शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

किसकी सफाई किसकी मुक्ति, यमुना नहीं यह नाला है

यमुनोत्री से चली यमुना नहीं पहुंची मथुरा
किसकी सफाई किसकी मुक्ति, यमुना नहीं यह नाला है
उपेक्षा ,प्रदूषण, लापरवाही के चलते 
यमुना अब दम तोड़ चुकी है
सुनील शर्मा
मथुरा। नारद पुराण के अनुसार ‘‘अयोध्या मथुरा माया काशी कांची ह्यवन्तिका पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका’’ भारत की सात मोक्ष दायिनी पुरियों में से मथुरा भी एक पुरी मानी गयी है। जिसका आज भी जनमानस में बड़ा महत्व हैं। जिसका आधार यमुना नदी है। आज यही यमुना नदी अपनी मुक्ति की वाट जोह रही है। 


यमुना अपने उद्गम स्थल से ब्रज में श्रीकृष्ण के लिए और इलाहाबाद में संगम के लिए चली थीं, वह केवल हरियाणा में अवरुद्ध किये जाने के लिए नहीं निकलीं थी। प्रदेश सरकारों की उपेक्षा पूर्ण कार्यवाही के चलते यमुना नदी दम तोड चुकी है।
आज दिल्ली से जो यमुना ब्रज में आ रही है, वह यमुनोत्री की यमुना नहीं है। वह एक नई यमुना है जिसे दिल्ली की गंदगी ने ईजाद किया है। इस क्रम में दिल्ली के वाद नदी के किनारे बसे सभी शहर यमुना नदी को गन्दा करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
यमुना को मुक्त कराने के अभी तक किये गये सभी प्रयास विफल हो गये है। वर्तमान नाला रूपी यमुना को नदी वता कर हजारों करोड़ों रुपया प्रदूषण के नाम पर अब तक स्वाह किया जा  चुका है लेकिन छोटी छोटी नालियों के गन्दे पानी को लेकर चल रहा बड़ा नाला आज भी लोगों के जहन में यमुना नदी के रूप में है। 
अब तक यमुना प्रदूषण की बात करने वालों को जनता के सामने यह सच्चाई लानी ही होगी कि ब्रज में यमुना नहीं है, यमुना की जगह जो दिखाई दे रहा है वह केवल नाले-नालियों का गंदा पानी, मल-मूत्र, कट्टीघरों का खून एवं रासायनिक कचरा है और यही जल स्त्रोतों के माध्यम से हमारे घरों में भी जा रहा है। इस पानी से बड़ों से लेकर बच्चों तक की किडनियां फेल हो रही है, फैंफड़े संक्रमित हो चुके हैं, कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बड़ रही है।
यमुना को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए भेजा गया हजारों करोड़ रुपया आखिर गया कहां। उसे कौन खा गया। अकेले दिल्ली में यमुना को साफ करने को लेकर अब तक 18 हजार करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है। लेकिन दिल्ली में भी आज तक यमुना शुद्ध नही हो सकी है। उसमें मिलने वाले नालों को आज तक रोका नहीं जा सका है।
योजना के अनुसार नालों का पानी साफ किये जाने के बाद फिर यमुना में समाहित नहीं किया जायेगा। उस पानी का ट्रीटमेंट करके नहरों के माध्यम से किसानों को दिया जाएगा। लेकिन इस पर भी कोई ठोस काम आज तक नही हो सका है। मथुरा वृन्दावन में इस नदी के किनारे पड़ने वाले नाले कागजों पर टेप किये जा चुके हैं लेकिन हकीकत इससे परे है। मथुरा वृन्दावन नगर के अधिकांश नाले आज भी नगर का सारा कचरा और सीवर का गन्दा पानी यमुना में पहुंचा रहे है। मथुरा स्थित मसानी नाला आज भी उसी स्थिति में है। उसमें लगाई गई जाली भी टूट चुकी है। नाले का गन्दा पानी सीधे यमुना में गिरता देखा जा सकता है। 
न्यायालय के आदेश के वाद भी यमुना के किनारे खादर की स्थिति यह है कि यहां हजारों की संख्या में अवैध काॅलोनियां बन गई हैं तथा इनमें चारों तरफ केवल घर ही घर दिखाई दे रहे हैं। विद्युत विभाग इन काॅलोनियों में एक भी कनैक्शन नहीं देने का दावा करता है। मगर इन काॅलोनियों में लोगोें के घरों में टीवी, फ्रिज, कूलर, पंखा, डिश एन्टीना हर घर की छत पर देखा जा सकता है। यहां तक कि लोगों के घरों में समरसेविल पम्प भी लगे हैं जिससे वह पानी की सप्लाई भी ले रहे हैं अगर विद्युत विभाग यहां कनैक्शन नहीं दे रहा है तो इन काॅलोनियों के लोग इन सुबिधाओं को किस प्रकार से भोग रहे हैं। इसका सीधा सा जवाब है कि इन काॅलोनियों में सब अवैध कनैक्शन के सहारे जिन्दा हैं। घाटों के करीव से यमुना अपना प्रवाह छोड़ चुकी है। जिसके कारण यमुना के किनारे अवैध कब्जे हो गये हैं। जिसे जहां जगह मिली उसने यमुना के किनारे अपने स्वार्थ में मकान, दुकान, गैराज, बगीची, डोरी निवाड का कारखाना यहां तक कि संत महन्त भी यमुना के घाटों के किनारे गौशाला बना कर ही कब्जा कर रहे हैं। इस ओर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नही है। 
सबसे बड़ा प्रश्न कि जिले में जब एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति यमुना की देख रेख के लिये की गई है तो अब तक नोडल अधिकारी रहे जितने भी अधिकारी थे उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को ठीक से क्यों नहीं निभाया। क्या उनके खिलाफ कार्यवाही नही होनी चाहिये। अब कोरे आश्वासनों से काम नहीं चलेगा, ठोस कार्यवाही होनी चाहिये। यमुना को मुक्ति दो, मथुरा में आने दो