गुरुवार, 30 जुलाई 2015

गोवर्धन पर्वत हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का मुख्य केंद्र है

मथुरा, अरावली पर्वत श्रृंखला में माना जाने वाला गोवर्धन पर्वत हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का मुख्य केंद्र है। कहा जाता है कि इन्द्र द्वारा जब ब्रज पर प्रकोप करते समय जो भयंकर वर्षा हुयी थी, उससे ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिये श्रीकृष्ण ने इस पर्वत को अपनी छोटी अंगुली के पर ऊपर उठाकर, छाता की भांति तान लिया था। देश-विदेश के हजारों तीर्थ यात्री इस पवित्र पर्वत श्रृंखला की सप्तकोसी परिक्रमा वर्ष भर करते रहते हैं। किन्तु आषाढ़ मास की पूर्णिमा को जिसे ‘‘मुडि़या पूनो’’ कहा जाता है, इस पर्वत की परिक्रमा करने के लिये पैतीस से चालीस लाख लोग एकत्र होते है। इस बार अनुमान से ज्यादा एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु परिक्रमा करेंगे। 

इस अवसर पर इस बार 31 जुलाई तक मेला अपना पूर्ण रूप ले चुका होगा।
गोवर्धन पर्वत के परिक्रमा मार्ग में कुसुम सरोवर, राधाकुण्ड, जतीपुरा आदि अनेक दर्शनीय स्थल पड़ते हैं तथा यह सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र का प्राकृतिक सुषमा का भंडार है। गोवर्धन मथुरा से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। गोवर्धन में पूछरी का लौठा, अप्सरा कुण्ड, कृष्ण दास का कुआ, सुरभि कुण्ड जैसे रमणीक स्थल हैं। गोवर्धन की तलहटी में सूरदास, कुंभनदास आदि अष्ट छाप कावियों, सखाओं एवं सिद्ध भक्तों के स्थल आज भी आस्था के केंद्र बने हुए हैं।
इस बार भी हर वर्ष की भांति ब्रज क्षेत्र के प्रसिद्ध गोवर्धन गिरिराज महाराज की मुडि़या पूर्णिमा मेला में बीते वर्ष से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने की संभावना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार लगभग एक करोड़ श्रद्धालु मुडि़या पूर्णिमा मेला पर गिरिराज महाराज की परिक्रमा करेंगे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के गिरिराज गोवर्धन पहुंचने को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं भी की हैं।
मुडि़या पूर्णिमा मेले में बड़ी संख्या में वाहनों के आवागमन को देखत हुए पार्किंग स्थलों के लिये व्यवस्था करना, निजी पार्किंग स्थलों के लिये लोक निर्माण विभाग द्वारा पार्किंग के लिये स्थान ठेकेदारों को उपलब्ध करायेगा। पार्किंग स्थलों की रूपरेखा तैयार करली गयी है। पीडव्लूडी विभाग द्वारा गड्ढों को भरवाने के निर्देश भी दिये गये है।
इस अवसर पर गोवर्धन में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के शासन द्वारा निर्देश दिये गये हैं। मानसी गंगा पर मेले के दौरान प्रकाश व्यवस्था को अनवरत किये जाने के लिये जैनरेटर सैट लगाये जा रहे हैं सड़क मार्ग पर प्रकाश व्यवस्था के लिये गोवर्धन तथा राधाकुण्ड नगर पंचायतों को सोडियम लाइट लगवाने के निर्देश भी दिये गये हैं।
इस अवसर पर विशाल मेले को देखते हुए तथा लाखों की संख्या में श्रृद्धालुओं के गोवर्धन पहुंचने को लेकर जाजमपट्टी, सौंख, गोवर्धन के मध्य मेले के दौरान 1500 स्पेशल बसों की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखा गया है। मेले के लिये प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के महाप्रबंधक ने बताया कि निगम द्वारा मेले में लगभग पन्द्रह सौ बसों के साथ-साथ रिकवरी वैन भी लगायी जायेंगी जिससे तीर्थ यात्रियों, श्रृद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, मेले के संबंध में जिलाधिकारी ने बताया कि व्यवस्थाओं के संचालन हेतु नगर पंचायत समिति के साथ-साथ एक मेला समिति का गठन भी किया गया है। इसमें आधे सदस्य सरकारी अधिकारी तथा शेष गैर सरकारी सदस्य होंगे। उन्होंने सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी को निर्देश दिये कि जनपद में विभिन्न मार्गो पर चल रहे टैम्पों आदि सभी वाहनों पर लाइटें लगवाने हेतु अभियान चलायें। वाहनों पर आगे व पीछे लाइटों के न होने की स्थिति में दुर्घटना का खतरा बना रहता है। इस दौरान प्राइवेट बसों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मेले के दौरान चिकित्सा सुविधाओं की जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सकों की ड्यूटी भी लगायी गयी है। आठ-आठ घंटे की निर्धारित समय में नाम से ड्यूटी लगाने के साथ-साथ चिकित्सा केंद्रों पर जन जाग्रति नारों के बैनर आदि से आकर्षित बनाया जायेगा।
गोवर्धन क्षेत्र के विधायक राजकुमार रावत ने अपनी विधायक ने इस मेले की व्यवस्था के लिये प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री से मिलकर व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है। गोवर्धन, बरसाना मार्ग को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिये निर्देश दिये हैं। विभागीय अधिकारियों के साथ मानसी गंगा के जल निकासी कार्य मानसी गंगा कार्य नये पम्पों की स्थापना पंचायत भवन परिसर में नलकूप निर्माण का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने परिक्रमा मार्ग पर दायीं ओर किसी भी दुकान के न लगाने के निर्देश दिये। 
सुनील शर्मा

गिरिराज गोवर्धन को साक्षात कृष्ण रूप माना जाता है

लाखों परिक्रमार्थी गोवर्धन पहुंचने लगे हैं, मानसी गंगा में स्नान कर परिक्रमा शुरू करते हैं
सुनील शर्मा
मथुरा। पौराणिक वर्णनों के अनुसार समूचे ब्रजक्षेत्र में दो वस्तुओं का अस्तित्व आज भी विद्यमान है, इनमें से एक है यमुना नदी और दूसरा है गिरिराज गोवर्धन पर्वत। भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का वद्य करके यमुना को प्रदूषण से मुक्त कराया था। और गिरिराज गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली में छाता की तरह उठाकर इंद्रदेव की अतिवृष्टि से डूबते ब्रजवासियों को बचाया था। भग
वान श्रीकृष्ण के समय से आज तक यमुना और गिरिराज पर्वत गोवर्धन करोड़ों भारतीयों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है। संपूर्ण ब्रजभूमि का वैभव यमुना और गोवर्धन पर्वत के कारण ही है। इसी लिये संपूर्ण भारत ही नही पूरे विश्व से आज मथुरा, गोवर्धन, वृन्दावन, बरसाना आदि स्थलों को देखने व भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली का दर्शन करने प्रतिवर्ष लाखों तीर्थ यात्री यहां आते है। यमुना के जल के आचमन मात्र से मोक्ष प्राप्ति का अटूट विश्वास लोक मानस में है ओर गिरिराज गोवर्धन को साक्षात कृष्ण का ही रूप माना जाता है।
मथुरा से 22 कि.मी. दूर स्थित है प्राचीन तीर्थ स्थल गोवर्धन, गोवर्धन के चारों ओर लगभग 21 किलों मीटर क्षेत्र में गिरिराज गोवर्धन पर्वत श्रृंखला है। इस पर्वत श्रृखंला की तलहटी में बारहों महिने करोड़ों लोगों को परिक्रमा कर गिरिराज गोवर्धन के प्रति अपनी आस्था और भक्ति की अभिव्यक्ति करते देखा जा सकता है। गुरू पूर्णिमा के लोक पर्व मुडि़या पूनौ पर देश के विभिन्न अंचलों से बहुत बड़ी संख्या में यहां भक्त नर-नारी आते हैं। जिनके कारण मुडि़या पूनौ ब्रज का सबसे बड़ा लक्खी मेला माना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 30 जुलाई को है और अभी से मुडि़या पूनौ पर गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा के लिये यात्रियों का आना प्रारंभ हो गया है।
गुरू पूर्णिमा के इस लोक पर्व के रूप में मनाये जाने वाले मेले को मनाये जाने के पीछे भगवान वेदव्यास का जन्म दिवस व चैतन्य महाप्रभु सम्प्रदाय के शिष्य आचार्य सनातन गोस्वामी का आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को निर्वाण और गिरिराज गोवर्धन को साक्षात श्रीकृष्ण का प्रतिरूप माने जाने की अटूट आस्था है। इस आस्था का दर्शन भक्तों द्वारा गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा लगाते समय गाये जाने वाले लोग गीतों से होता है। ऐसे ही एक लोकगीत में गोवर्धन जाने के लिए मन की व्याकुलता गिर्राज जी की परिक्रमा और मानसी गंगा में स्नान की आकांक्षा इस प्रकार व्यक्त करते हैं।
नांइ माने मेरौं मनुआं मै तो गोवर्धन कूं जाऊ मेरी वीर।
सात कोस की दे परिक्रम्मा मानसी गंगा नहाऊ मेरी वीर।।

मुडि़या पूनौं के नाम करण के संबंध में कहा जाता है कि चैतन्य महाप्रभु के संप्रदाय के उनके विद्वान शिष्य आचार्य सनातन गोस्वामी से है। जिनका निधन हो जाने पर उनके शिष्यों ने शोक में अपने सिर मुड़वा कर कीर्तन करते हुए मानसी गंगा की परिक्रमा की थी। मुडे हुए सिरों के कारण शिष्य साधुओं को मुडि़या कहा गया और पूनौं (पूर्णिमा) का दिन होने के कारण इस दिन को मुडि़या पूनौं कहा जाने लगा सनातन गोस्वामी और उनके भाई रूप गोस्वामी गौड़ देश प्राचीन बंगाल के शासन हुसैन शाह के दरवार में मंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति-सिद्धांतों से प्रभावित होकर वे मंत्री पद छोड़कर वृन्दावन आ गये और यहां उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से दीक्षा प्राप्त की और उनके शिष्य हो गये। चैतन्य महाप्रभु ने उन्हें यह आदेश दिया कि वे कृष्ण के समय के तीर्थ स्थलों की खोज करें और उनके प्राचीन स्वरूप को प्रदान करें साथ ही श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार-प्रसार करें। चैतन्य महाप्रभु के आदेशानुसार दोनों भाईयों ने ब्रज के वन-उपवन और कुंज निकुंजों में भ्रमण करके भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थलों की खोज करने लगें। वे घर-घर जाकर रोटी की भिक्षा ग्रहण करते और
‘‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।’’ 
महामंत्र का कीर्तन कर कृष्ण भक्ति का प्रचार करने लगे।
सनातन गोस्वामी भ्रमण करते हुए जब गोवर्धन आये तो उन्होंने मानसी गंगा के किनारे स्थित चकलेश्वर मंदिर के निकट अपनी कुटिया बना ली और वहीं रहने लगे वह नित्य प्रति गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा करते थे। वह नित्य प्रति मानसी गंगा में ही स्नान करते थे। अत्यंत वृद्ध और अशक्त हो जाने पर भी उन्हांेने जब इस नियम को नहीं तोड़ा तो कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन देकर गिरिराज पर्वत की एक शिला पर अपने चरण अंकित किए और कहा-बाबा आप इसकी परिक्रमा कर लेंगे तो गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा हो जायेगी।
सनातन गोस्वामी का निधन अब से 446 वर्ष पूर्व संवत् 1611 में आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा सं. 1611 को हुआ था। उनके निधन पर उनके अनुयायियों ने सिर मुड़वाकर चकलेश्वर मंदिर से शोभायात्रा के रूप में निकाली थी वहीं परम्परा आज भी उनके शिष्यों व अनुयासियों द्वारा प्रत्येक वर्ष निकाली जाती है।
इस लक्खी मेले को देखते हुए जिला प्रशासन प्रत्येक वर्ष अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर व्यवस्था करता है। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को विभिन्न सैक्टरों में बांटकर पेयजल, सफाई, शुद्ध खाद्य पदार्थ, विद्युत व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, दुग्ध आपूर्ति यातायात व्यवस्था आदि की व्यापक इंतजाम करता है। पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस चैकी तथा वाच टावर के माध्यम से नियंत्रण की व्यवस्था की जाती है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की घोषित व्यवस्थाओं के अभाव में प्राइवेट बसों द्वारा यात्रियों को भूसे की तरह भर कर मेला स्थल तक पहुंचाया जाता है यात्री छतो पर यात्रा करने को मजबूर होते है। जगह-जगह बैरियर लगे होने के कारण यात्रीयों को परिक्रमा से अधिक पैदल चलना पड़ता है।