21 मई 1991 का दिन भारतीय इतिहास का वह काला दिन था जिस दिन देश ने अपने एक युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया था। चुनावी दोरे करते-करते राजीव गांधी देश के विभिन्न हिस्सों में जा रहे थे। 17 मई 1991 को राजीव गांधी मथुरा के के. आर. डिग्री कॉलेज मैदान में रात्रि करीब 2 या ढाई बजे मथुरा पधारे थे। सुबह से ही लोग उक्त मैदान में आकर जम गये थे। कॉफी देर हो जाने पर भी बड़ी संख्या में उनके प्रसंशक वहां जमे हुए थे।
हर एक घन्टे के बाद सूचना मिल रही थी कि बस आने वाले हैं। आखिर वह समय भी आ गया जब राजीव गांधी एक विशेष हेलीकॉफ्टर से मथुरा पहुंचे। किसे पता था कि यह उनकी मथुरा में अंतिम यात्रा होगी और फिर चार दिन के वाद आज से 32 साल पहले राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 की रात्रि करीब 10 बजकर 21 मिनट पर श्रीपेंरबदूर में तेज धमाके के साथ कर दी गयी।
मैं उस समय अमर उजाला के लिए फोटोग्राफी करता था। राजीव जी का मंच पर आना हुआ, मंच पर काफी भींड़ थी। धक्का मुक्की के बीच मैं मंच के पीछे की तरफ चला गया। एक तिरंगा कपड़ा मंच के पीछे लगाया गया था। मुझे उसका कोई अहसास न था, अचानक मैं मंच से करीब पन्द्रह फुट नीचे उपर से गिर गया, जो कैमरे आदि मेरे पास थे वह तो टूट ही गये, मुझे काफी चोटें आयीं मेरा दाहिना हाथ उस समय उपर की ओर उठ ही नहीं रहा था, मैं कॉफी गफलत में था मुझे बेहोसी सी छा गई थी। उपर से गिरने के कारण मेरा सर तो बच गया और मैं शौभाग्यशाली था कि वहां मंच के नीचे तमाम ईटें पड़ी थीं उन पर नहीं गिरा। मैं बच तो गया लेकिन मुझे तीन माह तक घर पर ही रहना पड़ा था।
उस समय जो पत्रकार साथी रिपोर्टिग में व्यस्त थे किसी ने मेरी तरफ देखा तक नहीं मुझे हॉस्पीटल पहुॅंचाना तो दूर की वात थी। उस समय पुलिस कप्तान विजय कुमार गुप्ता व जिलाधिकारी राजीव कुमार थे। उन्हें किसी ने बताया कि मंच के पीछे मंच से एक फोटोग्राफर नीचे गिर गया है। मैं इतने जोश में था कि चौटिल हो जाने के वाद भी पुनः मंच पर चढ़ गया। तब राजीव गांधी ने मेरी हालत देख, उन्होंने मुझसे पूछा कि ‘‘आपको क्या हुआ है’’ मुझे नहीं मालुम कि मैं कैसे मंच से नीचे गिर गया। उसके वाद एस पी विजय कुमार गुप्ता जो उस समय मेरे बहुत ही शुभचिन्तक थे, उन्होंने मुझे मंच से नीचे उतारा, मेरे नाक मुंह से खून वह रहा था व दाहिने हाथ में फैक्चर हो गया था, किसी भी वस्तु को पकड़ने के काबिल भी नहीं था।
तत्कालीन कप्तान श्री गुप्ता ने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हें किसी ने मारा है या किसी ने जबरन धक्का दिया है। मैंने कहा कि नहीं मुझे पता ही नही चला कि मैं किस प्रकार से मंच से नीचे गिर गया। मुझे तत्काल सिटी मजिस्ट्रेट की गाड़ी से जिला अस्पताल भेजा गया। वहां उपस्थित डाक्टर ने कहा कि कुछ नहीं हुआ है एक इंजेक्शन लगाया और मेरे घर तक सिटी मजिस्ट्रेट ने मुझे छोड़ा। दूसरे दिन हाथ सूज गया और दरेसी हास्पीटल के बराबर में डाक्टर वी. के. अग्रवाल जो अब इस दुनिया में नहीं हैं ने मेरा तीन माह तक इलाज किया था।
अमर उजाला ने मुझ पर बहुत बड़ी कृपा की उस समय श्री अजय अग्रवाल भईयो जी ने लेन्डलाइन फोन पर आकर कहा कि इलाज में जो भी खर्च होगा वह अमर उजाला वहन करेगा। मगर उस समय के तत्कालीन ब्यूरोचीफ रहे सज्जन ने कोई हमदर्दी नहीं दिखाई किसी भी पत्रकार ने, फोटोग्राफर ने मदद तो दूर की बात सहानुभूति भी नहीं दिखाई। पत्रकारों को तो छोडिये किसी भी नेता ने भी सहानुभूति के दो शब्द भी नहीं कहे। अमर उजाला ने एक लाइन तक नहीं छापी थी। उस समय अमर उजाला के संस्थापक स्व0 श्री मुरारी लाल माहेश्वरी जी के मामा जी श्री मिश्री लाल माहेश्वरी जी उस मथुरा कार्यालय की पूरी कमान सम्हालते थे उनको जब पता चला तो उन्होंने तत्काल ब्यूरोचीफ को आदेश दिया कि एक समाचार बना कर छापना है। दूसरे दिन एक सिंगल कॉलम समाचार अमर उजाला में छापा गया ‘‘एक फोटोग्राफर राजीव के मंच से गिर कर घायल’’ उसी रात को राजीव गांधी शहर के धनाण्य देवीदास जी के डेम्पीयर नगर स्थित निवास पर गये थे वहीं रात्री में भोजन किया था प्रेस कॉन्फेन्स भी की थी।
इसके वाद या पहले मुझे याद है कि राजीव गांधी अलीगढ़ भी गये थे वहां ट्रेन के उपर से प्लेट फार्म पर राजीव गांधी का फोटो लेने के चक्कर में एक फोटोग्राफर इतने उत्साह में था कि उसने ट्रेन की छत पर जाकर राजीव गांधी के फोटो लेने का प्रयास किया और वह रेलवे ट्रेक के उपर हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया था और उसकी तत्काल मौत भी हो गयी थी। समय ने सब कुछ भुला दिया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी जी को शत-शत नमन विनम्र श्रद्धांजलि।
पत्रकार दिवस पर सभी पत्रकार मित्रों को बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएं
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