गुरुवार, 19 जनवरी 2012

वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की मुक्ति नहीं होती।

वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की मुक्ति नहीं होती।
मृत्यु के वाद शवों के टुकडे़ टुकडे़ करके बोरे में भर कर यमुना किनारे डाल दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के कडे़ निर्देश के वाद प्रशासन चेता जांच को टीम बनाई गई।

सुनील शर्मा
मथुरा-वृन्दावन - ब्रज में बास करने और मोक्ष की कामना से वृन्दावन आने और यहां आकर बसने बाली बंगाली विधवाओं की मृत्यु के उपरान्त उनका अंतिम संस्कार दुखद व रोंगटे खडे़ कर देने वाला होता है। हाड कपाने वाली सर्दी में वृद्ध लोगों की मृत्यु अधिक हो रही है जिसका असर वृन्दावन में वास करने बाली इन वृद्ध विधवाओं पर भी पड़ रहा है। इन विधवाओं की मृत्यु के उपरान्त इनका शव कई दिनों तक सड़क किनारे पड़ा रहता है। शवों के सड़ जाने की स्थिति में उसके टुकडे़ टुकडे़ करके किसी कूड़ा ढोने बाली ढकेल में ले जाकर यमुना किनारे जमादार फेंक आते हैं। मोक्ष की प्राप्ति की आस में आई इन विधवाओं को नही मालुम कि इनकी मृत्यु के उपरान्त इनकी क्या दशा होती है। इसकी जानकारी जब जिलाधिकारी मथुरा को हुई तो उन्होंने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। इस कमेटी की मुखिया मुख्य विकास अधिकारी को बनाया गया है।
वृन्दावन में वृद्ध बंगाली विधवाओं की हालत इतनी दयनीय है कि पहले तो यह प्राचीन मंदिरों के बारामदे और सीलन भरी कोठरियों में पड़ी रहा करती थी। आज दिनों दिन जमीनों के बड़ते दामों के कारण इनका यह आशायाना भी धीरे धीरे छिनता जा रहा है जिसके कारण इनको सड़कों के किनारे और फृटपाथ पर ही अपनी बची कुची जिन्दगी काटनी पड़ रही है। मृत्यु के उपरान्त इन वृद्धाओं को न तो कफन ही नसीब होता है और न ही जलाने को लकड़ी। सड़क पर पड़ी लाश को जमादार पहले टुकड़े टुकडे़ करता है फिर बोरे में भर कर यमुना के किनारे डाल आता है जिसे वहां मौजूद कुत्ते आवारा पशु अपना आहार बनाते रहते हैं। कहने को वृन्दावन धार्मिक नगरी है और भगवान के भजन को आयीं ये बंगाली विधवाओं के साथ हो रहे इस प्रकार के अमानवीय कृत्य पर कोई भी कथा वाचक या धर्माचार ने मानवता के नाते अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था तक बनाने में पहल नहीं की है।
वृन्दावन में आये श्रद्धालु महिलाओं के एक दल ने यहां रोंगडे खडे़ कर देने वाला दृय देखा तथा इसके प्रमाण भी जुटाये थे। वृन्दावन में तथा राधाकुण्ड में रह रहीं बंगाली विधवाओं की दयनीय स्थिति को श्रद्धालु महिलाओं के दल ने देखा और इस तथ्य को प्रति’िठत अंगेजी देनिक में प्रकािशत करा दिया। उक्त अखवार की खवर को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज अल्तमास कबीर ने उक्त खवर पर सरकार से जवाब तलब कर लिया। महिला श्रद्धालुओं के दल द्वारा जुटाये गये प्रमाणों ने यह साफ कर दिया कि मथुरा वृन्दावन और राधाकुण्ड़ में रह रही सैकड़ों बंगाली वृद्ध महिलाओं के साथ कैसा अमानवीय कृत्य हो रहा है। वृद्ध आश्रमों और आश्रय सदनों में इन वृद्ध महिलाओं की मृत्यु के उपरान्त उनके शवों के टुकड़े टुकडे़ करके बोरों में भरकर जमादार यमुना के किनारे निर्जन स्थान पर ड़ाल आते हैं।
वरि’ठ जज ने तत्काल रा’ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को इसकी जांच करने का आदेश दिया जिसे प्राधिकरण के उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रे’िात कर दिया गया।
उ0प्र0 विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने मथुरा के तत्कालीन जिला जज वीरेन्द्र बहादुर यादव को मामले की गहन जांच के आदेश दिये। जिला जज ने तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सपना त्रिपाठी की अध्यक्ष्ता में नौ सदस्यीय टीम गठित कर दी। टीम के सदस्यों ने तीन माह तक सैकड़ों विधवाओं से बातचीत की और उसके आधार पर 20 बिंदुओं का एक प्रपत्र तैयार किया जिसमें वृन्दावन की 450 व राधाकुण्ड की 30 से विधवाओं से सम्बन्धित जानकारी जुटाई गई।
जांच समिति ने विधवाओं से बातचीत की वीडि़यों रिकाॅर्डिंग भी कराई जिसके आधार पर यह पता चला कि तीन चार दिन तक शवों को सड़ाने के बाद स्वीपर उसके टुकडे़ टुकडे़ करके बोरे में भरकर कहीं लेजाकर फेंक आता है।
जांच समिति ने जब इस बारे में आश्रम संचालकों से जानकारी की तो उन्होंने इसका कारण उनके पास अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त पैसो का न होना बताया। जिसके कारण ऐसा अमानवीय कृत्य कराया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए 29 दिसम्बर 2011 को प्रदेश के समाज कल्याण, महिला कल्याण विभाग एवं बालविभाग विकास पु’टाहार विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत ने राज्य महिला कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक एसके सिंह को निर्देश दिया कि वे जल्द ही मथुरा वृनदावन क्षेत्र का भ्रमण करें और वहां के जज न्यायाधीश और जिलाधिकारी से विचार विर्मश कर 30 जनवरी तक समूची रिर्पोट शासन को सौंपे। साथही उन्होंने एसके सिंह को शासन इस मामले में गंम्भीरता से अवगत कराते हंए कहा कि जल्द ही कोई ठोस कार्यवाही करते हुए शख्त कदम उठाना चाहता है।
जिलाधिकारी एनजी रविकुमार ने इस महत्वपूर्ण मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी एस.मथु शालिनी की अध्यक्षता में एक टीम का गठन कर दिया है जिसमें विकास प्राधीकरण उपाध्यक्ष वीके पवार व एडीएम फायनेन्स मनमोहन चैधरी भी शामिल थे। जांच टीम शीध्र ही जांच कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगी।

सुनील शर्मा मथुरा। 09319225654