मंगलवार, 6 जुलाई 2021

लम्बे इन्तजार के वाद मथुरा-गोवर्धन मार्ग का निर्माण कार्य शुरू

लम्बे इन्तजार के वाद मथुरा-गोवर्धन मार्ग का निर्माण कार्य शुरू 

मथुरा। चार साल के लम्बे इन्तजार के वाद अब वह समय आ ही गया जब मथुरा भूतेश्वर से लेकर गोवर्धन ड़ीग तक सड़क का निर्माण कार्य होने जा रहा है। लोकनिर्माण विभाग को वन विभाग ने मथुरा-गोवर्धन मार्ग के निर्माण कार्य की सशर्त मंजूरी दे दी है। वन विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद गोवर्धन मार्ग का निर्माण कार्य शुरु हो गया है। वहीं लोक निर्माण विभाग के सामने अब तक सड़क निर्माण में 2940 पेड़ अवरोध बने हुए थे जिसे वन विभाग की अनुमति के वाद ऐसे 1800 पेड़ों को चिह्नित किया गया है जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही निर्माण में इनके अवरोध को दूर किया जा सकेगा।


इसके लिए विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है। वर्ष 2017 से गोवर्धन के ड़ीग बॉर्डर से लेकर-मथुरा भूतेश्वर मार्ग के निर्माण के लिए प्रयास में चार साल लग गये। लोकनिर्माण विभाग को वन विभाग ने सशर्त रोड निर्माण को मंजूरी दे दी गई है। वन विभाग द्वारा दी गई मंजूरी में स्पष्ट किया गया है कि पेड़ों के काटे बगैर सड़क का निर्माण किया जाए। इस मंजूरी के साथ ही लोकनिर्माण विभाग ने गोवर्धन मार्ग का निर्माण कार्य शुरु कर दिया है। बताते चलें कि ड़ीग गोवर्धन मार्ग से मथुरा तक के निर्माण में 2940 पेड़ अवरोधक बने हुए थे। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद विभाग ने 1800 ऐसे पेड़ों को चिह्नित किया है जो अब अवरोधक बनेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही मार्ग निर्माण में आ रहे अवरोध को दूर किया जा सकेगा। लोकनिर्माण विभाग के एक्सईएन सनसवीर सिंह ने बताया कि गोवर्धन मार्ग का निर्माण कार्य वन विभाग की मंजूरी के बाद शुरु हो गया है। वन विभाग ने पेड़ न काटने की शर्त पर मार्ग के निर्माण को मंजूरी दी है। इससे 70 प्रतिशत कार्य हो जाएगा। तीस प्रतिशत कार्य के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार है।


इस सड़क के निर्माण को लेकर चार वर्ष पूर्व टेंडर किया गया था। आगरा की आर. पी. इंफ्रास्ट्रक्चर को इसके निर्माण का कार्य करने का टेंडर मिला था। सड़क का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही सड़क 2940 पड़ों के विवाद में फंस गई और 25,473 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य अटक गया। मथुरा गोवर्धन मार्ग को चार लेन का बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसमें ड़ीग बार्डर तक अड़ीग बाईपास होकर 25,743 किलोमीटर लम्बाई की सड़क का अनुमानित लागत 138 करोड़ में बन कर तैयार होना था। जिसमें 17.5 मीटर चार लेन 2.5 मीटर चोड़ा डिबाइडर कुल मिलाकर 20 मीटर चोड़ी सड़क का निर्माण 1.5 मीटर दोनों तरफ कच्ची पटरी के साथ निर्माण किया जाना प्रस्तावित था। इस सड़क में 3.5 किलोमीटर गोवर्धन से सतोहा तक तथा 1.5 किलोमीटर गोवर्धन कस्बा तक आवादी का क्षेत्र भी पड़ता है। साथ ही गोवर्धन चौराहा से भूतेश्वर तिराहे तक भी आवादी का क्षे़त्र होने के कारण भी तमाम अवरोध हैं जिन्हें भी पूरा किया जाना है।


इस सड़क के निर्माण की मंजूरी चार वर्ष पूर्व मिली थी मगर इस सड़क के दोनों तरफ 2940 पेड़ अवरोध बन गये। एनजीटी ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी नियम के अनुसार कुल पेड़ों का दस गुना यानी करीब 30 हजार पेड़ कहीं अन्य जगह में लगाने का आदेश के वाद ही किसी भी पेड़ को काटा जा सकता था। जिसकी एबज में 30 हजार पेड़ लगाये जाने का आदेश मिला वो भी किसी गैर वन विभाग की जमीन में लगाने होंगे। इसके वाद तत्कालीन जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र द्वारा 30 हजार पेड़ लगाने के लिए महावन तहसील के (मादोर) में 30 हेक्टेयर भूमि का चयन करके देने का प्रस्ताव भी पास हो चुका था। मगर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया जहां कोर्ट ने पूछा कि जो पेड़ सड़क के किनारे खडे़ हैं वह कितनी ऑक्सीजन देते हैं तथा अब तक कितनी ऑक्सीजन दे चुके होंगे तथा कितनी ऑक्सीजन आगे देंगे। क्या अन्य जगह पेड़ लगाये जाने पर यहां की ऑक्सीजन की पूर्ती हो पायेगी। इसकी जांच का जिम्मा भी वन विभाग को सौंपा गया। वन विभाग ने इसकी जांच किये जाने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी। जब इस कार्य के लिए देहरादून स्थित एक फर्म से विभाग ने सम्पर्क किया तो फर्म ने 18 माह का समय मांगा था। इस कार्य में 40 लाख 10 हजार का खर्चा भी आ रहा था। इस सड़क के निर्माण में 20 से अधिक प्रजातियों के पेड़ अवरोध बने हुए है जिनमें अमरूद, ऑवला, अमलताश, अरिस्ट्रीनियां, अर्जुन, अशोक, बबूल, बकाईन, बर्गद, बैन्जामिन, वैरी, छौकर, डूंगर पीलू, ईमली, गुलमोहर, गूलर, जंगल जलेबी, जामुन, जुलीफोरा, कद्दम, करौंदा, कन्जी, कैशिया, लिसौड़ा, नीम, पाकड, पापड़ी, पसन्दू, पीलू, पीपल, रेमजा, सहजन, सहतूत, सिरस, सुवाफूल, शीशम, सिहोरा, यूकल्पटस, आरू, तमाल आदि पेड़ बताये जाते हैं।


इस सड़क के निर्माण की आवश्यकता गोवर्धन में लगने वाले मुड़िया पूर्णिमा मेले को देख कर निर्णय लिया गया। मुड़िया पूर्णिमा मेले में लाखों परिक्रमार्थी मथुरा से गोवर्धन जाते हैं। अच्छी चौड़ी सड़क के निर्माण से क्षेत्र का विकास भी होगा और आर्थिक दृष्टि से भी लाभ की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।