बुधवार, 24 मार्च 2010

अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में चल रही है मोनोपोली

प्रदेश के विभिन्न जनपदों में चल रहे सीवीएसई के विद्यालयों की ओर से हर वार परीक्षा परिणाम आने के वाद समाचार पत्रों में छपे विज्ञापनों को देख कर हर अभिभावक भ्रमित हो जाता है। बडे़ बडे़ विज्ञापनों के जरिये उस सच को छुपाने का प्रयास किया जाता है जो हकीकत है सौ प्रतिशत परीक्षा परिणाम का दावा भरने वाले विद्यालयों की हकीकत कुछ ओर ही वया करती है।हर मध्यम तथा सम्पन्न परिवार का व्यक्ति अपने नन्हें-मुन्ने लाड़लों को सुविधा सम्पन्न विद्यालय में षिक्षा दिलाने के पक्ष में रहता है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में प्रवेष को लेकर मारा मारी भी रहती है। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के संचालकों की मोनो पोली के चलते इन विद्यालयों में बच्चों को पहले तो आसानी से प्रवेष नहीं मिल पाता है जिसकी वजह से अभिभावक पैसा खर्च करने के साथ-साथ प्रवेष के लिए हर जुगाड लगाने को तैयार रहते हैं। जनपद में कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जहां नवीं कक्षा में और ग्यारहवीं कक्षा में कमजोर रहने पर या तो विद्यालय प्रशासन परीक्षा में बैठने नहीं देते हैं या फिर उन्हे किसी तरह से पास की टीसी देकर चलता कर देते हैं इससे इन विद्यालयों को दो फायदे हो जाते हैं एक तो कमजोर छात्र स्कूल से निकल जाते हैं और कॉलेज का परीक्षाफल भी स्वतंही शत प्रतिशत हो जाता है। ऐसे विद्यालय एडमीशन के समय ही 1200-1500 से अधिक छात्र व छात्राओं को अपने यहां प्रवेश परीक्षा में विठा कर उनकी योग्यता के आधार पर प्रवेश दे देते हैं। कमजोर व कम अकं वाले छात्रों को इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं मिल पाता है। ऐसे में सेकडों छात्र व छात्राएं डिप्रेशन के शिकार तक हो जाते हैं। और इसका खमियाजा वच्चों को तो भुगतना पडता ही है साथ ही अभिभवकों को भी कम परेशानी नही उठानी पड़ती है। अनेक छात्र छात्राएं अन्य विद्यालयों में प्रवेश पाने को आज भटक रहे हैं उन्हे प्रवेश भी नहीं मिल पा रहा है।सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा में बैठे बच्चों के विद्यालय वार रिर्जल्ट को देखा जाय तो हकीकत सामने आ जाती है।