रविवार, 23 नवंबर 2014

चन्द्रोदय मंदिर दुनिया का अनोखा मंदिर होगा वृन्दावन में

चन्द्रोदय मंदिर दुनिया का अनोखा मंदिर होगा वृन्दावन में

60 एकड़ में बनेगा मंदिर 

212 मीटर ऊंचा मंदिर दुनिया में 12 वें स्थान पर 

400 करोड़ रुपये की लागत से होगा निर्माण

तीन से चार दिन लगेंगे 76 धर्मिक स्थलों के दर्शन करने को
(सुनील शर्मा)

वृन्दावन में आने के वाद विश्व के अनोखे मंदिर के पास पहुंच कर जब लोग यह कहने को मजबूर हो जायेंगे कि क्या वात है क्या अद्भुद, चीज है, क्या शानदार है और बैमिसाल है। 
बात कर रहे हैं वृन्दावन में बनने जा रहे चन्द्रोदय मंदिर की जो दुनिया में अपने आप में एक अकेला मंदिर होगा। जो मंदिर देश में तो क्या पूरी दुनिया के किसी कौने में अब तक नही बना होगा। पूरी दुनिया में सबसे उंचा मंदिर होगा वृन्दावन की पावन धरती पर अगर हम बात करें दुनिया के उन तमाम इमारतों की जो आज भी आम जन मानस के जहन में रचबस गये है। उनमें भी अगर तुलना की जाय 13 वीं शताव्दी में बने एतिहासिक कुतुबमीनार से तो यह मंदिर उससे तीन गुना ऊंचा होगा। कुतुबमीनार की कुल ऊंचाई 73 मीटर है। अब तक दुनिया भर के गगनचुंबी इमारतों की वात केवल सुनने को मिलती थी कि उस देश में इतनी ऊंची इमारत है। टीवी व मैगजीन में खवर के तोर पर पढने को मिल जाती थी कि फला इमारत इतनी ऊंची है। लेकिन अब यह सपना भी ब्रज की पावन धरती पर साकार होने जा रहा है। नया इतिहास रचने की तैयारी में है। राधा-कृष्ण के पे्रम की धरती अब इस अनोखे मंदिर के कारण एक वार फिर प्रेम के एक और प्रतीक के रूप में स्थापित होने जा रहा है यह विशाल मंदिर जो 60 एकड़ के विशाल भूखण्ड में चार एकड़ में फैला इस मंदिर का परिसर जिसमें इसका आधारभूत ढांचा बन कर तैयार होगा। मंदिर की ऊंचाई 700 फीट होगी यानी 212 मीटर जो विश्व का पहला मंदिर होगा। इसके निर्माण के वाद यह मंदिर दुनिया के तमाम गगनचुंबी इमारतों की सूची में 12 वें स्थान पर होगा। दुबई में स्थित बुर्ज खलीफा की ऊंचाई 828 मीटर है। शिकागो की विलिस टाॅवर की ऊंचाई 442 मीटर  और वह 11 वें स्थान पर है। 70 मंजिला चन्द्रोदय मंदिर की आधार शिला 16 नवम्बर 2014 को देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने रखी इसके लिये विशेष आयोजन कर पूजा अर्चना भी कराई गई। 
इस मंदिर के निर्माण में खुजराहो शैली और आधुनिक शिल्पकला का मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलेगा। मंदिर की डिजाइन इस्काॅन बेंगलरू के इस्काॅन के भक्तों के द्वारा तैयार की गई है। इस मंदिर के आंतरिक साज-सज्जा (इंटीरियर डिजायन) की जिम्मेदारी विदेशी शिल्पकारों को दी गई है। इस्काॅन के परम ब्रह्मदास प्रभु के अनुसार मथुरा वृन्दावन विकास प्राधीकरण ने मंदिर का नक्शा पास कर दिया है। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण 400 करोड़ की लागत से होगा। पहले चरण में आधारभूत ढ़ाचा तैयार करने में करीब 150 करोड़ रुपयों की राशि खर्च होगी। इसके वाद 70 मंजिलों के निर्माण व साज-सज्जा पर करीब 250 करोड़ रुपयों का खर्च होने का अनुमान है। परम ब्रह्मदास प्रभु ने बताया कि शुरूआत में इस मंदिर को 108 मंजिला बनाने की योजना थी जिसके हिसाब से यह मंदिर 1080 फीट की ऊंचाई तक बनता लेकिन भारतीय विमानपत्तनम प्राधीकरण की ओर से अत्यधिक ऊंचाई के कारण अनुमति नही दिये जाने के चलते मंदिर की ऊंचाई अब 212 मीटर ही होगी। 
बेमिशाल अद्भुत शिल्पकला के अनूठे इस मंदिर के चारों ओर 40 एकड़ में फैला घना जंगल होगा। जो प्राचीन ब्रज की छवि का अहसास करायेगा। प्राचीन वनों के नाम पर ही इसमें बनने वाले वनों को नाम दिया जायेगा। मंदिर के किनारे किनारे दो किलो मीटर यमुना नदी भी होगी। इसमें यमुना से जल लाकर उसकों साफ करने के वाद ही इसमें डाला जायेगा।
मंदिर की सबसे ऊंची मंजिल का नाम ब्रज मंडल दर्शन रखा जायेगा। यहां से ब्रज के प्राचीन धार्मिक स्थलों के दर्शन होंगे साथ ही विश्व के सात अजूबों में से एक प्रेम की निशानी ताजमहल को भी दूरबीन से देखा जा सकेगा। इस आश्चर्य जनक मंदिर का भ्रमण करने के लिये श्रद्धालुओं को तीन से चार दिन का समय लगेगा। मंदिर में ग्रांड टेम्पल दूसरे भाग में अर्थली प्लेनेट्स, हेवेनली प्लेनेटस, बैकुण्ठ प्लेनेटस, गौलोक वृन्दावन और सबसे ऊंचाई पर ब्रज मंडल दर्शन होंगे।
युवा पीढ़ी को आकर्षित करने और इस मंदिर से जोड़ने के लिये राधा-कृष्ण की लीलाओं को मिकी माउस की तरह से 3-डी एनिमेशन में दिखाने की योजना है। इसके लिये कृष्ण लीला पार्क का निर्माण कराया जायेगा। साथ ही आडिटोरियम, म्युजिकल फाउंटेन, लगभग दस हजार की क्षमता वाला हाॅल भी होगा। जहां एक साथ इतने लोग धार्मिक आयोजनों में हिस्सा ले सकेंगे।