यदि रेल के सफर में आपका कोई कीमती सामान खो जाए या ट्रेन में छूट जाये और वह वापस मिल जाए, चाहें वह मंगलसूत्र, झुमका, पर्स, मोबाइल या लेपटॉप वह आपको फिर से मिल जाये जिसके मिलने की उम्मीद आपने खो दी थी तो यह चमत्कार से कम नहीं हो सकता और आपकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहेगा जब आपका कीमती सामान आपके पास पहुंच जाये। आज के समय में इसे भी आप चमत्कार ही बतायेंगे। मेरी छोटी बहन अनुजा गोस्वामी जो 01 अप्रैल 2023 को ट्रेन संख्या 12030 अमृतसर शताब्दी के सी-2 कोच में सीट संख्या 50, 51, 52 में, अपने पति और बेटी के साथ दिल्ली से अमृतसर जा रहे थे। उसके पति को किताबें पढ़ने का बहुत शौक है जिस कारण वो अपने साथ किंडल (ई-बुक) हमेशा रखते हैं, सफर के दौरान किंडल ट्रेन में पढ़ने के लिए निकला और गलती से वह ट्रेन में ही रह गया। जब यह लोग डलहौजी पहुंचे तो वहां श्री राकेश शर्मा जी का मेरी बहन के पति के पास कॉल आया कि आपका कुछ सामान ट्रेन में रह गया है क्या ? इन लोगों को तो याद ही नहीं था कि किंडल ट्रेन में ही रह गया है। फिर श्री शर्मा ने इनको किंडल के बारे में बताया कि कैसे उन्हें किंडल मिला और कैसे इन तीनों की डिटेल निकल कर संपर्क किया और सौभाग्य से श्री राकेश शर्मा भी नोएडा के ही रहने वाले निकले, उन्होंने बहन को अपना संपर्क नंबर और पता दिया। जब यह उनसे मिले और किंडल सही सलामत वापस मिल गया तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं था कि खोई हुई वस्तु मिल गयी। अनुजा ने श्रीमान राकेश शर्मा जी, स्टेशन मैनेजर, नई दिल्ली बहुत-बहुत शुक्रिया अदा किया।नईदिल्ली रेलवे स्टेशन के मैनेजर राकेश शर्मा ऐसी शख्सियत हैं जो इस कार्य को पूरी तरह निःस्वार्थ भाव से करते है। अपनी ड्यूटी के अलावा वह लोगों तक उनका खोया सामान लौटाने में पूरी मदद करते हैं, वह ऐसे जरूरी सामान को उसके सही मालिकों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं, अब तक 757 लोगों के कीमती सामान को उसके सही मालिकों तक पहुंचा चुके हैं। इन सामानों में सोने चांदी के गहने, लैपटॉप, मोबाइल, जैकेट, सूट, पर्स, नगद राशि, डॉलर, बैग, खाने-पीने से लेकर जरूरी सामान घडियां लेडीज पर्स, किंडल, चूड़ियां, लेडिज पर्स सहित लंबी सूची है जो रेलगाड़ियों में मुसाफिर भूल गए और वह अगर राकेश शर्मा तक पहुंचा तो फिर असली मालिक के हाथों में ही मिलता है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के तौर पर राकेश शर्मा अब तक 757 यात्रियों की मदद कर चुके हैं, वह इन 757 सामान की कीमत तो नहीं जानते लेकिन अगर 10 हजार रुपए औसत कीमत भी आंकी जाए तो यह 75 लाख रुपए से अधिक की राशि होगी। हालांकि कई बार यह सामान लाखों रुपयों का भी होता है। दरअसल रेल यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करते हैं और अगर वह जल्दबाजी में ट्रेन के कोच में सामान भूल जाते हैं और उसके बाद वह स्टेशन पर उन्हें सूचित कर दें तो वह पूरा यतन कर उस दिन के स्टाफ से लेकर आसपास के यात्रियों तक संपर्क करने के उपरान्त ही उक्त सामान को सही व्यक्ति तक पहुंचाने की व्यवस्था भी करते हैं। हालांकि वह मानते हैं कि कई बार सहयात्री अगर कोई सामान ले जाए तो फिर वह मिलना मुश्किल हो जाता है, लेकिन अधिकांश मामलों में राजधानी, शताब्दी, मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के यात्रियों का सामान मिल जाता है। भारतीय व विदेशी नागरिकों के अनगिनत किस्से हैं, किसी का पासपोर्ट, किसी का वीजा, कोई इलाज के पेपर भूल गया और जब वह उसके हाथों में वापस पहुंचे तो खुशी में कभी मिठाई खिलाने का प्रयास किया तो वह हाथ जोड़कर इनकार कर देते है। 56 वर्षीय राकेश शर्मा 24 साल की उम्र से रेलवे की सेवा में हैं। स्टेशन की ड्यूटी 1998 से उन्हें मिली और उनका मानना हैं कि तकनीकी सुबिधा आने से इस प्रकार की सेवा भी करने में काफी सुविधा हुई है। पहले लेडलाइन फोन होते थे, एक यात्री को खोजना या एक स्टाफ को खोजने में बहुत समय लगता था। अब सीसीटीवी कैमरे व पूरी सूचना ऑनलाइन होने से सुविधा होती है। यात्रियों को बिलखते हुए भी देखा है, उनका मानना है कि खोया-पाया केन्द्र में कई बार रेलकर्मी सिर्फ अपनी ड्यूटी करते हैं, लेकिन यदि जुनून हो तो यात्री तक पहुंचने अथवा उसके सामान तक पहुंचने में पूरी चैन बना कर काफी मेहनत करनी पड़ती है। उनका कहना है कि हां, ऐसे लोग भी आते हैं जो डराने धमकाने से नहीं चूकते, नौकरी की धमकी देने से भी नहीं चूकते, सामान मिलते ही उनके चेहरे की खुशी भी सब गुस्से को हवा में उड़ा देती है। किस प्रकार से किंडल को सही यात्री तक पहुंचाया 01 अप्रैल 2023 को श्री पार्थ सिंह, केटरिंग मैनेजर को सीट नं. 50 ट्रेन संख्या 12030 अमृतसर शताब्दी के सी-2 कोच से एक किंडल (ई-बुक) मिला जिसे उन्होंने श्री राकेश शर्मा, स्टेशन प्रबंधक, नई दिल्ली के सुपुर्द कर दिया। श्री राकेश शर्मा ने तब कार्रवाई शुरू कर दी और आईआरसीटीसी के कार्यकारी श्री जितेंद्र कुमार की मदद से यात्री का फोन नंबर प्राप्त करने के लिए पीएनआर अनुसार यात्री का मोबाइल नम्बर निकाला और फोन करके उन्हें अपना सामान लेने के लिए कहा, लेकिन यात्री ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि किंडल उसका नहीं है। फिर श्री राकेश शर्मा ने किंडल की अच्छी तरह से जांच की और मालिक का नाम श्री सब्यसाची गोस्वामी पाया। राकेश शर्मा ने श्री विकास गंडोत्रा, सीटीआई/एचएचटी/एनडीएलएस की मदद से ट्रेन संख्या 12030 एएसआर शताब्दी की पूरी यात्रियों की सूची की जांच की, लेकिन समान नाम का कोई यात्री नहीं मिला। फिर, उन्होंने श्री विकास गंडोत्रा सीटीआई/एचएचटी/एनडीएलएस की मदद से ट्रेन (ट्रेन संख्या 12029 अमृतसर शताब्दी दिनांक 01 अप्रैल 2023) के सभी यात्रियों की सूची में यात्रियों की तलाश करने की कोशिश की और पाया कि यात्री का नाम सी में ही है। जोकि कोच संख्या-2 के 50, 51, 52 पर मौजूद है श्री शर्मा ने फिर जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ क्योंकि उन्हें यह एहसास नहीं था कि वह अपना किंडल भूल गए हैं। श्री सब्यसाची गोस्वामी, प्रतीक लॉरेल, सेक्टर 120, नोएडा के निवासी हैं तथा वही अपने परिवार के साथ नई दिल्ली से अमृतसर की यात्रा कर रहे थे। जब फोन किया गया उस समय वे डलहौजी में थे। अंत में, 09 अप्रैल 2023 को एसोटेक विंडसर कोर्ट, सेक्टर 78, नोएडा, यूपी में श्री राकेश शर्मा, स्टेशन प्रबंधक, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन द्वारा सामान श्री सब्यसाची गोस्वामी (किंडल मालिक) को वापस कर दिया गया।
बुधवार, 19 अप्रैल 2023
आज भी दुनिया में सच्चाई है और सच्चे लोग भी
कोई अच्छा कार्य करे तो उसकी प्रशंसा होनी ही चाहिए
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