मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

पूजा पंड़ाल में देवी दुर्गा की मौजूदगी का अहसास !

मथुरा। मथुरा में कई जगहों पर देवी दुर्गा की पूजा के लिए पंडाल सजाये जाते हैं। जिसमें से एक पंडाल मथुरा शहर के बीचों बीच लाल दरवाजा, वृन्दावन दरवाजा क्षेत्र में होने वाली दुर्गा पूजा महोत्सव के पूजा पंडाल जिसमें पिछले 28 वर्षों से पूजा हो रही है बड़े ही भक्ति भाव के साथ पूजा की सभी विधियों का पालन किया जाता है। वर्ष 2017 की दुर्गा पूजा महोत्सव के नवमी के दिन की वात है जिस दिन मैरी बड़ी पुत्री की शादी के पूर्व आर्शीवाद समारोह (पक्का करने की रश्म) घर पर होनी थी। कलकत्ता से लड़के वालों को घर पर आयोजित समारोह में आना था। उनके आने में समय था और पूजा पंडाल से बार-बार फोन आ रहे थे कि यहां आकर पूजा की एक रश्म (कुंआरी पूजा) को पूरा कराना है चूंकी मैं दुर्गा पूजा महोत्सव का महासचिव भी हूँ इस नाते मुझे यह पूजा सम्पन्न करानी थी। मैं जल्दी से पूजा पंडाल पहुँचा और वहां सारी तैयारियां पूरी थीं बस पूजा सम्पन्न करानी थी।
मेरे परम मित्र व छोटे भाई की चार साल की छोटी सी चुलबुली सी नटखट सी कन्या गुनगुन को कन्या पूजन के लिए चुना गया था। माँ भगवती दुर्गा की प्रतिमा के सामने विठा कर पूजा की विधि शुरू की गई। पुरोहित गौरांग मुखर्जी मंत्रों का उच्चारण करते जा रहे थे और मैं उनके बतायें अनुसार फूल, बेलपत्र, गंगा जल तथा अन्य पूजा की समग्री उस कन्या की तरफ दे रहा था।
पूजा के दौरान अचानक इतनी छोटी सी कन्या का हाव भाव कुछ बदला-बदला नजर आने लगा मैरे भी रौंये खडे़ हो गये। उक्त कन्या ने करीब दो मिनट से भी ज्यादा समय तक भगवती दुर्गा की प्रतिमा को बडे़ ही क्रोध के भाव से निहारा फिर उसने कुछ क्षण के लिये मुझे भी कुछ क्रोधित भाव से देखा यह समय कुछ मिनटों का रहा होगा इसके वाद अचानक उसमें हुए बदलाव को मैं स्पष्ट रूप से देख सकता था। मुझे कोलकाता से पधारे पुरोहित तन्त्र साधक गौरांग मुखर्जी ने मुझे धीरे से समझाया कि छोटी बच्ची पर माँ ने कुछ क्षण के लिये प्रवेश किया था। विश्वास न करने की कोई वात ही नही थी क्यों कि एक छोटी सी कन्या मात्र चार वर्ष की उसमें पूजा के दौरान अचानक बदलाव को मैं महसूस कर सकता था। जो बच्ची चुलबुली भरपूर शैतानी करने वाली हंसमुख स्वभाव की बच्ची में एक रौद्र रूप देखकर विश्वास हो गया कि माँ भगवती दुर्गा पूजा पंडाल में आती हैं। शक्ति ने अपना परिचय दिया हम उसे समझें, महसूस करें तथा उस पराशक्ति पर विश्वास करें। तभी इस संसार में जीव का कल्याण हो सकता है। उसके पाँव पूजने के क्रम में उसको सारे बस्त्र दिये गये तथा उसको छोटी-छोटी पाजेब भी पहनाई गई सभी ने उसे उपहार स्वरूप कुछ न कुछ दिया तथा फिर वह देवी प्रतिमा के पास से नीचे आकर पहले की तरह नार्मल व्यवहार करने लगी तथा शैतानी करने लगी, उछलकूद करने लगी।

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