक मात्र साठ दिनों के भीतर फेसबुक उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा के पेज पर 38808 लोग पहंचे, 20100 लोगों ने हमारे फेसबुक पेज को देखा तथा 151 लोगों ने पेज को क्लिक किया। वहीं उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा के यूट्यूब चैनल को दो माह के भीतर 18392 लोगों ने देखा। जिसमें सबसे ज्यादा ब्रज वन्दना को 12747 बार देखा गया।