सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

परिक्रमा के बहाने 13 हजार लोगों की जान जाखिम में डालने की जिम्मेदारी किसकी

-दो निर्दोष लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन ?
-इतने बड़े आयोजनों पर लापरबाही करने से कैसे बच सकता है प्रशासन
-आयोजकों ने क्या कोई अनुमति ली थी, आपदा से निपटने के लिए कितने सतर्क थे।
मथुरा। अब छोटे-छोटे आयोजन के लिए जिला प्रशासन की अनुमति आवश्यक है फिर 13 हजार लोगों को परिक्रमा कराने के बहाने यमुना मे बीच से होकर जाने की जानकारी जिला प्रशासन को क्यो नहीं हो पाई वो भी एक नही दो प्रदेशों की सरकार ने आँख मूंद ली और यमुना नदी को पार मथुरा की सीमा में प्रवेश कर रही ब्रजयात्रा में बडा हादसा हो गया। 250 लोग यमुना पार करते समय डूबे और उनकी तबियत खराब हो गयी उसमें से दो लोगों की मौत तक हो गयी। जिला प्रशासन ने तो इस घटना को ज्यादा महत्व नहीं दिया वहीं कुछ मीडिया संस्थानों ने भी इस घटना से अपने को बचाने का प्रयास किया।
मानमंदिर बरसाना के संत रमेशबाबा की राधारानी ब्रजयात्रा में इतना बडा हादसा हो गया। जिसमें प्रशासन की लापरवाही, यात्रा संयोजकों की अदूरदर्शिता और यमुना नदी के जल के आचमन से यदि लोगों का स्वास्थ्य खराव हो जाये तो उसकी विषाक्तता सबके समाने आ गयी। लेकिन यमुना शुद्धिकरण के नाम पर जिन्होंने वर्षों आन्दोलनों के जरिये सरकारों की नाक में नकेल कसने का काम किया हो वही अब इस प्रदूषित यमुना की धारा को पार कराने के लिये क्या सोच कर तेरह हजार लोगों को लेकर निकले थे। हजारों श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डालने वाली इतनी बडी घटना की लीपा पोती कर दी जैसे कुछ हुआ ही नहीं। 13 हजार परिक्रमार्थी रस्सी के सहारे यमुनापार कर रहे थे। खुद यात्रा संयोजक सुनील सिंह ने यह कई बार स्वीकार किया है कि हरियाणा प्रशासन से पांच दिन तक लगातार संपर्क किया गया और प्रशासन आश्वासन देता रहा कि यमुना पर यात्रा के लिए वैकिल्पक पुल की व्यवस्था करा दी जाएगी। लेकिन जब समय पर पुल की व्यवस्था नहीं हो सकी तो श्रद्धालुओं को स्टीमर या नावों के सहारे यमुना पार करा कर दो लोगों की जान भी बचाई जा सकती थी। जिला प्रशासन ने तो ‘‘मरें तो मर जायें’’ ऐसा सोच कर भगवान भरोसे छोड दिया। प्रशासन चाहता तो 13 हजार श्रद्धालुओं को जान जोखिम में डालने के बजाय इस यात्रा को आगे बढने से रोक देना चाहिए था। यह यात्रा कोई सदियों पुरानी सनातन परंपरा का हिस्सा नहीं थी, जिसे रोका ही नहीं जा सकता था।
अपने आर्थिक लाभ, शिष्यों की संख्या बढाने, प्रभाव बढाने और शिष्यों को सततरूप से खुद से जोडे रखने के लिए तमाम भागवताचार्यों, मठों, मंदिरों और संतों ने इस तरह की वार्षिक ब्रज चैरासी कोसी यात्राओं की शुरूआत करा दी है। प्रतिवर्ष एक नई यात्रा शुरू हो जाती है इन यात्राओं के जरिये अपने-अपने शिष्यों को जोडे़ रखने का माध्यम बना लिया है। यह बृजयात्रा भी अपने अनुयाईयों को खुद से जोडे रखने का ही एक प्रयास है और इस तरह की शोभायात्राएं भी होती हैं। हजारों श्रद्धालुओं की जानजोखिम में डालने के लिए यात्रा संयोजकों पर किसी तरह की कोई कार्यवाही प्रशासन की ओर से नहीं की जाती है। सबसे पहले अनुमति के बिना इस प्रकार के आयोजन कैसे हो सकते हैं। जिसमें हजारों लोगों की संख्या, पैदल चनले के रूट के साथ-साथ यात्रा में अग्निशमन से लेकर अन्य आपदाओं के लिए बचाव के उपायों की जानकारी जिला प्रशासन को क्यों नही दी गई। दो लोगों की मौत के बाद इतने बडे़ हादसे के वाद जिला प्रशासन ने अभी तक आयोजकों के खिलाफ इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही क्यों नहीं की। हजारों श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डालने के जोखिम को कम करके आंका गया। इतना ही नहीं जिन दो श्रद्धालुओं की मौत हुई है उनका जिम्मेदार कौन है इस पर भी लगता है सभी जिम्मेदार पक्ष मौन साध कर मामले पर से आम लोगों का ध्यान हटाने का काम कर रहे हैं।
समझ से परे-डूबने पर पेट में पानी का भरजाना आचमन कैसे हो सकता है।
यात्रा संयोजक सुनील सिंह ने खुद कई-कई बार यह स्वीकार किया है कि रस्सी के सहारे यात्री यमुनापार कर रहे थे। इसी दौरान कुछ की लम्बाई कम थी, कुछ कमजोर और वृद्ध थे। ऐसे में वह डूबने लगे और यमुना का पानी उनके मुहं में चला गया। इस तरह से किसी के पेट में पानी के चले जाने को आचमन कैसे कहा जा सकता है। जबकि हर ओर से इसे आचमन से श्रद्धालुओं के बीमार होने की बात कह कर प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है।
दूसरी तरफ- चिकित्सक इसे फूडपोइजनिंग बता रहे हैं और प्रशासन लगा रहा खाने के नमूने लेने में।
हद तो तब हो गई जब इस घटना को पहले फूड पोइजनिंग कह कर नकारने का प्रयास किया गया। प्रशासन ने यात्रा के दौरान दिये जा रहे भोजन के नमूने लिए। यमुनाजल के नमूने लेने की भी नमूनागीरी की गई। जबकि यमुना का जल कितना विषाक्त है इस पर तामाम रिपोर्ट पहले से ही मौजूद हैं। मगर 13 हजार लोगों को बृजयात्रा के बहाने यमुना में उतारना उनकी जान जोखिम में डालने की जिम्मेदारी किसकी बनती है तथा दो निर्दोष लोगों की जान चली गई इसकी जिम्मेदारी किसकी बनती है।