शनिवार, 6 सितंबर 2025

जनजीवन को दर्शाने का माध्यम है चित्रकला- ठा0 किशन सिंह

उमा शर्मा ने अबतक सौ से अधिक चित्रकला प्रदर्शनी लगाई हैं

मथुरा। ब्रज में मंदिरों के अलावा भी ग्रामीण संस्कृति और यहां की प्राचीन कला तथा यहां का जन जीवन देखने योग्य है, सम्पूर्ण ब्रज के जनजीवन को दर्शाने का माध्यम है चित्रकला, जिससे ब्रज को प्रदर्शित किया जा सकता है, उन्होंने ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय के हॉल में लगाई गई चित्रकला प्रदर्शनी को देख कर कहा कि ब्रज के जन जीवन को जिस प्रकार से यहां दर्शाया गया है, वह पुरानी यादों को ताजा करता है। उक्त विचार जिला पंचायत अध्यक्ष व के. एम. यनिवर्सिटी के कुलाधिपति चौ0 किशन सिंह ने चित्रकला प्रदर्शनी के समापन के अवसर पर कहा कि आज की युवा पीढी को इस प्रकार की कला को सिखाने के प्रयास होने चाहिए जिससे युवाओं में भी अपने ग्रामीण जन जीवन से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा। 


प्रदर्शनी के समापन अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष ठा. किशन सिंह ने सभी चित्रों को बहुत रूचि के साथ देखा और चित्रकार उमाशर्मा द्वारा बनाई कलाकृतियों की प्रषन्सा की। इस अवसर पर जिला अस्पताल के सीनियर सर्जन डाक्टर विकास मिश्रा व सीमा मिश्रा व अन्य लोगों ने भी चित्रकला प्रदर्शनी को देखने में विशेष रूचि दिखाई। 


उमा शर्मा ने अबतक लगभग 100 से अधिक पेपर कोलाज व तैल चित्र बनाये हैं तथा मुम्बई, भोपाल, जयपुर, अजमेर, दिल्ली, षिमला, बेंगलौर, खजियार आदि स्थानों पर अपनी प्रदर्शनी लगायी हैं, उनको पेपर की कटिंग काट कर सीन के हिसाब से चिपका कर कोलाज तैयार करने में उन्हें महारत हांसिल है। 

उनकी कलाकृति में ब्रज का पूरा चित्रण देखने को मिलता है। उनके द्वारा बनाये गये तैल चित्रों में ब्रज की सभ्यता, संस्कृति और जनसामान्य के जीवन की झलक भी देखने को मिलती है। 


चित्रकला प्रदर्शनी देखने के उपरान्त जिला पंचाचत अध्यक्ष ने ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय में रखी प्राचीन ग्रामीण वस्तुओं कलाकृतियों का अवलोकन भी किया और ग्रामीण प्राचीन वस्तुओं को देख अपने पुराने समय में खो गये।


इस अवसर पर गीता शोध संस्थान वृन्दावन में ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ० उमेश चन्द्र शर्मा ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट किया। सात दिन तक चलने वाली चित्रकला प्रदर्शनी को देखने पहुंचे देशी व विदेषी दर्शकों ने प्रदर्शनी को देखने में खूब रूचि दिखाई। इस अवसर पर गीता शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉ. दिनेश खन्ना, महामण्डलेश्वर एस. एस. जौहरी, डॉ0 एस.पी. गोस्वामी, कल्पना सारस्वत, अर्चना, साधना, नंदिनी, मुकेश सारस्वत, अनिकेत, अनुकृति, कमलेश्वर, तनु शर्मा, प्रीति, शशि, गीता व्याख्याता महेश शर्मा, पत्रकार सुनील शर्मा, गीता शोध संस्थान के कोडिनेटर चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार, आदि उपस्थित थे।


बुधवार, 3 सितंबर 2025

मथुरा में चारों दिशाओं में स्थित ‘‘चार महादेव कोतवाल’’ रक्षा करते हैं

Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा आदिकाल से चार महादेवों की पूजा सेवा चली आ रही है हालाकिं मथुरा में अब हर गली मौहल्लों में अनगिनत महादेव मंदिर बन गये हैं। लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार इन मंदिरों को बना लिया हैं। मथुरा शहर की हर कॉलोनी में महादेव की पूजा अर्चना होती है मगर ऐसी मान्यता है कि यहां पहले चार महादेव की ही पूजा होती थी, उसका कारण शायद मथुरा शहर जिसे आज पुराना शहर कहा जाता है। उसी के आसपास चारों महादेव हैं और आवादी भी यहीं पर ज्यादा थी जिसके कारण इन महादेवों की पूजा सदियों से की जाती रही है।
पद्मपुराण निर्वाण खण्ड में भगवान् का वचन है-
अहो न जानन्ति दुराशयाः
पुरीं मदीयां परमां सनातनीम्
सुरेन्द्रनागेन्द्रमुनीन्द्रसंस्तुतां
मनोरमां तां मथुरां पराकृतिम्।।
अर्थात् : 'दुष्ट-हृदय के लोग मेरी इस परम सुन्दर सनातन मथुरा-नगरी को नहीं जानते जिसकी सुरेन्द्र, नागेन्द्र, तथा मुनीन्द्रने स्तुति की है और जो मेरा ही स्वरूप है।मथुरा आदि-वाराह भूतेश्वर-क्षेत्र कहलाती है। मथुरा में चारों ओर चार शिवमंदिर हैं-पश्चिममें भूतेश्वर का, पूर्व में पिप्पलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर का और उत्तरमें गोकर्णेश्वर का चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण शिवजी को मथुरा का कोतवाल कहते हैं।


भूतेश्वर महादेव

जिसमें से पश्चिम की ओर भूतेश्वर महादेव विराजमान हैं। जिनकी बड़ी मान्यता है तथा यहां प्रतिदिन दर्शनार्थी आते हैं तथा यह मथुरा की परिक्रमा के बीच में पड़ता है। तथा आसपास के या यहां से गुजरने वाले हर व्यक्ति को इस महादेव के दर्शन करके अपने दिन की शुरूआत करते तथा अपने घर जाने से पूर्व भी मंदिर में दर्शन अवश्य करते हैं प्राचीन स्थापत्य कला का यह अनूठा शिव मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के समय का बताया जाता है, साथही एक योगमाया का मंदिर भी जिसे लोग पाताल देवी के नाम आज पुकारते हैं।
पिप्पलेश्वर महादेव
पूर्व दिशा की ओर पिप्पलेश्वर महादेव का मंदिर है यह यमुना के किनारे श्यामघाट के निकट है यह मंदिर भी अति प्राचीन है तथा यमुना नदी के किनारे होने कारण निश्चित रूप से इसकी दिशा कई वार बदली हो यह भी घनी आवादी के बीच में स्थित है तथा यहां प्रतिदिन लोग महादेव को जल चढाने आते हैं। श्रावण मास में तो यहां बड़ी भींड़ होती है।
रंगेश्वर महादेव
दक्षिण दिशा में रंगेश्वर महादेव हैं यहां व्यस्त बाजार होने के कारण होलीगेट के निकट और जिलाअस्पताल के सामने महादेव का मंदिर है यहां वर्ष भर लोग महादेव के दर्शन जल चढ़ाने तथा पूजा अर्चना करने आते हैं। मगर श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को यहां मंदिर में घुसना बहुत मुश्किल होता है प्रत्येक वर्ष यहां पुलिस को मंदिर की व्यवस्था लोगों के घुसने और निकलने की व्यवस्था करनी पड़ती है।
गोकर्णेश्वर महादेव
इसी प्रकार से उत्तर में गोकर्णेश्वर महादेव का मंदिर है यह मंदिर भी अति प्राचीन मंदिरों में से एक है इस मंदिर की बनावट देखने से ही इसके प्राचीनता का अहसास होता है यह भी स्थापत्य कला का आज भी प्राचीनता का आभास कराता है। इस महादेव की आदमकद प्रतिमा सभी को आकर्षित करती है शायद ही महादेव की कहीं ऐसी प्रतिमा देखने को मिलती है। विशाल प्रतिमा बैठी हुई मुर्दा में है तथा बड़े बड़े नेत्रों के साथ यहां आने वाले हर व्यक्ति को मन मोहित भी करती है।
इस प्रकार से यह चारों महादेव यहां के कोतवाल कहलाते हैं। यह मथुरा नगरी की रक्षा करते हैं ऐसा भाव लोगों के मन में आज भी इनके प्रति है।
- सुनील शर्मा

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

प्रसिद्ध चित्रकार उमा शर्मा की बनाई चित्रों की प्रदर्शनी

मथुरा। ब्रज कला एवं शिल्प संग्रहालय के हॉल में उमा शर्मा की चित्रकला प्रदर्शनी को देखने पहुँचे देशी विदेशी लोग। मथुरा की प्रसिद्ध चित्रकार उमा शर्मा कागज की कतरनों को चिपका कर आकर्षक पेंटिंग बनाती हैं।


प्रदर्शनी का शुभारम्भ वृन्दावन के साहित्यकार व व्यवसाई कपिल उपाध्याय तथा वृन्दावन के तीर्थ पुरोहित अजय शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय के हॉल में प्रदर्शनी लगाई गई प्रदर्शनी तीन दिनों तक चली जिसमें जर्मनी से पधारे विदेशी पर्यटकों के अलावा स्थानीय कला प्रेमियों ने भी रुचि दिखाई।


उमा शर्मा किसी परिचय मोहताज नहीं हैं। वह मथुरा की एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं, उन्होंने कागजों की कतरनों को चिपकाकर कोलाज तैयार करने में महारत हासिल की है। उन्होंने इस प्रकार की पेंटिंग बना कर प्रसिद्धि पाई है, जो कम ही देखने को मिलती है, मथुरा की चित्रकार उमा शर्मा शांत स्वभाव और निर्मल हृदय की चित्रकार हैं उनके मन के भाव उनकी बनाई चित्रकला में भी दिखाई देती है।
वेसे तो मथुरा में कलाकारों की कोई कमी नहीं है। जनपद की ख्याति प्राप्त कलाकार की अदभुत व दुर्लभ कलाकृतियों के संग्रह को देखने में युवाओं ने भी विशेष रुचि दिखाई। बिना कूची और रंग के, कागज की कतरनों से ही तस्वीरों को आकार देने वाली मथुरा की उमा शर्मा की कलाकृति मात्र पेंटिंग ही नहीं हैं, उनमें ब्रज का पूरा चित्रण देखने को मिलता है। उनके द्वारा बनाये गये तैल चित्रों में ब्रज की सभ्यता, संस्कृति और जनसामान्य के जीवन की एक झलक देखने को मिलती है।


सन् १९५० में जन्मी चित्रकार उमा शर्मा की प्रदर्शनी देखने आये युवा कलाकारों को वह अपने बनाये चित्रों के सामने खड़े होकर समझा रहीं थीं कि इन चित्रों को रद्दी कागज के टुकड़ों को जोड़-जोड़ कर फेबिकोल की मदद से चिपका कर कैसे बनाया गया है। किस प्रकार से मन के भाव को प्रस्तुत किया गया है।
मथुरा में ब्रज की ग्रामीण संस्कृति, कला एवं शिल्प को एक स्थान पर समेटने का काम ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डॉ० उमेश चन्द्र शर्मा ने बीड़ा उठाया है कि ब्रज क्षेत्र में विभिन्न लोक कलाओं और शिल्पकला को प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है। इसी श्रंखला में विलक्षण चित्रकार उमा शर्मा से युवा वर्ग परिचित हो सकें ऐसा प्रयास किया गया। उमा जी की चित्रों की प्रदर्शनी का संकलन यहाँ लगाया गया, जिसे युवा ही नहीं विदेषी पयर्टकों ने भी सराहा।


इस अवसर पर पं. कपिल उपाध्याय ने उमाषर्मा की कला को कुछ इस प्रकार से समझा उन्होंने कहा कि जैसे एक चिड़िया कड़ी मेहनत से तिनका-तिनका जोड़ उससे अपना घौंसला बनाती है और उसे एक आकार देती है, ठीस उसी प्रकार से मथुरा की इस विलक्षण चित्रकार की अपनी कला व मेहनत में दीखती है।


तीन दिन तक चलने वाली इस मथुरा की प्रसिद्ध चित्रकार उमा शर्मा जो कि कागज की कतरनों को चिपकाकर आकर्षक पेंटिंग बनाती हैं। उनके साथ-साथ अनेक नवोदित कलाकारों ने भी इस स्थान पर अपनी-अपनी चित्रकला को प्रदर्षित किया, जिसमें एमिटी यूनीवर्सिटी नोयडा से बेचलर ऑफ फाइन ऑर्ट में बेचलर डिग्री प्राप्त अनुकृति षर्मा द्वारा बनाई नौ देवियों व श्रीकृष्ण की पेंटिंग भी लगाई गई जिनकों भी देख दर्षकों ने खूब सराहा। 

इस अवसर पर सपत्नी पूना से पधारे इस्कॉन मंदिर संस्था के उपाध्यक्ष संजय भौंसले सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट राजेन्द्र सिंह, महेष शर्मा, प्रांषु शर्मा, तनू शर्मा, कमलेश्वर, प्रीति, मनीषा, अनिकेत, अनुभूति, शशि चौधरी, हरीश, सविता, पत्रकार सुनील शर्मा, गीता शोध संस्थान के कोडिनेटर चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार, वृन्दावन गाइड़ के आषु शर्मा आदि उपस्थित थे, तीन दिन तक चलने वाली इस प्रदर्शनी को देखने के लिए पाँच सदस्यीय जर्मनी के विदेषी मेहमानों के अलावा सैकड़ों स्कूली छात्र-छात्राओं व स्थानीय कला प्रेमियों ने भाग लिया।