गुरुवार, 22 अगस्त 2019

जन्माष्टमीः ठाकुर जी की पोषाक मुस्लिम सिलते हैं, बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं



जन्माष्टमीः ठाकुर जी की पोषाक मुस्लिम सिलते हैं, बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं
मथुरा। कान्हा की पोशाकों को तैयार करने मे दिन रात मुस्लिम कारीगर लगे हुए हैं, ये पीढ़ी दर पीढ़ी इनका कारोबार चला आ रहा है ,इस तरह मुस्लिम समाज के ये लोग सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश समाज में दे रहे हैं। मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर सभी तैयारियों में लगे हुए हैं, वहीं प्रशासन भी पूरी तरह भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव को अबकी बार दिव्य और भव्य बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। गोकुल में सुबह जब कान्हा के जन्म की खुशियां मनाई जायेंगी तो बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं और शहनाई भी मुसलमान ही बजाते हैं।
मुस्लिम कारीगर भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी की सुंदर और आकर्षक पोशाक तैयार करने में लगे हैं। कन्हैया के जन्म उत्सव की तैयारियों में मुस्लिम लोग सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे हैं। अल्लाह के बंदे श्रद्धा के साथ कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन ठाकुरजी के श्रंगार में पहनाई जाने वाली पोशाकों के निर्माण में जुटे हुए हैं। , इन पोशाक की भारत के विभिन्न शहरों में ही नहीं विदेशों में भी मांग है। मुस्लिम समाज के यह लोग भगवान श्रीकृष्ण की पोशाक बनाने का काम अब से नहीं कर रहे। इनके पूर्वज भी इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के आभूषण बनाकर समाज मे सौहार्द का संदेश देते रहे हैं।
मुस्लिम कारीगरों ने बताया कि 40 साल हो गये काम करते, विदेशों में भी जाती हैं हमारी पौषाक, फक्र महसूस करता हूं, हमारी किस्मत है कि ठाकुर जी ने हमें अपने कपडों को सिलने पर लगा रखा है। यह संदेश पूरा भारत में जाना चाहिए, भाईचारा सीखना है तो हमारे वृंदावन से सीखें जो हमें लडाते हैं वह गलत आदमी है।
बांकेबिहारी जी मंदिर भी जाते हैं वृंदावन में, पांच फुट के ठाकुर जी होंगे तो पौषाक सिलने में पूरा एक महीना लगता है। एक पोषाक में करीब पांच आदमी लगते हैं। हमें अच्छा लगता है, दिल को सुकून मिलता है, ठाकुर जी की पोषाक बनाने में, भरत और भारत के बाहर के मंदिरों में हमारी पोषाक पहनाई जाती है।
100 से अधिक कारखाने हैं पौषाक तैयार करने के
मथुरा में पोशाक और मुकुट श्रृंगार का व्यवसाय फैला हुआ है। 100 से अधिक कारखानों में अधिकांश कारीगर मुस्लिम समाज के हैं, जो दिन-रात भगवान श्रीकृष्ण के पोशाक और श्रृंगार का सामान तैयार करने में जुटे हुए हैं, वह इन लोगों की रोजी-रोटी का भी एक साधन है।
कान्हा के जन्मोत्सव का इंतजार इन्हें बेसब्री से रहता है।
विदेशों में भी भारी मांग है।
जन्माष्टमी से महीनों पहले से ही ये भगवान श्रीकृष्ण की पोशाकों को तैयार करने में लग जाते हैं। भगवान के मुकुट, गले का हार, पायजेब, बगल बंदी, चूड़ियां, कान के कुंडल जैसे आभूषणों को तैयार किया जाता है। तैयार होने के बाद इन्हें विदेशों में भी भेजा जाता है। इन लोगों पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड कनाडा, नेपाल और अफ्रीका से भी ऑर्डर आते हैं।

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