Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। आदिकाल से चार महादेवों की पूजा सेवा चली आ
रही है हालाकिं मथुरा में अब हर गली मौहल्लों में अनगिनत महादेव मंदिर बन गये हैं।
लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार इन मंदिरों को बना लिया हैं। मथुरा शहर की हर
कॉलोनी में महादेव की पूजा अर्चना होती है मगर ऐसी मान्यता है कि यहां पहले चार
महादेव की ही पूजा होती थी, उसका कारण शायद मथुरा शहर जिसे आज पुराना
शहर कहा जाता है। उसी के आसपास चारों महादेव हैं और आवादी भी यहीं पर ज्यादा थी
जिसके कारण इन महादेवों की पूजा सदियों से की जाती रही है।
पद्मपुराण निर्वाण खण्ड में भगवान् का वचन है-
अहो न जानन्ति दुराशयाः
पुरीं मदीयां परमां सनातनीम्
सुरेन्द्रनागेन्द्रमुनीन्द्रसंस्तुतां
मनोरमां तां मथुरां पराकृतिम्।।
अर्थात् : 'दुष्ट-हृदय के लोग मेरी इस परम सुन्दर
सनातन मथुरा-नगरी को नहीं जानते जिसकी सुरेन्द्र,
नागेन्द्र, तथा
मुनीन्द्रने स्तुति की है और जो मेरा ही स्वरूप है।’
मथुरा आदि-वाराह
भूतेश्वर-क्षेत्र कहलाती है। मथुरा में चारों ओर चार शिवमंदिर हैं-पश्चिममें
भूतेश्वर का, पूर्व में पिप्पलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर का और उत्तरमें
गोकर्णेश्वर का चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण शिवजी को मथुरा का कोतवाल
कहते हैं।
भूतेश्वर महादेव
जिसमें से पश्चिम की ओर भूतेश्वर महादेव विराजमान हैं। जिनकी
बड़ी मान्यता है तथा यहां प्रतिदिन दर्शनार्थी आते हैं तथा यह मथुरा की परिक्रमा के
बीच में पड़ता है। तथा आसपास के या यहां से गुजरने वाले हर व्यक्ति को इस महादेव के
दर्शन करके अपने दिन की शुरूआत करते तथा अपने घर जाने से पूर्व भी मंदिर में दर्शन
अवश्य करते हैं प्राचीन स्थापत्य कला का यह अनूठा शिव मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के
समय का बताया जाता है, साथही एक योगमाया का मंदिर भी जिसे लोग
पाताल देवी के नाम आज पुकारते हैं।
पिप्पलेश्वर महादेव
पूर्व दिशा की ओर पिप्पलेश्वर महादेव का मंदिर है यह यमुना के
किनारे श्यामघाट के निकट है यह मंदिर भी अति प्राचीन है तथा यमुना नदी के किनारे
होने कारण निश्चित रूप से इसकी दिशा कई वार बदली हो यह भी घनी आवादी के बीच में
स्थित है तथा यहां प्रतिदिन लोग महादेव को जल चढाने आते हैं। श्रावण मास में तो
यहां बड़ी भींड़ होती है।
रंगेश्वर महादेव
दक्षिण दिशा में रंगेश्वर महादेव हैं यहां व्यस्त बाजार होने के
कारण होलीगेट के निकट और जिलाअस्पताल के सामने महादेव का मंदिर है यहां वर्ष भर
लोग महादेव के दर्शन जल चढ़ाने तथा पूजा अर्चना करने आते हैं। मगर श्रावण मास के
प्रत्येक सोमवार को यहां मंदिर में घुसना बहुत मुश्किल होता है प्रत्येक वर्ष यहां
पुलिस को मंदिर की व्यवस्था लोगों के घुसने और निकलने की व्यवस्था करनी पड़ती है।
गोकर्णेश्वर महादेव
इसी प्रकार से उत्तर में गोकर्णेश्वर महादेव का मंदिर है यह
मंदिर भी अति प्राचीन मंदिरों में से एक है इस मंदिर की बनावट देखने से ही इसके
प्राचीनता का अहसास होता है यह भी स्थापत्य कला का आज भी प्राचीनता का आभास कराता
है। इस महादेव की आदमकद प्रतिमा सभी को आकर्षित करती है शायद ही महादेव की कहीं
ऐसी प्रतिमा देखने को मिलती है। विशाल प्रतिमा बैठी हुई मुर्दा में है तथा बड़े बड़े
नेत्रों के साथ यहां आने वाले हर व्यक्ति को मन मोहित भी करती है।
इस प्रकार से यह चारों महादेव यहां के कोतवाल कहलाते हैं। यह
मथुरा नगरी की रक्षा करते हैं ऐसा भाव लोगों के मन में आज भी इनके प्रति है।
- सुनील शर्मा