सोमवार, 31 मई 2021

आई सी सी आर के माध्यम से औडिशी नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति

वृन्दावन, मथुरा। नृत्य एक ऐसा सुन्दर माध्यम है या एक साधन है जिससे हम भगवान के साथ सीधा अपना सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद, लखनऊ के माध्यम से होराइजन सीरीज के अर्न्तगत ऑनलाइन कार्यक्रम के द्वारा एक सुन्दर प्रस्तुति दी गई, इस सीरीज के अन्तर्गत वृन्दावन की प्रख्यात ओड़िसी नृत्यांगना श्रीमती कुंजलता मिश्रा ने अपनी अद्भुद प्रस्तुति से सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं।


ओड़िसी नृत्य एक ऐसी नृत्य विद्या है जो पुरातन समय में जगन्नाथ मंदिर में देवदासियों द्वारा किया जाता था। वहीं आज यह नृत्य अलग-अलग गुरूओं के द्वारा इसका विश्व भर में प्रचार प्रसार सम्भव हुआ है।

कुंजलता मिश्रा भी इसी श्रेणी की श्रेष्ठ कलाकार हैं। श्रीमती कुंजलता मिश्रा ओड़िसा के जाजपुर में पली बढ़ीं उन्होंने नृत्य की शिक्षा श्रीगुरू दुर्गाचरण रनवीर एवं श्री पीताम्बर विश्वास से प्राप्त की, उत्कल संगीत महाविद्यालय से एम ए, गंधर्व महाविद्यालय से नृत्यअलंकार प्राप्त करने के बाद एम फिल की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय, के ललित कला संस्थान आगरा से प्राप्त की। मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर द्वारा फेलोशिप भी प्राप्त हो चुकी है।

एक समय की बात है जब यह अपने गुरू के साथ वृन्दावन आंयीं और वृन्दावन का भव्य, सुन्दर वातावरण देख कर इतनी प्रभावित हो गयीं कि उन्होंने अपना हृदय यहां पर भगवान को और भगवान की दिव्य लीलाभूमि को समर्पित कर दिया। इसके वाद वृन्दावन में ही रच बस गयीं और यहीं की होकर रह गयीं। इनका विवाह गुरू श्री प्रताप नारायण जी के साथ हुआ। वृन्दावन में रह कर लगभग 30 वर्षों से ओड़िसी नृत्य का निरन्तर प्रचार प्रसार कर रही हैं एवं इस विद्या से अनेकों छात्र छात्राओं को शिक्षित करने का प्रयास भी जारी है।


श्रीमती कुंजलता जी को अनगिनत सम्मान प्राप्त हुए हैं जिसमें मीराबाई सम्मान, जयदेव सम्मान, कला रत्न सम्मान, मेघश्याम सम्मान, श्रंगार मणि सम्मान, कलारत्न सम्मान, ब्रजरत्न समान, ब्रज विभूति सम्मान, ब्रज गौरव सम्मान प्रभुख हैं, इसके साथ-साथ नेशनल एच आर डी स्कॉलरशिप भी इन्हें मिला, आई सी सी आर की इंपेनल आर्टिस्ट भी होने के साथ दूरदर्शन की रिलेशन आर्टिस्ट भी हैं। यह विश्व भर में प्रख्यात एक बहुत ही सुन्दर ओड़िसी नृत्यांगना हैं। जिन्हें सैफई महोत्सव, पुरी बीच फैस्टेबिल, ताज महोत्सव, झांसी महोत्सव, ओडिसी बिस्वा  महोत्सव, श्री चैतन्य महाप्रभु अबिरभाब महोत्सव जैसे अनेक प्रचलित और फेमस कार्यक्रमों में अपने नृत्य की प्रस्तुति देने का अवसर मिल चुका हैं। वर्तमान में मेवाड़ यूनिर्वसिटी में नृत्य के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं।


आई सी सी आर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति  मंगलाचरण के साथ किया गया। मंगलाचरण किसी भी नृत्य की प्रस्तुति से पूर्व भगवान को स्मरण करते हुए उनका आर्शीवाद प्राप्त करने से होता है। आदिशंकराचार्य द्वारा रचित ‘‘श्रीभजे व्रजेकमण्डलं’’ के उपर आधारित इस सुन्दर नृत्य कम्पोजीशन गुरू श्री दुर्गाचरण रनवीर जी ने किया।

इसके उपरान्त अगली प्रस्तुति किरवानी पल्लवि से हुई, पल्लवि का अर्थ विकसित होने से है, पल्लवित होना जिस प्रकार से कोई कली पुष्प में परिवर्तित होती है उसी प्रकार इस नृत्य में नृत्यांगना शुरू से लेकर अन्त तक अपने अलग-अलग रूपों के माध्यम नृत्य मुद्राओं, भंगिमाओं के माध्यम से नृत्य को विकसित करती हैं, राग किरवानी में होने के कारण इसे किरवानी पल्लवि कहा गया है। इसी के साथ श्रीमती कुंजलता मिश्रा ने अपनी अगली प्रस्तुति अभिनय के द्वारा नवरस के रूप में दी, नवरस यानी नौ रसों के साथ नृत्य की मुद्राओं में प्रस्तुत किया। इस नृत्य में नौ रसों में श्रंगार रस, वीर रस, करूण रस, अद्भुद रस, हांस्य रस, भय, वीभत्स, रौद्र एवं शान्त रस इन नौ रसों को दर्शाते हुए श्रीमती कुंजलता मिश्रा ने सुन्दर नृत्य की प्रस्तुति दी। 


इस कार्यक्रम के उपरान्त श्रीराम की लीलाओं की प्रस्तुति की गयी, जिसमें किस प्रकार से श्रीराम दण्डकाण्डय में माता सीता के साथ श्रंगार रस की लीलाएं कीं उसके पश्चात किस प्रकार से उन्होंने शिव के धनुष का भंजन किया, किस प्रकार से सेतु बंधन किया, किस प्रकार से जटायु के शरीर त्यागने पर उन्हें दुःख हुआ। इस प्रकार से अलग-अलग लीलाओं के माध्यम से नौ रसों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। 


कार्यक्रम के अन्त में मोक्ष की प्रस्तुति दी गयी, जीवन का हर कार्यक्रम का अन्त होता है उसमें मोक्ष के साथ अर्थात भगवान में लीन हो जाना ही मोक्ष माना जाता है। क्यों कि ओड़िसी नृत्य भगवान श्री जगन्नाथ देव की प्रसन्नता के लिए किया जाता है, इस लिए यहां मोक्ष का अर्थ भी भक्ति का ही माध्यम है। भगवान जगन्नाथ को समर्पित प्रस्तुति नृत्य मोक्ष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम के ऑनलाइन आयोजन की सुन्दर प्रस्तुति भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद, लखनऊ के माध्यम से की गई, इस कार्यक्रम को ऑनलाइन के माध्यम से  जन-जन तक पहुंचाने का कार्य पी. के. गुप्ता के द्वारा पी. के. स्टुडियो की टीम व सुनील शर्मा पत्रकार के निर्देशन में किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन चन्द्रमुखी मुरलर ने किया।