प्रभुपाद जी का इस्कान भी विवादों के घेरे में।
एक भक्त ने यौनाचार का लगाया गम्भीर आरोप।
दूसरा भक्त वृन्दावन इस्कान के सामने होमो सैक्सुअल के खिलाफ धरने पर बैठा।
इस्कॉन संस्थान के अधिकारी परेशान, अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर जारी।
-सुनील शर्मा
मथुरा। इस्कान के संस्थापक श्रील एसी भक्ति वेदान्त स्वामी प्रभुपाद जी ने जिन उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस्कान की आधार शिला रखी थी उन उद्देश्यों का पतन हो रहा है। भारतीय संस्कृति पर गोरी चमडी वालों की संस्कृति हावी हो रही है। इस्कान के अनुयायी और व्यवस्थापकों पर उडीसा व पंश्चिम बंगाल के भोले-भाले युवक-युवतियों को इस्कान में प
इस्कॉन की प्रतिष्ठा और उसके स्वरूप की आड़ में प्रबंधतंत्र द्वारा कैसे-कैसे कुकृत्य कर रहा है। इसका प्रमाण कई दिनों से वृंदावन इस्कॉन के बाहर चल रहे अनशन और 07 मई 2012 को नई दिल्ली की अमर कॉलोनी थाने में दर्ज अप्राकृतिक यौनाचार की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
पिछले करीब 6 वर्षों से अमर कॉलोनी स्थित इस्कॉन मंदिर के ब्रह्मचारी आश्रम में रहकर महाराज गोपालकृष्ण गोस्वामी की सेवा करने वाले अच्युत दास उर्फ अजीत कुमार द्वारा आईपीसी की धारा 377 तथा 511 के तहत दर्ज कराई गई एफआई आर के मुताबिक 15 फरवरी 2012 की रात करीब 11 बजे महाराज गोपालकृष्ण व उनके सेवक दयानिधि महाराज ने अच्युत दास के साथ आश्रम में ही तब अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की, जब वह सो रहा था।
अच्युत दास के अनुसार उसके द्वारा शोर मचा देने के कारण गोपालकृष्ण व दयानिधि ने क्षमा मांगते हुए माफ कर देने का अनुरोध किया और भरोसा दिलाया कि फिर कभी ऐसा अपराध नहीं करेंगे।
अच्युत दास का कहना है कि उसके द्वारा माफ कर देने के बाद 08 अप्रैल 2012 की रात एक बजे दयानिधि महाराज ने उसके साथ एक साउण्ड प्रूफ कमरे में दुराचार किया और कहा कि गोपालकृष्ण महाराज के रहते उसका कुछ नहीं बिगड़ सकता।
अच्युत दास ने सुबह मौका मिलने पर अपने साथ किये गये कुकृत्य की शिकायत इस्कॉन यूथ फॉर्म के डायरेक्टर सुंदर गोपाल दास तथा मैनेजर हृदय दास से की लेकिन उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया।
गोपालकृष्ण महाराज को भी पूरी घटना से अवगत कराया गया पर वह चुप्पी साधे रहे। इसके बाद अच्युत दास ने पूरी घटना की लिखित जानकारी संस्था की गवर्निंग बॉडी को दी जिसमें 20 लोगों की टीम है।
गवर्निंग बॉडी द्वारा अच्युत दास की कोई मदद तो नहीं की गई अलबत्ता बॉडी के एक सदस्य मोहन रूपा दास ने अच्युत दास को फोन करके धमकी देते हुए कहा कि तुम जैसे बहुत लोग आये और चले गये, तुमने गोपाल महाराज की शिकायत करके बहुत बड़ी भूल की है जिसका खामियाजा तुम्हें भुगतना होगा।
अच्युत दास द्वारा दी गई इस आशय की तहरीर पर अमर कॉलोनी थाना पुलिस ने गोपालकृष्ण महाराज, दयानिधि महाराज, मोहन रूपा दास तथा हृदय दास के खिलाफ अपराध पंजीकृत कर लिया जिसकी विवेचना एस आई के. पी. शाह द्वारा की जा रही है।
पीडि़त अच्युत दास द्वारा इसके बाद 14 मई 2012 को दिल्ली के पुलिस आयुक्त को एक प्रार्थना पत्र के जरिये अवगत कराया गया कि जांच अधिकारी के. पी. शाह तथा सिपाही सुशील कुमार उसे 06 मई 2012 के दिन गोवर्घन (मथुरा) से यह कहकर दिल्ली ले गये कि मेडीकल करवाना है। दिल्ली ले जाकर बताया कि देर हो जाने के कारण मेडीकल कल होगा।
अच्युत दास ने पुलिस आयुक्त को लिखा है कि पूरी रात वह अमर कॉलोनी थाने पर रहा जहां सुबह करीब 09 बजे ब्रजेन्द्र नंदन, अद्वैतकृष्ण तथा आदियोगी आये और बात करने की कहकर थाने से बाहर निकाल लिया। वहां पहले से खड़ी गाड़ी में धक्का देकर बैठा दिया और मंदिर लेकर आ गये।
मंदिर में गोपालकृष्ण महाराज ने मु-हजयसे कहा कि सारा मामला वापस ले लो तो मैं तुम्हें 50 लाख रुपये दे दूंगा।
मेरे द्वारा रुपया लेने पर सहमत न होने के बाद राघव पण्िडत दास तथा अद्वैतकृष्ण ने जान से मारने की धमकी दी।
अच्युत दास ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त को लिखा है कि इन लोगों का पूरा गिरोह है जिसमें भीमा दास व दयाराम दास भी शामिल हैं। इनका कहना है कि दिल्ली पुलिस और बड़े-बड़े नेता हमारे साथ हैं, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अच्युत दास का कहना है कि उसी दिन थाना पुलिस मंदिर आई और ब्रजेन्द्र नंदन व अद्वैतकृष्ण सहित मुजये भी अपने साथ ले गई। अगले दिन उन्हें छोड़ दिया।
सूचना पाकर पहुंचे मेरे वकील भी मु-हजये अपने साथ वृंदावन ले आये जहां मैं उनके पास रह रहा हूं। अच्युत दास का कहना है कि गोपालकृष्ण व उनका गिरोह वृंदावन में भी उसका पीछा कर रहा है और कभी भी उसकी जान जा सकती है।
दूसरी ओर इस्कॉन के ही एक अन्य भक्त नवनीत दास 24 नवंबर से इस्कॉन मंदिर वृंदावन के सामने अनशन पर बैठे हैं। नवनीत दास ने मथुरा के जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि मंदिर के प्रबंधतंत्र को पिछले कुछ समय से असामाजिक तत्वों ने कब्जा रखा है और यह लोग हर तरह के अनैतिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
मंदिर में दुराचार करके उसकी पवित्रता को नष्ट किया जा रहा है और दान के पैसों का दुरुपयोग लोगों का मुंह बंद करने में किया जा रहा है। नवनीत दास ने डीएम मथुरा को लिखा है कि जब उसने प्रबंधतंत्र के कारनामों पर उंगली उठाई तो उसके साथ मारपीट करके बाहर निकाल दिया गया और जान से मारने की धमकी दी। नवनीत दास ने डीएम को अवगत कराया है कि उसकी शिकायत पर संज्ञान लिये बिना वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे, चाहे उनकी जान चली जाए।
नवनीत दास की मानें तो इस्कॉन का यह हाल उसके प्रबंधतंत्र ने केवल दिल्ली या वृंदावन में नहीं कर रखा अपितु विदेशों में भी कर रखा है।
इस्कॉन के गुरुकुलों में अध्ययनरत छात्रों के साथ पहले तो जबरन अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध स्थापित करना और फिर उनका मुंह बंद कराने के लिए मंदिर में आने वाले दान के पैसों का इस्तेमाल करना आम बात है।
अप्राकृतिक यौनाचार के शिकार गुरुकुल न्यूयॉर्क के कुछ छात्रों को वहां की अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश भी पूर्व में दिया जा चुका है जिसकी भरपायी दान के पैसों से मासिक किश्त के रूप में की जा रही है।
नवनीत दास के अनुसार दिल्ली और वृंदावन के अतिरिक्त मुम्बई व कोलकाता के इस्कॉन मंदिरों से भी ऐसी शिकायतें आती रही हैं लेकिन प्रबंधतंत्र अपने प्रभाव व पैसों के बल पर सबको दबाने में सफल रहा है। अच्युत दास व नवनीत दास के आरोपों में कितना दम है, यह भले ही फिलहाल साबित न हो पाये पर इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वामी प्रभुपाद के इस्कॉन में सब-ंउचयकुछ ठीक-ंउचयठाक नहीं चल रहा।
भारतीय व हिन्दी भाषी क्षेत्रों के लोग अपने बच्चों को इस्कान में मात्र आध्यात्मिक, सांस्कृतिक धार्मिक सेवाभाव के लिए भेजते हैं। कितना पैसा यहां के गुरूकुल में देकर अपने बच्चों के अन्दर भारतीय संस्कार डालने के यहां भेजते हैं जबकि इस्कान के अन्दर क्या चल रहा है इसका उन्हे आभास तक नहीं होता है। इसी के चलते वृन्दावन स्थित इस्कार मंदिर में करीब २० वर्षों सें भगवान श्रीकृष्ण की साधना में लीन नवनीत दास ने यहां चल रहे यौन शोषण के खिलाफ बिगुल फुक दिया है। उन्होंने इस्कॉन संस्था के प्रबन्ध समिति के सदस्यों की संद्धिता का विरोध किया तो नवनीत दास को इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक ने जबरन मंदिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस मंदिर में क्या-ंउचयक्या नहीं होता इसका खुलासा नवनीत दास ने उत्तर प्रदेश सरकार व वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र के माध्यम से मय साक्ष्य के किये जाने की बात कही है। इस्कॉन मंदिर में देह व्यापार, वैश्यावृति, गांजा, हीरोईन आदि नशीले पदार्थों की बिक्री व खरीदारी जोरों से हो रही है। तथा विदेशी भक्तों का बीजा अवधि भी समाप्त हो चुकने के बाद बंगलादेशी व अन्य विदेशीयों की शरण स्थली इस्कान संस्था हो गयी है अवैध रूप से विदेशी आराम से इस्कॉन मंदिर में शरण लिए हुए हैं, इन्टैलीजेन्स यूनिट बेखबर है।
नवनीत दास ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में दुष्कर्म व दान की राशि के दुरूप्रयोग का हवाला दिया है कि देश विदेश में स्थापित गुरूकुलों में वहा अध्ययनरत छात्रों के साथ विदेशी अध्यापकों द्वारा समलैंगिक दुराचार किया जा रहा है। इस्कॉन को न्यूयार्क न्यायालय ने दण्ड़ स्वरूप पीडि़त छात्रों को मुआवजा दिलाया। इन विदेशी षड़यन्त्रकारियों द्वारा किये गये अप्राकृतिक यौनाचार की दण्ड़ राशि सभी भारतीय मंदिरों से प्रति मास किश्त के रूप में अदा की जाती है जो कि करोड़ों में है। जरा सोचो दिनभर कड़ी मेहनत करके पैसा कमाने वाले भारतीय अपनी श्रृद्धा भक्ति स्वरूप जो दान इन मंदिरों में देते हैं वह पैसा अवैध यौनाचार की किश्त में चला जाता है।
यौनाचार व समलैगिकता का आरोप लगाते हुए पत्र में लिखा है कि भारतीय शिक्षित युवा पी-सजय़ी को बड़े-ंउचयबड़े शिक्षा संस्थानों में अपने प्रचारक भेजकर युवाओं का मंदिरों में आजीवन ब्रह्मचारी बनाकर उनमें समलैंगिक गु्रप बनाये जा रहे है। कुछ भारतीयों की गोरी चमड़ी में विशेष आस्था उत्पन्न होती है। ऐसे ही लोगों का उपयोग करके इन्होंने समलैंगिक दुराचार का षड़यन्त्र उन शिक्षित युवा भारतीय ब्रह्मचारियों में भी फैलाया जिसके फलस्वरूप प्रायः बडे मंदिरों में समलैंगिकों के गुट प्रकाश में आये। जब भी जो भी मामला प्रकाश में आया उसे इन्होंने अपने प्रभाव व पैसे से बड़ी आसानी से दबा दिया। विगत दो वर्षों में चैपाटी मुम्बई, मायापुर कोलकाता, पंजाबी बाग, ईस्ट अॉफ कैलाश तथा वृंदावन स्थित मंदिरों में रह रहे ब्रह्मचारियों के मामले प्रकाश में आये हैं। इस सन्दर्भ में जब कोई इनका विरोध करता है तो संस्था का प्रबंध तन्त्र पीडि़त व प्रार्थी के विरूद्ध ही कार्यवाही करता है। अगर मामला ब-सजय़ता है तो उसे पैसे से दबा दिया जाता है। भगवान की सेवा तथा सामाजिक कार्यों के लिये आने वाले दान को ये अपने कुकृत्यों को दबाने के लिये दुरूपयोग करते हैं, श्रीला प्रभुपाद ने कहा था कि जहां हमारे मंदिर है वहां एक किलो मीटर तक कोई भूखा नहीं रहे परन्तु ये तो अपने आजीवन सदस्यों को भी भोजन बिना पैसे के नहीं कराते हैं मंदिरों में दातव्य संस्था से सम्बन्धित कोई भी सेवा समाज हित में व जन हित में संचालित नहीं है। उल्टा मंदिरों को अच्छे व्यापारिक प्रतिष्ठानों का रूप दे दिया है। वृंदावन में भी हरिविजय दास, वैष्णदास, माखनचोर दास, रामहरिदास, पंचतत्वदास, रमाकान्तदास आदि इसी दल के सदस्य हैं अन्य भी हो सकते हैं परन्तु इनमें से रामहरि, रमाकान्त हरिविजय आदि के मामले काफी प्रकाश में आ चुके हैं। नवनीत दास ने आरोप लगाया है कि वृन्दावन इस्कान प्रेसीड़ेट पंचगौडा दास, बाइस प्रेसीड़ेंट वैष्ण दास, जीएम जर्नादन दास व गैस्ट हाउस मैनेजर गणपति दास महाभष्ट्र व सैक्सुअल व्यक्ति है इनमें से किसी पर यौनाचार तो किसी भी भष्ट्राचार के आरोप पूर्व में लग चुके है और आज भी लगते रहे हैं। नवीनत दास को इस्कान प्रबंधन द्वारा धन प्रलोभन व न मामने पर धमकी मिल रही है।
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