बुधवार, 5 सितंबर 2018

एससी-एससी एक्ट को लेकर भागवताचार्य ने केन्द्र सरकार के खिलाफ मौर्चा खोला।

सवर्ण समाज को लेकर जगह जगह रैली कीं।

वृन्दावन में विप्र महाकुंभ के जरिए सरकार पर बरसे।

एससी-एसटी एक्ट और मंदिर अधिग्रहण जैसे सरकार के कदमों से नाराज है विप्र समाज

सर्वसमाज के व्यापक आन्दोलन की चेतावनी।


मथुरा। एससी-एसटी एक्ट संशोधन विधेयक के खिलाफ मुहिम शुरू करने को वृन्दावन के भागवताचार्य को क्यों कूदना पड़ा। इस विधेयक के खिलाफ सभी राजनैतिक दलों के तथा उनके नेताओं रवैए से आज सवर्ण समाज बुरी तरह आहत है और इसी को हथियार बना कर वृन्दावन के सुप्रसिद्ध भागवताचार्य देवकी नन्दन ठाकुर जी ने देश के सवर्ण समाज को एक जुट करने का प्रयास किया है। उन्होंने कल ग्वालियर में सवर्ण समाज स्वाभिमान सम्मेलन और रैली के जरिए केन्द्र सरकार को हिलाने की कौशिश की है। और वृन्दावन में भी विशाल विप्र महाकुंभ को सम्वोधित करते हुए कथावाचक देवकी नन्दन ठाकुर जी ने कहा कि बिना जांच के गिरफ्तार करने का कानून तो पाकिस्तान तक में नहीं है। हम सरकार के खिलाफ नहीं है और न ही नोटा के पक्षधर हैं। लेकिन सामाजिक न्याय के पक्षधर अवश्य हैं। समाज के बीच में रहता हूँ और हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम गलत नीतियों का विरोध करें। इस लिए इस प्रकार के मुहिम को शुरू कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वृन्दावन में होने वाले विप्र महाकुंभ में लाखों लोगों के जुटाने का अनुमान तहत वृन्दावन में हर वर्ग समाज के लोग इस महाकुंभ में शामिल होंगे तथा समाज के गणमान्य लोग साधु संत भी मंच पर होंगे। आन्दोलन के जरिए केन्द्र सरकार को चेतावनी देंगे कि वह एक्ट को लेकर अपना फैसला बदले नहीं तो सर्व समाज व्यापक आंदोलन करेगा। ठाकुर जी ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के नाम पर समाज को बांटने की कौशिश की जा रही है। देश की 130 करोड़ जनता सरकार बनाती है वही जनता आपको सबक भी सिखायेगी।
धर्मनगरी के विप्रों ने भाजपा शासित केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों की खिलाफत का बिगुल फूंक दिया है। धर्म नगरी से उठी ये हूंकार प्रदेश भर में जल्द ही बड़े आंदोलन का रूप ले सकती है। छटीकरा वृंदावन रोड पर शांतिधाम आश्रम के सामने आयोजित हुए विप्र महाकुंभ में अनूठी विप्र एकता देखने को मिली। दूसरी ओर जो संत महंत और भागवताचार्य भजापा का गुणगान करते नहीं थकते थे बुधवार को उन्हीं के मुख से भाजपा के लिए कड़वे वचन सुनने को मिले। जानकारों का मानना है कि  राजनीतिक रूप से भी इस आयोजन का आगामी दिनों में व्यापक असर देखने को मिल सकता है।
भागवताचार्य ठाकुर देवकीनंदन महाराज ने कहाकि राजनीतिक दलों का उद्देश्य ब्राह्मण समाज को बांटना है। भाजपा सरकार अनावश्यक रूप से मंदिरों के अधिग्रहण की बात कह कर दखल देना बंद करे। मंदिरों पर सेवापूजा ब्राह्मणों का अधिकार है, सरकार की इस तरह की हरकतों को कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा। हम कानून बनाने वालों को बनाते हैं, हमारी ताकत किसी से कम नहीं है।

युवा विप्रों ने निकाली बाइक रैली
मुख्य कार्यक्रम से पहले युवा विप्रों ने बाइक रैली निकाली। रैली में बड़ी संख्या में विप्र युवा शामिल रहे।

खुल कर नहीं बोल पाये कई बड़े नेता
हालांकि महाकुंभ में सरकार से नजदीकी के चलते कई बड़े विप्र नेता खुल कर नहीं बोल सके। मंच से दबे स्वर में विप्रों ने यहां तक कहा कि सरकार इसके बाद झूंठे केसों में फंसाने का प्रयास भी कर सकती है।

ये हैं विप्रों की मुख्य मांगें
-एसी एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के आधार अनुसार ही लागू किया जाये
-सवर्ण आयोग का गठन किया जाये
-कश्मीरी ब्राहमणों को पुनःस्थापित किया जाये
-श्रीगीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर, पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये
-सनातन धर्म के ग्रंथ एवं देवी देवताओं की प्रतिमाओं को अपमानित करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने एवं सख्त दण्ड का विधान हो, इस पर ईशनिंदा जैसा कड़ा कानून बने
-संपूर्ण भारत वर्ष के तीर्थ स्थलों मंदिरों में पंडा पुजारियों एवं तीर्थ पुरोहितों का संरक्षण किया जाये
-भगवान श्री परशुराम जी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाये
-संपूर्ण ब्रज चौरासी कोसा यात्रा को तीर्थ स्थल घोषित किया जाये

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य बद्रीशजी, महेश पाठक, राजाबाबा, बिहारी लाल वशिष्ठ, नागेंद्र दत्त गौड़, आचार्य अचुत्यकृष्ण, आचार्य रामविलाश चतुर्वेदी, पन्नालाल गौतम, विपिन बाबू, अशोक शास्त्री, जगदीश प्रसाद सौपानियां, अतुल कृष्ण शास्त्री, तुलसी स्वामी, सौरभ गौड़, अनुरुद्ध शर्मा, सत्यमित्रानंद स्वामी, श्याम सुंदर ब्रजवासी, अभिषेक कृष्ण इंद्रेश शास्त्री, शशि शुक्ला, डा.रश्मि शर्मा, हरिवंश मिश्रा, अशोक व्यास, राजेदं्र बिदुआ, गजेंद्र शर्मा, उदयन शर्मा आदि विप्र मुख्यरूप से मंच पर मौजूद रहे। बड़ी संख्या में विप्रों ने उपस्थित होकर दिखाई अपनी शक्ति।

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