बुधवार, 28 जून 2023

गुरू की पूजा कर पैदल गिरिराज परिक्रमा करते हैं श्रद्धालु

सनातन गोस्वामी की स्मृति में उनके शिष्यों ने मुडिया परिक्रमा शुरू की थी 

            मथुरा, गोवर्धन। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समूचे ब्रजक्षेत्र में दो ही वस्तुओं का आज भी अस्तित्व विद्यमान है, इनमें एक है यमुना नदी और दूसरा गोवर्धन स्थित गिरिराज पर्वत। भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का वध करके यमुना को प्रदूषण से मुक्त कराया था और गिरिराज गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली में छाता की तरह उठाकर इंद्रदेव की अतिवृष्टि से डूबते ब्रजवासियों को बचाया था। भगवान श्रीकृष्ण के समय से आज तक यमुना और गिरिराज पर्वत गोवर्धन करोड़ों-करोड़ों भारतीयों की आस्था एसं श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। आज संपूर्ण विष्व में ब्रजभूमि को यमुना और गोवर्धन पर्वत के कारण ही जाना जाता है। इसी लिये पूरे विश्व से मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, नन्दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन बलदेव आदि धार्मिक स्थलों को देखने व भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि का दर्शन करने प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों तीर्थ यात्री यहां आते है। यमुना के जल को आचमन मात्र से मोक्ष प्राप्ति का अटूट विश्वास लोक जन मानस में आज भी है ओर गिरिराज गोवर्धन को साक्षात कृष्ण का ही रूप मान कर सप्तकोसीय परिक्रमा वर्ष भर करते ही रहते हैं।


        मथुरा मुख्यालय से 22 कि.मी. की दूरी पर स्थित है प्राचीन तीर्थ स्थल गोवर्धन, गोवर्धन के चारों ओर लगभग 21 किलो मीटर क्षेत्र में गिरिराज गोवर्धन अराबली पर्वत श्रृंखला है। इस पर्वत श्रृखंला की तलहटी में बारहों महीने करोड़ों लोगों को परिक्रमा कर गिरिराज गोवर्धन के प्रति अपनी आस्था और भक्ति की अभिव्यक्ति करते व अपने आपको इस ब्रज रज के साथ ऐकाकार करके पुण्य प्राप्त करते देखा जा सकता है। गुरू पूर्णिमा का लोक पर्व ‘‘मुड़िया पूनौ’’ के नाम से जाना जाता है, इस दिन बड़ी संख्या में भक्त देश के विभिन्न अंचलों से रेल मार्ग, सड़क मार्ग से या फिर अपने-अपने साधनों से बहुत बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। जिनके कारण मुड़िया पूनौ ब्रज का सबसे बड़ा राजकीय लक्खी मेला बन गया है।

        गुरू पूर्णिमा के इस लोक पर्व के रूप में मनाये जाने के पीछे भगवान वेदव्यास का जन्म दिवस व चैतन्य महाप्रभु सम्प्रदाय के शिष्य आचार्य सनातन गोस्वामी का आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को निर्वाण और गिरिराज गोवर्धन को साक्षात श्रीकृष्ण के रूप में मानने की अटूट आस्था है। इस आस्था का दर्शन भक्तों द्वारा गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा लगाते समय गाये जाने वाले लोक गीतों के माध्यम से होता है। एक लोकगीत में गोवर्धन परिक्रमा को जाने के लिए मन की व्याकुलता गिर्राज जी की परिक्रमा और मानसी गंगा में स्नान की आकांक्षा श्रद्धालु इस प्रकार व्यक्त करते हैं।


नांइ माने मेरौं मनुआं मैं तो गोवर्धन कूं जाऊ मेरी वीर।

सात कोस की दे परिक्रम्मा मानसी गंगा नहाऊ मेरी वीर।।

मुड़िया पूनौं का नाम कैसे पड़ा

         चैतन्य महाप्रभु के संप्रदाय के शिष्य विद्वान आचार्य सनातन गोस्वामी से है। जिनका निधन हो जाने पष्चात उनके शिष्यों ने शोक में अपने सिर मुड़वा कर कीर्तन करते हुए मानसी गंगा की परिक्रमा की थी। मुडे हुए सिरों के कारण शिष्य साधुओं को मुड़िया कहा गया और क्यों कि उस दिन पूनौं यानी (पूर्णिमा) का दिन था, जिसके कारण इसका नाम मुड़िया पूनौं कहा जाने लगा, सनातन गोस्वामी और उनके भाई रूप गोस्वामी गौड़ देश प्राचीन बंगाल के शासक हुसैन शाह के दरवार में मंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति-सिद्धांतों से प्रभावित होकर वे दोनों मंत्री पद छोड़कर महाप्रभु के आदेष पर वृन्दावन आ गये और यहां उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से दीक्षा प्राप्त की और उनके शिष्य हो गये। चैतन्य महाप्रभु ने उन्हें यह आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण के समय के तीर्थ स्थलों की खोज करें और उनके प्राचीन स्वरूप को प्रदान करें साथ ही श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार-प्रसार करें। चैतन्य महाप्रभु के आदेशानुसार दोनों भाईयों ने ब्रज के वन-उपवन और कुंज निकुंजों में भ्रमण करके भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थलियों की खोज करके उन्हें पुनः जीवित किया, वे दोनों घर-घर जाकर रोटी की भिक्षा ग्रहण करते और महामंत्र का जाप करते रहते थे।


‘‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।, 

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।’’

        इस प्रकार महामंत्र का कीर्तन कर कृष्ण भक्ति का प्रचार प्रसार करते-करते सनातन गोस्वामी जब गोवर्धन आये तो उन्होंने मानसी गंगा के किनारे स्थित चकलेश्वर मंदिर के निकट अपनी कुटिया बना ली और वहीं रहने लगे वह नित्य प्रति गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा किया करते थे। वह नित्य प्रति मानसी गंगा में स्नान करते थे। जब वह अत्यंत वृद्ध और अशक्त हो गये तब भी उन्होंने नित्य नियम को नहीं छोड़ा। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें साक्षात दर्शन देकर गिरिराज पर्वत की एक शिला पर अपने चरण चिन्ह अंकित कर बाबा को दिया और कहा-कि बाबा अब आप इसकी ही परिक्रमा कर लेंगे तो गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा पूरी हो जायेगी। यह गिर्राज षिला आज भी वृन्दावन के राधा दामोदर मंदिर में स्थापित है तथा इसकी पूरे वर्ष भर श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं।


मुडिया पूर्णिमा मेला क्यों मनाया जाता है

        सनातन गोस्वामी का निधन अब से 469 वर्ष पूर्व संवत् 1611 में आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को हुआ था। उनके निधन पर उनके ष्ष्यि अनुयायियों ने सिर मुड़वाकर चकलेश्वर मंदिर से शोभायात्रा के रूप में निकाली थी, वहीं परम्परा आज भी उनके शिष्यों व अनुयायियों के द्वारा प्रत्येक वर्ष निकाली जाती है। आज यह विषाल मेला का रूप ले चुका है और परिक्रमा मार्ग खचाखच भरा रहता है। जिसके कारण जिलाप्रषासन को इस राजकीय मेले की व्यापक व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं।

        इस दिन श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के चकलेष्वर स्थित मंदिर के सामने परमपूज्य सनातन गोस्वामी जी की समाधि स्थल पर अधिवास, संकीर्तन का शुभारम्भ किया जाता है। इसके पष्चात एक  शोभायात्रा सांय के समय निकलती है, तथा एक अन्य शोभायात्रा सुबह राधाष्याम सुन्दर मंदिर से निकाली जाती है इसके मुड़िया महन्त राम कृष्ण दास हैं, दूसरी शोभायात्रा चकलेष्वर महाप्रभु मंदिर से सायं के समय निकलती है इस मंदिर के महन्त श्री गोपाल दास जी महाराज ने बताया कि इस वर्ष 1 जुलाई को अधिवास, 2 जुलाई को अखण्ड हरिनाम संर्कीतन, 3 जुलाई को सुबह गुरू पूजन दोपहर को साधु सेवा ब्राह्मण भोजन भण्डारा और सांय 5 बजे से मुडिया परिक्रमा निकाली जायेगी। जिसमें आश्रम के साधु-संत झांझ, मंजीरे, हारमोनियम व ढोलक की लय ताल पर नृत्य करते हुए निकलेंगे। 

        रघुनाथ दास जी गोस्वामी की गद्दी राधाकुंड में पूज्य सनातन गोस्वामी के निकुंज लीला में प्रवेश करने के बाद गुरू भक्ति की याद में मुड़िया पर्व को मनाया जाता है। इसमें राधाकुंड-श्यामकुंड से सनातन गोस्वामी के चिन्हों को लेकर साधु-संत इस शोभायात्रा में नाचते कूदते हुए शामिल होते हैं और मानसी गंगा और गिरि गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं।


इस दिन ब्रज क्षेत्र में हर मंदिर और आश्रम में लोग अपने-अपने गुरू की पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं 

        मुडिया पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है पूरे ब्रज क्षेत्र में प्रत्येक मंदिर और आश्रम में लोग अपने-अपने गुरू की पूजा अर्चना करते हैं तथा गुरू स्थान की भी पूजा करते है और इस दिन जगह-जगह भंडारे लगते हैं जहां श्रृद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं और पूर्ण भक्ति भाव, और आस्था के साथ अपने-अपने गुरू से आर्शीवाद ग्रहण करते हैं। कुछ लोग इस दिन को पवित्र मान कर अपने जीवन को सफल व पूर्व जन्म को सुधारने व भगवत प्राप्ति का मार्ग पाने के लिए गुरू बनाते है और उनकी पूजा अर्चना करते हैं तथा गुरू को उपहार स्वरूप फल, वस्त्र आदि भेंट करते हैं। गुरू द्वारा बताये मार्ग पर चल कर भजन पूजा शुरू करते हैं।

लाखों परिक्रमार्थी गोवर्धन पहुंच रहे हैं

मुडिया पूर्णिमा 3 जुलाई को श्रद्धालु मानसी गंगा में स्नान कर परिक्रमा शुरू करेंगे

        इस राजकीय लक्खी मेले को देखते हुए जिला प्रशासन प्रत्येक वर्ष श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर व्यवस्था करता है। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को विभिन्न सैक्टरों में बांटकर पेयजल, सफाई, शुद्ध खाद्य पदार्थ, विद्युत व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, दुग्ध आपूर्ति, यातायात व्यवस्था का व्यापक इंतजाम जिला प्रषासन द्वारा किया जाता है। पूरे मेला क्षेत्र में पुलिस चौकी तथा वाच टावर के माध्यम से नियंत्रण की व्यवस्था की जाती है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की घोषित व्यवस्थाओं के अभाव में प्राइवेट बसों द्वारा यात्रियों को भूसे की तरह भर कर मेला स्थल तक पहुंचाया जाता है यात्री छतां पर यात्रा करने को मजबूर होते है। जगह-जगह बैरियर लगे होने के कारण यात्रीयों को परिक्रमा के अलावा अधिक पैदल चलना पड़ता है।

        गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में कुसुम सरोवर, राधाकुण्ड, जतीपुरा आदि अनेक दर्शनीय स्थल पड़ते हैं तथा यह सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र का एक मात्र धार्मिक आस्था का केन्द्र है। गोवर्धन मथुरा से 26 किलोमीटर की दूरी पर है, गोवर्धन में पूछरी का लौठा, अप्सरा कुण्ड, कृष्ण दास का कुआ, सुरभि कुण्ड जैसे रमणीक स्थल हैं। गोवर्धन की तलहटी में सूरदास, कुंभनदास आदि अष्ट छाप के कावियों, सखाओं एवं सिद्ध भक्तों के स्थल आज भी आस्था के केंद्र बने हुए हैं।


        प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी ब्रज क्षेत्र के प्रसिद्ध गोवर्धन गिरिराज महाराज की मुड़िया पूर्णिमा मेला में बीते वर्ष से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने की संभावना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार लगभग एक करोड़ श्रद्धालु मुड़िया पूर्णिमा मेला पर गिरिराज महाराज की परिक्रमा करेंगे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के गिरिराज गोवर्धन पहुंचने को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। मुड़िया पूर्णिमा मेले में बड़ी संख्या में वाहनों के आवागमन को देखत हुए पार्किंग स्थलों के लिये अलग से जगह-जगह व्यवस्था की गयी है। निजी पार्किंग स्थलों के लिये लोक निर्माण विभाग द्वारा पार्किंग के लिये ठेकेदारों को स्थान उपलब्ध कराये जायेंगे। पार्किंग स्थलों की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। 

        इस अवसर पर गोवर्धन में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के शासन द्वारा निर्देश दिये गये हैं। मानसी गंगा पर मेले के दौरान प्रकाश व्यवस्था को अनवरत किये जाने के लिये जैनरेटर सैट लगाये गये हैं सड़क मार्ग पर प्रकाश व्यवस्था के लिये गोवर्धन तथा राधाकुण्ड नगर पंचायतों को पर्याप्त लाइट लगवाने के निर्देश भी जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा दिये गये हैं।

प्रस्तुति : सुनील शर्मा मथुरा

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